हनुमानगढ़ी मंदिर, अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश

हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश

हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या: इतना तो सब जानते हैं मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन हर कोई हनुमान जी की कृपा पाने के लिए विभिन्न तरीकों से उन्हें खुश करने की कोशिश करता है। तो चलिए आज हम आपको इनके एक अनोखे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां बजरंगबली एक अनोखे रूप में विराजित है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने वाले हर व्यक्ति की मुराद पूरी होती है।

Name: हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir)
Location: Sai Nagar, Ayodhya, Uttar Pradesh 224123 India
Deity: Lord Hanuman
Affiliation: Hinduism
Creator: महंत बाबा अभयरामदास
Completed In: 10th century C.E (मुग़लकालीन व नागर शैली)
Festivals: Rama Navami, Dussehra, Diwali

हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश

श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या की सरयू नदी में स्नान करने के लिए लोग दूर-दूर आते हैं। इसी नदी के तट पर हनुमान गढ़ी मंदिर स्थित है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के फैज़ाबाद ज़िले के अयोध्या रेलवे स्टेशन से 1 किं.मी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को अयोध्या के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है,जो पवनपुत्र हनुमान जी को समर्पित है। मंदिर परिसर अयोध्या के बीच एक टीले पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए 76 सीढ़िया चढ़नी होती है, जिसके बाद बजरंगबली के सबसे छोटे रूप के दर्शन करने को मिलते हैं। मान्यता है कि भगवान राम जब लंका जीतकर अयोध्या लौटे थे, तो उन्होंने अपने प्रिय भक्त हनुमान को रहने के लिए यही स्थान दिया था। साथ ही यह अधिकार भी दिया कि जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए अयोध्या आएगा, उसे पहले हनुमान का दर्शन-पूजन करना होगा, उसके बाद ही उसे यात्रा का पुण्य लगेगा। यह स्थान रामकोट (राम जी का जन्म स्थान) के पश्चिम से लंबी दूरी पर स्थित है।

अंजनीपुत्र की महिमा से परिपूर्ण हनुमान चालीसा मंदिर की दीवारों पर सुशोभित हैं। कहते हैं कि हनुमान जी के इस दिव्य स्थान पर आकर जिस किसी ने भी मुराद मांगी है, हनुमान लला ने उसे पूरा किया है। तभी तो अपने इकलौते पुत्र के प्राणों की रक्षा होने पर अवध के नवाब मंसूर अली ने इस मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया। इस बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि एक बार नवाब का पुत्र बहुत बीमार पड़ गया। पुत्र के प्राण बचने के कोई आसार न देखकर नवाब ने बजरंगबली के चरणों में माथा टेक दिया। संकटमोचन ने नवाब के पुत्र के प्राणों को वापस लौटा दिया, जिसके बाद नवाब ने न केवल हनुमानगढ़ी मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया, बल्कि इस ताम्रपत्र पर लिखकर यह घोषणा की, कभी भी इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का कोई अधिकार नहीं रहेगा और न ही यहां के चढ़ावे से कोई टैक्‍स वसूल किया जाएगा।

हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या के पास ही जामवंत किला, सुग्रीव किला और रामलला का भव्य महल भी था। उसी राम कोट क्षेत्र के मुख्य द्वार पर स्थापित हनुमान लला का भव्य रूप देखते ही बनता है। वास्तव में हनुमान गढ़ी एक गुफा मंदिर है जिसमे 76 सीढ़ियों द्वारा प्रवेश किया जाता है। जिस ढंग से इस मंदिर का निर्माण किया गया है वो बेहद हो स्मरणीय है। गुमवदार सीढ़ियों पर चढ़ने के पश्चात वो स्थल आता है जहां श्री हनुमान जी निवास करते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान यहां गुफा में रह कर हनुमान रामकोट की निगरानी करते थे। मुख्य मंदिर में मा अंजनी की एक प्रतिमा है जिसमें बाल हनुमान उनकी गोद में बैठे हुए है। कहा जाता है इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मान्यताएं पूर्ण हो जाती है।

1855 में, अवध के नवाब ने मंदिर को मुसलमानों द्वारा विनाश से बचाया। मुसलमानों को लगा कि हनुमानगढ़ी एक मस्जिद के ऊपर बनाई गई है। इतिहासकार सर्वपल्ली गोपाल ने कहा है कि 1855 का विवाद बाबरी मस्जिद – राम मंदिर स्थल के लिए नहीं बल्कि हनुमान गढ़ी मंदिर के लिए मुसलमानों और रामानंदी बैरागियों के बीच हुआ था।

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