Name: | चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट Chausath Yogini Temple, Bhedaghat |
Location: | Bhedaghat, Jabalpur, Madhya Pradesh, India |
Devoted To: | Lord Shiva – Goddess Parvati |
Also Known As: | Golaki Math, India’s yogini temples shrines for 81 yoginis; भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की प्रतिमा |
Built In: | 11th Century AD by King Yuvaraja II, of the dynasty of the Kalachuris of Tripuri |
एक मंदिर जिसे ध्वस्त करने आए औरंगजेब को गर्भगृह से भागना पड़ा था, जिसके लिए नर्मदा ने बदली अपनी दिशा
यह मंदिर काल गणना और पंचांग निर्माण का सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता था जहाँ ज्योतिष, गणित, संस्कृत साहित्य और तंत्र विज्ञान का अध्ययन करने के लिए देश और विदेश से छात्र आया करते थे।
माँ नर्मदा की गोद में बसे मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके इतिहास की गणना करना बहुत कठिन है। इनमें से कई मंदिर दूर-दराज के इलाकों में स्थित हैं। ऐसा ही एक मंदिर नर्मदा से थोड़ी दूर पर लगभग 70 फुट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट के नजदीक स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सभवतः भारत का इकलौता मंदिर है, जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए नर्मदा ने भी अपनी दिशा बदल दी थी। हालाँकि देश के कई अन्य मंदिरों की तरह यह भी औरंगजेब के इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ा, लेकिन वह मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा का कोई नुकसान नहीं कर पाया।
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट: इतिहास
कई मान्यताओं के अनुसार जब एक बार भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने भेड़ाघाट के निकट एक ऊँची पहाड़ी पर विश्राम करने का निर्णय किया। इस स्थान पर सुवर्ण नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे जो भगवान शिव को देखकर प्रसन्न हो गए और उनसे प्रार्थना की कि जब तक वो नर्मदा पूजन कर वापस न लौटें तब तक भगवान शिव उसी पहाड़ी पर विराजमान रहें। नर्मदा पूजन करते समय ऋषि सुवर्ण ने विचार किया कि यदि भगवान हमेशा के लिए यहाँ विराजमान हो जाएँ तो इस स्थान का कल्याण हो और इसी के चलते ऋषि सुवर्ण ने नर्मदा में समाधि ले ली।
इसके बाद से कहा जाता है कि आज भी उस पहाड़ी पर भगवान शिव की कृपा भक्तों को प्राप्त होती है। माना जाता है कि नर्मदा को भगवान शिव ने अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया था ताकि मंदिर पहुँचने के लिए भक्तों को कठिनाई का सामना न करना पड़े। इसके बाद संगमरमर की कठोरतम चट्टानें मक्खन की तरह मुलायम हो गई थीं जिससे नर्मदा को अपना मार्ग बदलने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं हुई।
चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान कल्चुरी शासक युवराजदेव प्रथम के द्वारा कराया गया। उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती समेत योगिनियों का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण कराया था। युवराजदेव के बाद 12वीं शताब्दी के दौरान शैव परंपरा में पारंगत गुजरात की रानी गोसलदेवी ने चौसठ योगिनी मंदिर में गौरी-शंकर मंदिर का निर्माण कराया।
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर की तरह यह मंदिर भी तंत्र साधना का एक महान स्थान हुआ करता था। यह मंदिर काल गणना और पंचांग निर्माण का सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता था जहाँ ज्योतिष, गणित, संस्कृत साहित्य और तंत्र विज्ञान का अध्ययन करने के लिए देश और विदेश से छात्र आया करते थे। 10वीं शताब्दी का यह मंदिर उस समय का आयुर्वेद कॉलेज हुआ करता था। खुले आसमान के नीचे ग्रह और नक्षत्रों की गणना के साथ आयुर्वेद की शिक्षा भी दी जाती थी।
संरचना और इस्लामिक आक्रमण
पत्थरों से निर्मित चबूतरे पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। त्रिभुजाकार कोणों पर योगिनियों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। मंदिर परिसर की गोलाकार संरचना के केंद्र में गर्भगृह में गौरीशंकर की प्रतिमा स्थापित है। नंदी पर विराजमान भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह प्रतिमा संभवतः पूरे भारत में कहीं नहीं है। मुख्य मंदिर के सामने नंदी प्रतिमा है और एक छोटे चबूतरे पर शिवलिंग स्थापित है, जहाँ श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।
हालाँकि मंदिर में योगिनियों की प्रतिमाओं को खंडित कर दिया गया है और यह कार्य किसी और ने नहीं बल्कि इस्लामी आक्रांता औरंगजेब ने किया, जिसने अपने शासनकाल में हजारों हिन्दू मंदिरों को अपना निशाना बनाया। कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपनी तलवार से एक-एक योगिनी की प्रतिमा को खंडित किया, लेकिन जब वह गर्भगृह में स्थापित गौरीशंकर की प्रतिमा को खंडित करने गया तो दैवीय चमत्कार के कारण उसे भयभीत होकर वहाँ से भागना पड़ा था।
कैसे पहुँचे चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट?
जबलपुर, मध्य प्रदेश के चार प्रमुख नगरों में से एक है ऐसे में यहाँ पहुँचने के लिए यातायात के साधन और शहर के अंदर परिवहन व्यवस्था दोनों ही बेहतर है। मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर डुमना एयरपोर्ट ही है जो मंदिर से लगभग 34 किमी दूर है। इसके अलावा इंदौर का देवी अहिल्याबाई एयरपोर्ट, जबलपुर लगभग 534 किमी की दूरी पर है। जबलपुर मध्य भारत का एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। जंक्शन से चौसठ योगिनी मंदिर की दूरी 22 किमी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों समेत देश के प्रमुख नगरों से सड़क मार्ग के जरिए जबलपुर पहुँचना काफी आसान है।