महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश

भारत विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का देश है। यहां अलग-अलग धर्म के हर समुदाय के लोग रहते हैं। जिसके कारण भारत में अधिक धार्मिक स्थल स्थापित हैं और हर एक की अपनी-अपनी मान्यता है। इन में से एक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर है। महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्‍योतिर्लिंग मध्‍यप्रदेश राज्‍य के उज्जैन शहर में है। महाभारत में तथा महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर से बढ़कर अन्य कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है इसलिए महाकालेश्वर को पृथ्वी का अधिपति भी माना जाता है अर्थात वे ही संपूर्ण पृथ्वी के एकमात्र राजा हैं।

जानिए महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन के बारे में:

महाकालेश्वर मंदिर का यह ज्योतिर्लिंग दुनिया का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्‍योतिर्लिंग है। जो भी व्‍यक्‍ति इस मंदिर में आ कर भगवान शिव की सच्‍चे मन से प्रार्थना करता है, उसे मृत्‍यु उपरांत यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं से मुक्‍ति मिलती है।

इस मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया। प्रतिवर्ष इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है।

सावन के पावन महीने में पूरे देश भर से भगवान शंकर के भक्त मीलों दूर से इस दक्षिणमुखी ज्‍योतिर्लिंग की अराधना के लिए पहुंचते है।

कुछ विद्वानों का मानना है कि यह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही संपूर्ण पृथ्वी का केंद्र बिंदु है और संपूर्ण पृथ्वी के राजा भगवान महाकाल अर्थात शिव यहीं से पृथ्वी का भरण-पोषण करते हैं। यहां पहले महाकाल की भस्म आरती ताजा मुर्दे की भस्म से की जाती थी लेकिन कुछ समय बाद महात्मा गांधी जी के आग्रह करने पर शास्त्रीय विधि से निर्मित उपल-भस्म से भस्मार्ती होने लगी।

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