Name: | मार्तण्ड सूर्य मंदिर, मातन, अनंतनाग ज़िला (Martanda Surya Temple) |
Location: | Sun Temple, Mattan, Anantnag District, Jammu and Kashmir 192125 India |
Deity: | Surya (Martand) (Sun God) |
Affiliation: | Hinduism |
Completed: | 8th Century AD |
Demolished: | 15th Century CE |
Creator: | Lalitaditya Muktapida |
Architecture: | Ancient Indian |
Martand Surya Mandir, Mattan, Jammu and Kashmir:
कश्मीर के मार्तण्ड सूर्य मंदिर में मंत्रोउच्चारण के साथ हुई पूजा, अब POK के शारदा पीठ पहुंचेंगे संत!
भारत में सूर्यदेव के चार प्रमुख मंदिर हैं। इनमें उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा का मोढेरा सूर्य मंदिर, राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर और कश्मीर का मार्तण्ड सूर्य मंदिर शामिल है। उड़िसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं और आज हम आपको कश्मीर के मार्तंड मंदिर के बारे में बता रहे हैं। कश्मीर के दक्षिणी भाग में अनंतनाग से पहगाम के रास्ते में मार्तण्ड नामक स्थान पर सूर्यदेव का एक मंदिर स्थित है जिसका नाम मार्तंड मंदिर है। आज इस लेख में हम इसी के बारे में बात करेंगे। इस मंदिर में एक बड़ा सरोवर भी है। मान्यता है कि इसकी संभावित निर्माण तिथि 490 – 555 ई. रही होगी। इस मंदिर को कारकोटा राजवंश के शासक ललितादित्य ने बनवाया था। आइए जानते हैं सूर्यदेव के इस मार्तंड मंदिर के बारे में।
मार्तण्ड सूर्य मंदिर के बारे में जानें विस्तार से:
मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण मध्यकालीन युग में 7वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। इसे कारकोटा राजवंश के शासक ललितादित्य ने बनवाया था। इस मंदिर के निर्माण की गणना ललितादित्य के प्रमुख कार्यों में की जाती है। इस मंदिर में 84 स्तंभ हैं। इन स्तंभों को नियमित अंतराल पर रखा गया है। मंदिर की राजसी वास्तुकला बेहद खूबसूत है जो इसे अलग बनाती है। ऐसा कहा जाता है कि राजा ललितादित्य सूर्य की पहली किरण निकलने पर सूर्य मंदिर में पूजा कर चारों दिशाओं में देवताओं का आह्वान कर ही अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे।
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हालांकि, वर्तमान स्थिति में यह मंदिर खंडहर हो चुका है। इसकी ऊंचाई लगभग 20 फुट है। इस मंदिर में तब के बर्तन अभी तक मौजूद हैं। इस मंदिर को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। कश्मीर का यह मार्तेण्ड सूर्य मंदिर प्राचीन सूर्य मंदिर बेहद भव्य और विशाल था लेकिन माना जाता है कि मुगल आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को तहस-नहस कर दिया था।
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निर्माण
इस मंदिर का निर्माण कर्कोटक वंश से संबंधित राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर सातवीं-आठवीं शताब्दी पूर्व का है। यह मंदिर सन् 725-756 ई. के मध्य बना था।
वास्तुकला
मार्तण्ड सूर्य मंदिर का प्रांगण 220 फुट x 142 फुट है। यह मंदिर 60 फुट लम्बा और 38 फुट चौड़ा था। इस के चतुर्दिक लगभग 80 प्रकोष्ठों के अवशेष वर्तमान में हैं। इस मन्दिर के पूर्वी किनारे पर मुख्य प्रवेश द्वार का मंडप है। इसके द्वारों पर त्रिपार्श्वित चाप (मेहराब) थे, जो इस मंदिर की वास्तुकला की विशेषता है। द्वारमंडप तथा मंदिर के स्तम्भों की वास्तु-शैली रोम की डोरिक शैली से कुछ अंशों में मिलती-जुलती है। मार्तण्ड मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर कश्मीरी हिंदू राजाओं की स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। कश्मीर का यह मंदिर वहाँ की निर्माण शैली को व्यक्त करता है। इसके स्तंभों में ग्रीक संरचना का इस्तेमाल भी करा गया है।
