हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित कैलाश-मानसरोवर की यात्रा को विश्व की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्रा माना जाता है, जहां हर वर्ष मई से सितम्बर माह के बीच सैकड़ों लोग इस दुर्गम यात्रा पर आते हैं।
निश्चित ही इस यात्रा के लिए तन-मन-धन तीनों का होना जरूरी है क्योंकि यह स्थान समुद्रतल से 15000 फीट की ऊंचाई पर है। इतनी ऊंचाई पर होने के कारण यहां आक्सीजन की इतनी ज्यादा कमी हो जाती है कि, सांस लेना भी दुभर होता है इसी कारण इस यात्रा पर जाने के पूर्व डाक्टर की अनुमति लेना आवश्यक होता है। ऊंचाई के साथ-साथ यात्रा दुर्गम होने के कारण मन का सशक्त होना भी जरूरी है क्योंकि यात्रा के दौरान चोट लगने एवं अनहोनी होने की सम्भावना बनी रहती है।
निश्चित ही भक्तों के इस आकर्षण के पीछे कैलाश पर्वत का सौन्दर्य और मानसरोवर झील की विशालता एवं मनोरमता के साथ-साथ इन दोनों स्थानों का वास्तुनुकूल होना भी महत्वपूर्ण है। आईए देखते हैं यह दोनों स्थान किस तरह से वास्तुनुकूल होकर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं –
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत वह स्थान है जहां भगवान् शिव हिमालय की बेटी और अपनी पत्नी मां पार्वती के साथ सपरिवार निवास करते हैं। कैलाश पर्वत छः पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित पर्वत है जो आकाश से कमल के भांति नजर आता है। भक्तजन क्लाक वाईज 52 किलोमीटर चलकर इस पर्वत की परिक्रमा करते हैं। इस पर्वत की परिक्रमा की शुरूआत समुद्रतल से 15000 फीट ऊंचाई तरबोचे फ्लेग पोल से प्रारम्भ होती है।
परिक्रमा के दौरान ड्रोलमापास से होकर गुजरना पड़ता है। इस स्थान की ऊंचाई समुद्रतल से 18200 फीट है। इसके बाद यात्रा का उतार शुरू होता है, जहां रास्ते में सीधे हाथ पर गौरी कुण्ड के भी दर्शन होते हैं। कैलाश पर्वत की चारों दिशाओं स्थित पर्वत श्रृंखलाओं में केवल उत्तर दिशा की श्रृंखला काफी नीचाई लिए हुए है यहां पर ग्लेशियर से हिमानी (ग्लेशियर से बहने वाली छोटी नदी) निकलती है। यह ठीक उसी प्रकार ही है जैसे विशाल शिवलिंग की जलहरी का पानी उत्तर दिशा से बह रहा हो। कैलाश पर्वत की उत्तर दिशा स्थित पर्वत श्रृंखलाएं अन्य दिशाओं की पर्वत श्रृंखलाओं की तुलना में बहुत नीची होने के साथ-साथ बहुत फैलाव लिए हुए है जहां वर्तमान में दो गेस्ट हाऊस हैं।
जिस दिन अधिक यात्री होते हैं तब गैस्टहाऊस के आस-पास भी टैंट लगाकर यात्रियों को रात्रि विश्राम के लिए ठहराया जाता है। बारह महीने बर्फ से ढंके विशाल और खूबसूरत होने के साथ-साथ वास्तुनुकूल होने के कारण ही कैलाश पर्वत विश्व भर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर उसी प्रकार आकर्षित करता है, जिस प्रकार उत्तर दिशा की नीचाई के कारण जम्मू, कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर एवं शिर्डी स्थित सांईबाबा का मंदिर।
कैलाश पर्वत से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मानसरोवर झील समुद्र तल से 14948 फीट ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित ताजे पानी की झील है जो कि लगभग गोल आकार में 88 किलोमीटर के घेरे में फैली हुई है। इतनी ऊंचाई पर माईनस डिग्री टेम्पे्रचर के कारण यहां हमेशा बर्फ जमी रहती है जो केवल गर्मी के मौसम में ही पिघलती है।