गणेश जी ने व्यास ऋषि के कहने पर महाभारत की रचना की थी। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के पश्चात पांडव द्रोपदी सहित इसी गांव से होकर स्वर्ग को जाने वाली स्वर्गारोहिणी सीढ़ी तक गए थे। इसके अतिरिक्त इस गांव को श्रापमुक्त करने वाले स्थान के नाम से भी जाना जाता है।
माना जाता है कि इस गांव में आने से व्यक्ति के सभी कष्टों अौर पापों का नाश हो जाता है। चमोली जिले में स्थित माणा देश का सबसे अंतिम गांव है। यहीं पर माना दर्रा है, जिसके जरिए भारत और तिब्बत के बीच वर्षों से व्यापार होता रहा था।
पवित्र बदरीनाथ धाम से 3 कि.मी.आगे भारत और तिब्बत सीमा पर स्थित इस गांव का नाम भोलेनाथ के भक्त मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा। कहा जाता है कि माणिकशाह नामक व्यापारी भगवान शंकर का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार जब व्यापारी पैसे कमाकर लौट रहा था तो कुछ लुटेरों ने उसका सिर काट दिया। उसके बाद भी उसकी गर्दन भोलेनाथ का जाप कर रही थी। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भोलनाथ ने उसे वराह का सिर लगा दिया। उसके बाद गांव में मणिभद्र की पूजा होने लगी।
कहा जाता है कि भगवान शिव ने माणिक शाह को वरदान दिया था कि जो भी यहां आएगा उसे गरीबी से मुक्ति मिल जाएगी। ये भी कहा जाता है कि गुरुवार को मणिभद्र भगवान से धन संबंधी प्रार्थना करने से अगले बृहस्पतिवार तक धन का प्राप्ति हो जाती है।