उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल नामक ब्लॉक में एक ऐसा चमत्कारिक मंदिर है, जहां भक्तों का जाना मना है। राज्य में यह मंदिर लाटू मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में लाटू देवता का पूजन होता है। स्त्री हो या पुरुष सभी का मंदिर में प्रवेश वर्जित है। यहां तक कि मंदिर में सेवा करने वाले पुजारी भी आंख, नाक और मुंह पर पट्टी बांध कर ही पूजा करते हैं। भक्तों को मंदिर से 75 फीट की दूरी से पूजा करनी पड़ती है।
मान्यता के अनुसार लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या नंदा देवी के भाई हैं। प्रत्येक 12 सालों में उत्तराखंड की सबसे लंबी श्रीनंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव वांण गांव है। लाटू देवता वांण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का अभिनंदन करते हैं।
मंदिर का द्वार वर्ष में एक ही दिन खुलता हैं। वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन पुजारी इस मंदिर के कपाट अपने आंख-मुंह पर पट्टी बांधकर खोलते हैं। भक्त देवता के दर्शन दूर से ही करते हैं। जब मंदिर के कपाट खुलते हैं, तब विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है अौर मेला भी लगता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर के अंदर नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ विराजमान हैं। जिनके दर्शन आम लोग नहीं कर सकते। पुजारी भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर जाते हैं। लोग ये भी मानते हैं कि उस मणि का तेज प्रकाश भक्तों को अंधा बना देता है। पुजारी अपने नाक-मुंह में पट्टी इसलिए बांधता है ताकि उसके मुंह की गंध नागदेवता तक अौर उनकी विषैली गंध पुजारी के नाक तक न पहुंच सके।