नारद कुंड, डडीसरी, मांट तहसील, मथुरा, उत्तर प्रदेश

नारद कुंड, डडीसरी, मांट तहसील, मथुरा, उत्तर प्रदेश

जिस नारद कुंड पर नारदजी ने निवास किया वहां डुबकी लगाने से इच्छा पूरी हो जाती है। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग का प्रमुख धार्मिक स्थल नारद कुंड।

मांट तहसील से करीब 25 किलो मीटर डडीसरी स्थित कुंड देव ऋषि नारद जी की तपस्या का साक्षी रहा है। यहां प्रगट हुए भगवान भोले बाबा भी आस्था के केंद्र बने हुए हैं। प्रसिद्ध नागा बाबा इस कुंड के मध्य जल मे बैठकर भक्तों को रामचरित मानस का पाठ सुनाते थे। पूर्व मे यह कुंड पक्का बना हुआ था। जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।

मान्यता के अनुसार एक बार श्री कृष्ण भांडीरवन मे गाय चरा रहे थे। देखा सामने देव ऋषि नारद आ रहे हैं। प्रणाम के बाद श्री कृष्ण ने देवऋषि नारद से आने का कारण पूछा तो नारद जी ने खेल का प्रस्ताव रखा। कृष्ण के न नुकर करने के बाद कृष्ण खेलने को तैयार हो गये। खेल का नाम था आंख मिचौली। नारद छिपने के लिए यमुना किनारे चलते हुए भद्रवन पहुंचे और वहां से भी आगे निकल कर इसी कुंड पर पहुंचे। देखा अनेक गाय कुंड मे स्नान कर रहीं है तो वे भी धूल-धूसित होकर गायों के मध्य लेट गए।

श्रीकृष्ण ने जब अपनी आंखें खोली तो ध्यान से देखा और उसी कुंड पर पहुंच गए। देवऋषि नारद को खोज लिया। कुछ समय के लिए कृष्ण और नारद जी ने इसी कुंड पर निवास किया। मान्यता है कि इस कुंड मे जो स्नान करता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। ग्रामीण इस कुंड का जीर्णोद्धार करते रहे हैं लेकिन प्रशासन, नेता और समाज सेवियों ने कुंड के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया है।


नारद कुंड, बद्रीनाथ, उत्तराखंड

शास्त्रों में उल्लेख के अनुसार ‘नार’ शब्द का अर्थ जल है। यह सबको जलदान, ज्ञानदान करने एवं तर्पण करने में निपुण होने की वजह से नारद कहलाए। सनकादिक ऋषियों के साथ भी नारद जी का उल्लेख आता है। भगवान सत्यनारायण की कथा में भी उनका उल्लेख है। नारद अनेक कलाओं में निपुण माने जाते हैं। यह वेदांतप्रिय, योगनिष्ठ, संगीत शास्त्री, औषधि ज्ञाता, शास्त्रों के आचार्य और भक्ति रस के प्रमुख माने जाते हैं। यह भागवत मार्ग प्रशस्त करने वाले दवॢष हैं। ‘पांचरात्र’ इनके द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ है। वैसे 25 हजार श्लोकों वाला प्रसिद्ध नारद पुराण भी इन्हीं के द्वारा रचा गया है।

पुराणों में इन्हें भगवान के गुण गाने में सर्वोत्तम और अत्याचारी दानवों द्वारा जनता के उत्पीडऩ का वृतांत भगवान तक पहुंचाने वाला त्रैलोक्य पर्यटक माना गया है। कई शास्त्र इन्हें विष्णु का अवतार भी मानते हैं और इस नाते नारद जी त्रिकालदर्शी हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार यह ब्रह्मा जी के कंठ से उत्पन्न हुए और ऐसा विश्वास किया जाता है ब्रह्मा जी से ही इन्होंने संगीत की शिक्षा ली थी।

भागवत के अनुसार नारद अगाध बोध, सकल रहस्यों के वेत्ता, वायुवत् सब के अंदर विचरण करने वाले और आत्म साक्षी हैं। नारदपुराण में उन्होंने विष्णु भक्ति की महिमा के साथ-साथ मोक्ष, धर्म, संगीत, ब्रह्मज्ञान, प्रायश्चित आदि अनेक विषयों की मीमांसा प्रस्तुत की है। ‘नारद संहिता’ संगीत का एक उत्कृष्ट ग्रंथ है। बद्रीनाथ तीर्थ में अलकनंदा नदी के तट पर नारदकुंड है जिसमें स्नान करने से मनुष्य मात्र पवित्र जीवन की ओर मुखर होता है और मान्यताओं के अनुसार मरने के पश्चात मोक्ष ग्रहण करता है।

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Narad Kund is situated in the religious town of Badrinath in the state of Uttarakhand in India. Badrinath is one of the most important religious places in India and Narad Kund is the second biggest attraction in Badrinath after the main temple. A holy site from where Adi Sankara recovered the idol of lord Vishnu, Narad Kund is one of the most revered centers in Badrinath. It is a recess in the Alakananda river and is naturally sheltered by a rock with projecting angles. This prevents the flow of the water current and provides suitable surroundings for a nice bath. Water in Narada Kund is so hot that it would not be advisable to take long baths in the pond. It is also said that Narad Muni (another very important saint/religious figure in Hinduism) wrote Narad Bhakti Sutra at Narad Kund and thus it got its name.

Narad Kund, Badrinath, Uttarakhand

The devotees usually take holy dip in the kund before they venture for a holy darshan. The scenic beauty and the mythical tales that encircle the place make it a popular tourist as well as religious spots in Badrinath. Water in Narad Kund is always hot even during extreme cold weather of Badrinath. The devotees take a dip in Narad Kund before visiting the main temple. The beautiful surroundings and the mythological significance of Narad Kund make it an attractive place for both religious travelers as well as general tourists. Narad Kund is a must see destination while visiting Badrinath.

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