यहां की लोक मान्यता के अनुसार इस अजीबो-गरीब परंपरा का जिक्र रामायण में भी किया गया है। यहां के मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां स्वयं भगवान राम ने इस शिवलिंग को स्थापित किया था। कहते हैं कि जब श्रीराम को वनवास के दौरान इस बात का पता चला तो उन्होंने यहां विधि-विधान किया तब नदी के सारे जीव-जंतु यहां आ गए। यहां के लोगों को मानना है कि जिस किसी को शरीर संबंधी कोई बीमारी होती है तो यहां केकड़े चढ़ाने से वो दूर हो जाती है। बता दें कि अन्य दिनों की तुलना में मकर संक्रांति के दिन केकड़े चढ़ाने का अधिक महत्व है।
हर मनोकामना पूरो होने का विश्वास ही है जो दूर-दूर से यहां भक्त आते हैं। बता दें यहां बहुत अधिक संख्या में शिवलिंग पर केकड़े चढ़ाए जाते हैं। साथ ही ये बता दें कि यहां शिवलिंग पर पूजा के दौरान चढ़ाए गए केकड़ों को सही-सलामत पास ही की तापी नदी में मंदिर के पुजारियों द्वारा विसर्जित कर दिया जाता है।