पौराणिक कथा के अनुसार कलयुग में सोमा नाम का शुद्र धनवान अौर नास्तिक था। वह सदैव वेदों की निंदा करता था अौर वह बहुत ही हिंसक था। सोमा की बहुत ही बुरी तरह मृत्य हुई। वह पिशाच योनि में गया। नग्न देह अौर भयानक आकृति वाला प्रेत मार्ग में खड़ा होकर लोगों को मारने लगा। एक दिन वेद विद्या अौर सत्य बोलने वाले ब्राह्मण कहीं जा रहे थे। वह प्रेत उनको खाने के लिए दौड़ा। ब्राह्मण को देखकर प्रेत रुक गया अौर सन्न हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। उसे इस प्रकार देख ब्राह्मण ने कहा तुम मुझसे क्यों डर रहे हो तो प्रेत ने कहा कि आप ब्रह्म राक्षस हो जिसके कारण मुझे आपसे भय लग रहा है। इतना सुनते ही ब्राह्मण हंसने लगा अौर उसे इस योनि से मुक्ति का रास्ता बताया।
ब्राह्मण ने कहा कि अवंतिका तीर्थ में पिशाचों का नाश करने वाले महादेव रहते हैं। प्रेत ब्राह्मण की बात सुनकर शीघ्र महाकाल वन की अोर चल पड़ा। उसने क्षिप्रा के जल में स्नान किया। उसके बाद पिशामुक्तेश्वर के दर्शन किए। उनके दर्शनों से ही वह पिशाच दिव्य लोक को चला गया। माना जाता है कि जो व्यक्ति पिशाच मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन अौर पूजन करता है उसे धन अौर पुत्र वियोग नहीं सहना पड़ता। वह संसारिक सुखों को भोगता है अौर अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।