इस गांव का नाम भगवान शिव के भक्त मणिभद्र देव के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि यह गांव श्राप मुक्त है अौर यहां आने वाले व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह गांव समुद्र तल से करीब 3 हजार फुट ऊंचाई पर बसा हुआ है।
यहां कई एेतिहासिक स्थान है। गांव में जाते ही सबसे पहले गणेश गुफा नजर आती है। कहा जाता है कि जब गणेश जी वेदों की रचना कर रहे थे तो सरस्वती नदी अपने पूरे वेग में बहने के कारण शोर कर रही थी। जिसके कारण गणेश जी ने उनसे कहा था कि वे कम शोर करें क्योंकि उनके कार्य में बाधा पड़ रही है। लेकिन सरस्वती नदी ने उनकी बात नहीं मानी। उनकी बात से नाराज होकर गणेश जी ने उन्हें श्राप दिया कि इससे आगे वह किसी को भी नहीं दिखाई देगी। जिसके कारण सरस्वती नदी कुछ दूरी पर जाकर अलकनंदा में मिल जाती है।
सरस्वती नदी के ऊपर भीम पुल है। इस विषय में कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग में जा रहे तो सरस्वती नदी से किनारा मांगा परंतु उन्होंने नहीं दिया। जिस पर भीम ने दो बड़ी शिलाएं उठाकर नदी के ऊपर रख दी थी। जिससे इस पुल का निर्माण हुआ। जिसके कारण इसका नाम भीम पुल पड़ा।