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कश्मीर में एक बहुत ही पराक्रमी राजा हुआ थे जिनका नाम था ललितादित्य मुक्तापीड। कहा जाता है कि मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण उन्होंने ही करवाया था। उस समय भारत, ईरान और मध्य एशिया के कई क्षेत्रों में करकोटा वंश के ललितादित्य मुक्तापीड का शासन फैला हुआ था।
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में स्थित मार्तण्ड सूर्य मंदिर के बारे में आपने सुना है? जी हाँ, वही मंदिर जिससे विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘हैदर (2014)’ में ‘शैतान की गुफा’ के रूप में दिखा कर बदनाम किया गया था और जहाँ उस फिल्म के नायक शाहिद कपूर ने ‘डेविल डांस’ भी किया था। जबकि असली बात तो ये है कि ये मंदिर कभी पूरे भारत का, खासकर हिमालय का गौरव हुआ करता था। चुनिंदा प्राचीन सूर्य मंदिरों में एक था ये।
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वर्षों बाद कश्मीर के मार्तंड सूर्य मंदिर में हुई पूजा
हम इस मंदिर की आज बात इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसे लेकर एक ताज़ा खबर आई है। असल में शुक्रवार (6 मई, 2022) को सुबह 100 से भी अधिक श्रद्धालुओं ने यहाँ पहुँच कर पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। कई पंडित भी यहाँ पर पहुँचे। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन सन् 1389 और 1413 के बीच कई बार इसे नष्ट करने की कोशिश की गई।
अब श्रद्धालुओं ने वहाँ पहुँच कर शंख बजा कर पूजा-पाठ किया और ‘हर-हर महादेव’ के नारों से ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI)’ द्वारा संरक्षित ये स्थल गूँज उठा। पिछले कई वर्षों से कश्मीरी पंडित ये लगातार माँग कर रहे हैं कि ‘शारदा पीठ कॉरिडोर’ को खोल दिया जाए। ये एक सकारात्मक खबर है, इसीलिए भी क्योंकि मार्तण्ड सूर्य मंदिर में शंकराचार्य जयंती के दिन ये कार्यक्रम हुआ। भारत की चार दिशाओं में चार मठ स्थापित करने वाले जगद्गुरु ने सही मायनों में देश का एकीकरण किया था।
अब कई ज्योतिषाचार्यों एवं पंडितों ने यहाँ पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की है। बता दें कि शारदा पीठ ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK)’ में स्थित है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी रही और बड़ी संख्या में जवाब मौजूद रहे। अनंतनाग को स्थानीय मुस्लिमों द्वारा ‘इस्लामाबाद’ भी कहा जाता है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा की व्यवस्था की थी। एक शिला को मंच बना कर वहाँ श्रद्धालुओं ने पूजा की।
सिकंदर शाह मीरी नाम के इस्लामी आक्रांता ने इस मंदिर को तोड़ा था। पूजा के दौरान श्रद्धालुओं के हाथ में भगवा झंडे भी थे, जिन पर ॐ अंकित था। साथ ही उनके हाथों में देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी था। भगवद्गीता का पाठ भी किया गया। ASI द्वारा संरक्षित स्थलों पर पूजा-पाठ किया जा सकता है, अगर पहले से होता रहा हो। महाराजा रुद्रनाथ अनहद महाकाल के नेतृत्व में ये कार्यक्रम हुआ। वो राजस्थान के करौली में ‘राष्ट्रीय अनहद महायोग पीठ’ के अध्यक्ष हैं।
दशकों बाद कश्मीर के मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना हुई।🙏🙏🚩#SunTemple #JammuAndKashmir pic.twitter.com/yMy5aT4i0h
— Nishant Azad/निशांत आज़ाद🇮🇳 (@azad_nishant) May 8, 2022
उन्होंने जिला प्रशासन को इस कार्यक्रम की अनुमति के लिए ईमेल किया था, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। उन्होंने कहा कि हमने आगे बढ़ने का फैसला लिया, क्योंकि चुप रहने की बजाए कार्य करने बेहतर है। यहाँ आकर कमिश्नर को कार्यक्रम की सूचना दी गई, जिन्होंने कहा कि ये सुरक्षित क्षेत्र नहीं है। फिर पुलिस फ़ोर्स भेजी गई। आदिगुरु शंकराचार्य भी कश्मीर आए थे। श्रद्धालुओं का कहना है कि उस स्थल को पवित्र करने के लिए वो वहाँ गए थे।
