देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ थानेसर: देवीभाग्वात् पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से कटकर देवी सती के अंग के 51 टुकड़े हो गए। देवी सती के अंग के 51 टुकड़े धरती पर जहां-जहां गिरे वह स्थान शक्तिपीठ के रुप में प्रतिष्ठित हो गए। माना जाता है कि इन शक्तिपीठों में आदि शक्ति स्वयं विराजमान रहती हैं। भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जो कि ऐतिहासिक और धार्मिक नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसी ही एक जगह है हरियाणा के प्रसिद्ध स्थल कुरुक्षेत्र में। कुरुक्षेत्र में हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ स्थापित है। इतना ही नहीं इस जगह का खास संबंध भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत के युद्ध से भी माना जाता है।
देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ थानेसर: यहां गिरा था देवी सती है दायां पैर
देवी सती के आत्मदाह के बाद जब भगवान शिव देवी सती का देह लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने देवी सती के प्रति भगवान शिव का मोह तोड़ने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 हिस्सों में बांट दिया था। जहां-जहां देवी सती के शरीर के भाग गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। यहां पर देवी सती का दायां पैर (घुटने के नीचे का भाग) गिरा था।
यहीं हुआ था श्रीकृष्ण का मुंडन
इस जगह का संबंध सिर्फ देवी सती से ही नहीं भगवान कृष्ण से भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी जगह पर भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन किया गया था। जिसके कारण इस जगह का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
यहीं अर्जुन ने मां भद्रकाली से की थी जीत की प्रार्थना
मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध से पहले जीत के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यहीं पर मां भद्रकाली की पूजा करने को कहा था। श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने देवी की पूजा-अर्चना की थी और युद्ध में जीतने के बाद घोड़ा चढ़ाने का प्रण लिया था। तभी से यहां पर अपनी मन्नत पूरी होने पर सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाने की परंपरा प्रचलित है।