जिस भोजशाला को मुस्लिम कहते हैं कमाल मौलाना मस्जिद, वह मंदिर ही है: ASI ने हाई कोर्ट को बताया- मंदिरों के हिस्से पर बने हैं मस्जिद के स्तंभ, हिंदू प्रतीकों-छवियों को कर दिया विकृत
ASI ने कोर्ट को बताया है कि यहाँ मानवों और जानवरों के भित्तिचित्रों को नष्ट कर दिया गया है क्योंकि मस्जिद के भीतर इनकी इजाजत नहीं होती है। ASI ने कहा है कि इनको तोड़ने के प्रयास और इनके टूटे हिस्से परिसर में देखे जा सकते हैं।
कमाल मौलाना मस्जिद भोजशाला – 16 July, 2024: मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में ASI ने कहा है कि भोजशाला का वर्तमान परिसर यहाँ पहले मौजूद मंदिर के अवशेषों से बनाया गया था। ASI ने रिपोर्ट में इस संबंध में कई जानकारियाँ भी दी गई हैं।
ASI ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है, “खंभों और की सजावट और उन पर बने भित्तिचित्रों की वास्तुकला से यह कहा जा सकता है कि वह पहले मंदिर का हिस्सा थे। बेसाल्ट के ऊँचे परिसर पर मस्जिद के स्तम्भ बनाते समय इनका दोबारा इस्तेमाल हुआ है। एक स्तम्भ, जिसमे चारों दिशाओं में खाने बने हुए हैं, उसमे देवताओं की नष्ट की हुईं छवियाँ भी हैं। एक स्तंभ के दूसरे आधार पर भी एक खाने में एक देवता की छवि को दर्शाया गया है। दो स्तंभों पर खड़ी छवियों को काट दिया गया है और वे पहचान में नहीं आती।”
ASI ने कोर्ट को बताया है कि यहाँ मानवों और जानवरों के भित्तिचित्रों को नष्ट कर दिया गया है क्योंकि मस्जिद के भीतर इनकी इजाजत नहीं होती है। ASI ने कहा है कि इनको तोड़ने के प्रयास और इनके टूटे हिस्से परिसर में देखे जा सकते हैं। ASI ने कहा है कि यहाँ मौजूद मस्जिद की दीवाल बाकी परिसर से नई है। उसका निर्माण उस सामान से किया गया है जो बाकी पूरे परिसर की निर्माण सामग्री से अलग है।
ASI ने कोर्ट को बताया, “वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और खुदाई था प्राप्त अवशेषों, मूर्तियों और शिलालेखों, कला और धर्मग्रंथों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा परिसर पहले के मंदिर के अवशेषों से बनाई गई है।”
ASI ने यह रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को 98 दिन सर्वे करने के बाद 15 जुलाई, 2024 को सौंपी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सर्वे में ASI को इस सर्वे के दौरान चाँदी, तांबे, एल्युमिनियम और स्टील के 31 सिक्के मिले हैं। यह सिक्के अलग-अलग ऐतिहासिक समय के हैं। इसमें दिल्ली के सल्तनत काल, मुग़ल काल और अलग-अलग समय के हैं। सिक्कों के अलावा 94 वास्तुशिल्प मिले हैं। इनमें मूर्तियाँ, मूर्तियों के खंडित हिस्से और पत्थरों पर उकेरी प्रतिमाएँ शामिल हैं।
इस सर्वे में यह भी पाया गया है कि यहाँ के स्तम्भों पर मूर्तियाँ उकेरी गई थी। इन पर बने हुए देवता सशस्त्र थे। बताया गया कि इन छवियों में ब्रम्हा, गणेश, नरसिंह और भैरव के साथ ही पशुओं की आकृतियाँ भी हैं। इनमें कुछ मानव आकृतियाँ भी हैं।
इसके अलावा इस परिसर के एक हिस्से में भित्तिचित्रों में मानव औए सिंह समेत कई पशुओं के मुख वाली आकृतियाँ भी हैं। एक हिस्से में यह विकृत की गई थीं जबकि कुछ जगह यह सुरक्षित थीं। यहाँ कई शिलालेख भी मिले हैं। इनमें कई रचनाएँ लिखी हुई हैं। इन रचनाओं से भोजशाला के रूप में जानकारी मिलती है।
बताया गया है कि सर्वे में मिले एक शिलालेख में यहाँ परमार वंश के राजा नरवर्मन का शासन था। इससे इंगित होता है कि यहाँ मुस्लिमों के शान करने से पहले हिन्दू शासक शासन कर रहे थे। रिपोर्ट में यहाँ से मिले अन्य कई शिलालेख और चिन्ह को रिपोर्ट में जगह दी गई है। यह रिपोर्ट लगभग 2000 पेज की है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई, 2024 को है।
मालूम हो कि इस संबंध में हिंदू पक्ष ने याचिका डाली हुई है कि भोजशाला उनकी माँ वाग्देवी का मंदिर है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपना मजहबी स्थल बताकर सर्वे के खिलाफ बोल रहे हैं। इस मामले में 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे की अनमुति दी थी। 22 मार्च से सर्वे शुरू हुआ, 1 अप्रैल को मुस्लिम पक्ष इसे रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, 29 अप्रैल को एएसआई के आवेदन पर सर्वे की समयसीमा और बढ़ाई गई, अब इस मामले में ASI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है।
वाग्देवी मंदिर कैसे बना कमालुद्दीन मस्जिद
गौरतलब है कि भोजशाला विवाद बहुत पुराना विवाद है। हिंदू पक्ष का मत है कि ये माता सरस्वती का मंदिर है जिसकी स्थापना राजा भोज ने सन् 1000-1055 के मध्य कराई थी। सदियों पहले मुसलमान आक्रांताओं ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहाँ मौलाना कमालुद्दीन (जिस पर तमाम हिंदुओं को छल-कपट से मुस्लिम बनाने के आरोप हैं) की मजार बना दी थी जिसके बाद यहाँ मुस्लिमों का आना जाना शुरू हो गया और अब इसे नमाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
हालाँकि हिंदू पक्ष का कहना है कि ये उनका मंदिर ही है क्योंकि आज भी इसके खंभों पर देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे साफ दिखते हैं। इसके अलावा दीवारों पर ऐसी नक्काशी है जिसमें भगवान विष्णु के कूर्मावतार के बारे में दो श्लोक हैं।