बुंदेलखंड के लोक देवता लाला हरदौल

बुंदेलखंड के लोक देवता लाला हरदौल

बुंदेलखंड में वैसे तो कई लोक देवियां और देवता हैं लेकिन उनमें से एक हैं ‘लाला हरदौल’। हरदौल की शौर्य गाथा को बयां करते कई नाट्य मंडल गांवों में अपनी  प्रस्तुतियां देते हैं। लोक देवता के रूप में लाला हरदौल इतने पूज्य हैं कि बुंदेलखंड में किसी लड़की का विवाह हो तो पहला भात लाला हरदौल की तरफ से ही जाता है। लाला हरदौल ओरछा राजवंश के राजा जुझार सिंह के छोटे भाई थे। जुझार सिंह की कोई संतान नहीं थी। लाला हरदौल उम्र में छोटे थे। ऐसे में वह अपने भाई-भाभी के स्नेह के पात्र थे, लेकिन ईर्ष्या करने वालों से कौन बच सकता है।

लोगों ने लाला हरदौल और भाभी के रिश्तों पर प्रश्र उठाना शुरू कर दिया। शुरूआत में जुझार सिंह को यह बातें मिथ्या लगती थीं लेकिन जब रानी का स्नेह उम्र में उनसे बहुत कम लाला हरदौल पर ज्यादा रहने लगा तो जुझार सिंह से यह सब देखा नहीं गया और फिर एक दिन शक की आग में जुझार सिंह ने अपनी रानी को आदेश दिया कि वह भोजन में विष मिलाकर लाला हरदौल को खिला दें। यह सुनकर रानी हैरान हो गई।

एक तरफ पुत्र समान लाला हरदौल थे तो दूसरी तरफ उनके पति की आज्ञा लेकिन रानी ने पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए हरदौल को जहर दे दिया। उन्होंने हरदौल को जहर देने से पहले सारी बात बताई जो उनके भाई जुझार सिंह ने कही थी। हरदौल ने भाभी की लाज रखने की खातिर हंसते हुए विष से भरा भोजन किया। किंवदंती है कि लाला हरदौल के मरने के बाद हरदौल से स्नेह रखने वाले उनके घोड़े ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे।

यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती बल्कि जब लाला हरदौल के निधन के बाद उनकी बहन कुंजवती की पुत्री का विवाह होता है तब वह रोते हुए लाला हरदौल की समाधि पर गई तथा भांजी की शादी में आने का निमंत्रण देकर आई। इस तरह विवाह में लाला हरदौल की उपस्थिति हमेशा बुंदेलखंड में होने वाले विवाह में बनी रहती है और तभी से उन्हें लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा।

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