जैसा कि हमें पता है, भगवान सूर्य की पूजा भारतीय सनातन संस्कृति में आदिकाल से होती आई है। इसका उदाहरण ऋग्वेद में भी मिल सकता है, जिसमें सूर्य को इस संपूर्ण ब्राह्मण की दृष्टि बताया गया है। उन्हें प्रकाश का देवता माना गया। आज भी उत्तर बिहार में छठ पूजा (सूर्य षष्ठी) सबसे बड़ा त्यौहार है। उन्हें इस जगत का पालन-सर्वेक्षक बताया गया है। जीवन के अर्थ को ही ऋषियों ने सूर्योदय का वर्णन करना करार दिया। उन्हें समस्त लोकों को प्रकाशित करने वाला बताया गया है।
Today participated in the auspicious Navgrah Ashtamangalam Pooja at Martand Sun temple, Mattan, Anantnag. Truly a divine experience in a godly ambience. pic.twitter.com/xL16dVASyw
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) May 8, 2022
ललितादित्य मुक्तापीड ने करवाया था भव्य मंदिर का निर्माण
कश्मीर में एक बहुत ही पराक्रमी राजा हुआ थे जिनका नाम था ललितादित्य मुक्तापीड। कहा जाता है कि मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण उन्होंने ही करवाया था। उनका तो सन् 761 में निधन हो गया और उनके बाद उनके वंश के अधिकतर राजा दुर्बल साबित हुए, लेकिन ये मंदिर लोगों को अपने प्रिय राजा की याद दिलाता रहा। मार्तण्ड सूर्य मंदिर की भव्यता की तुलना विजयनगर सम्राज्य की राजधानी हम्पी से होती रही है। अफ़सोस ये कि इस्लामी आक्रांताओं की बर्बरता के कारण हम्पी के भी अब सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। वो शहर, जिसकी तुलना तब के रोम से होती थी।
उस समय भारत, ईरान और मध्य एशिया के कई क्षेत्रों में करकोटा वंश के ललितादित्य मुक्तापीड का शासन फैला हुआ था। भले ही इस मंदिर का भव्य निर्माण उन्होंने कराया हो, इससे जुड़ी कथा महाभारत में पांडवों तक जाती है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर के आसपास कुल 84 अन्य छोटे-छोटे मंदिर हुआ करते थे, जिनके आज सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। ओडिशा के कोणार्क और गुजरात के मोढेरा की तरफ मार्तण्ड सूर्य मंदिर का स्थान भी देश में उच्चतम था।
15वीं शताब्दी की शुरुआत में इस्लामी आक्रांताओं ने इसे जड़ से मिटाने की ठान ली और इसे अवशेषों में बदल दिया। एक पूरी की पूरी फ़ौज को इस मंदिर को तोड़ने में पूरे एक साल लग गए, जिससे इसकी मजबूती का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इससे तीन किलोमीटर की दूरी पर ही मट्टन में शिव मंदिर स्थित है, जहाँ आज भी पूजा-पाठ होता है। यहाँ एक जल के कुंड के भीतर ही शिवलिंग स्थित है। श्रद्धालु वहाँ आज भी दर्शन के लिए जाते हैं।
अनंतनाग शहर से पूर्व दिशा में इसकी दूरी 3 किलोमीटर है और ये जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये एक किस्म के पठार पर स्थित है। उस समय इसकी कलाकृतियाँ देख कर लोग अचंभे से भर जाते थे। सिकंदर शाह मीरी ने उनमें से कई मंदिरों को ध्वस्त कर के उन्हीं ईंट-पत्थरों का इस्तेमाल कर मस्जिदें बनवाई। उसने इसकी जड़ों को खोदना शुरू किया और उनमें से पत्थर निकाल कर लकड़ियाँ भर देता था। इसके बाद उन लकड़ियों में वो आग लगवा देता था। इस तरह उसने मार्तंड सूर्य मंदिर को ध्वस्त कर डाला।
ये भी जानने लायक बात है कि इस मंदिर को नष्ट करने की सलाह उसे एक ‘सूफी फकीर’, जिसे आजकल ‘सूफी संत’ भी कहते हैं, उसने दी थी। उसका नाम था – मीर मुहम्मद हमदानी। वो कश्मीर के समाज को इस्लामी बनाना चाहता था। वो इलाके में ब्राह्मणों के वर्चस्व को तोड़ कर सारी संपदा हथियाना चाहता था। इसके बाद कई भूकंप भी आए, जिनमें मंदिर को क्षति पहुँची। जिस पठार पर इसे बनाया गया था, वहाँ से तब अधिकतर कश्मीर घाटी को देखा जा सकता था।