धारी देवी मंदिर: भारत में ऐसे प्राचीन मंदिरों की कोई कमी नहीं है जिनके साथ लोगों की विभिन्न प्रकार की मान्यताएं जुड़ी हैं। इनमें से कुछ काफी विचित्र तथा रहस्यमयी हैं।
एक ऐसा ही मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धारी देवी मंदिर है।
धारी देवी मंदिर
Name: | धारी देवी मंदिर / Dhari Devi Temple – Kalyasaur, Dang Chaura |
Location: | Kalyasaur – Banks of Alaknanda River, Between Srinagar and Rudraprayag, Garhwal Region, Uttarakhand 246174 India |
Affiliation: | Hinduism |
Diety: | Goddess Kali (Dhari Devi) |
C In: | North Indian architecture |
Festival: | Navratri |
देवी काली को समर्पित यह मंदिर इस क्षेत्र में बहुत पूजनीय है। लोगों का मानना है कि यहां धारी माता की मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है- पहले एक लड़की, फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला।
यह मंदिर झील के ठीक बीचों-बीच स्थित है। देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती हैं। इस माता को पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी माना जाता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भीषण बाढ़ से मंदिर बह गया था।
साथ ही उसमें मौजूद माता की मूर्ति भी बह गई और वह धारो गांव के पास एक चट्टान से टकराकर रुक गई।
कहते हैं कि उस मूर्ति से एक ईश्वरीय आवाज निकली, जिसने गांव वालों को उस जगह पर मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके बाद गांव वालों ने मिल कर वहां माता का मंदिर बना दिया।
पुजारियों की मानें तो मंदिर में मां धारी की प्रतिमा द्वापर युग से ही स्थापित है।
मां धारी के मंदिर को साल 2013 में तोड़ दिया गया था और उनकी मूर्ति को उनके मूल स्थान से हटा दिया गया था।
कई लोगों का मानना है कि इसकी वजह से उस साल उत्तराखंड में भयानक बाढ़ आई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे।
कहते हैं कि धारी देवी की प्रतिमा को 16 जून, 2013 की शाम को हटाया गया था और उसके कुछ ही घंटों बाद राज्य में आपदा आई थी। बाद में उसी जगह पर फिर से मंदिर का निर्माण कराया गया।
हर साल नवरात्रि के अवसर पर देवी कालीसौर की विशेष पूजा की जाती है। देवी काली का आशीर्वाद पाने के लिए दूर और नजदीक के लोग इसके पवित्र दर्शन करने आते रहे हैं। मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी मौजूद है। यह मंदिर राजमार्ग 55 पर श्रीनगर के निकट है। अलकनंदा नदी के किनारे पर मंदिर के पास तक 1 किमी लम्बा सीमेंट मार्ग बना है।