देश में खूबसूरती के लिहाज से जाना जाने वाला हिमाचल प्रदेश विश्व विख्यात है। यहां पर स्थित विभिन्न प्रसिद्ध धार्मिक स्थल देश व विदेश में अपनी अलग पहचान बना हुए हैं। प्रदेश के विभिन्न धार्मिक स्थलों में से एक है, जिला ऊना में डेरा बाबा वडभाग सिंह का पवित्र स्थान मैड़ी। जहां पर डेरा बाबा बड़भाग सिंह के दरबार में बुरी आत्माओं व मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है। यह उपमंडल अंब के मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के मध्य में स्थित है। जिसे मैड़ी के नाम से जाना जाता है। यह एक अत्यंत सुंदर, शांत व रमणीय स्थान है।
क्या है डेरा बाबा वडभाग की मान्यता
मान्यता के अनुसार वर्ष 1761 में पंजाब के कस्बा करतारपुर से सिख गुरु अर्जुन देव जी के वंशज बाबा राम सिंह सोढी और उनकी धर्मपत्नी माता राजकौर के घर में वडभाग सिंह का जन्म हुआ था। बाबा वडभाग सिंह बाल्यकाल से ही अध्यात्म को समर्पित होकर पीड़ित मानवता की सेवा को अपना लक्ष्य मानने लगे थे। एक दिन वह घूमते हुए मैड़ी गांव स्थित दर्शनी खड्ड, जिसे अब चरणगंगा के नाम से भी जाना जाता है वहां पहुंचे और यहां के पवित्र जल में स्नान करने के बाद मैड़ी स्थित एक बेरी के वृक्ष के नीचे ध्यानमगन हो गए। यह क्षेत्र वीर नाहर सिंह नामक एक पिशाच के प्रभाव में था।
नाहर सिंह द्वारा परेशान किए जाने के बावजूद बाबा वडभाग सिंह जी ने इस जगह पर घोर तपस्या की तथा एक दिन दोनों का आमना -सामना हुआ, तो बाबा वडभाग सिंह जी ने दिव्य शक्ति से नाहर सिंह को काबू करके बेरी के वृक्ष के नीचे एक पिंजरे में कैद कर लिया। बाबा वडभाग सिंह ने उसे इस शर्त पर आजाद किया कि वीर नाहर सिंह अब इसी स्थान पर मानसिक रूप से बीमार और बुरी आत्माओं के शिकंजे में जकड़े लोगों को स्वस्थ करेंगे और साथ ही नि:संतान लोगों को फलने का आशीर्वाद भी देंगे। बेरी का पेड़ आज भी यहां मौजूद है और डेरा बाबा वडभाग सिंह नामक धार्मिक स्थल के साथ सटा है। डेरा बाबा वडभाग सिंह के दरबार में बुरी आत्माओं व मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।
sahi hai yahan dholi dhar mai bhoot paret aatma nikl jaati hai.