हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी करते हैं मां के दर्शन
भारत की तरह पाकिस्तान में भी शक्तिपीठ (शक्तिपीठ श्री हिंगलाज माता मंदिर) मौजूद है, जो वहां पाकिस्तान की वैष्णो देवी के नाम से प्रसिद्ध है। बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के किनारे बसे हिंगलाज माता मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, यहां पर देवी सती का ब्रह्मरंध्र (मस्तिष्क) गिरा था। इस मंदिर को हिंगुला देवी और नानी का मंदिर या नानी का हज के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के बीच आस्था का केंद्र है। भारत की वैष्णो देवी की गुफा की तरह यहां भी माता गुफा के अंदर मौजूद हैं। इस शक्तिपीठ की देखरेख हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी करते हैं और इस स्थान को चमत्कारिक मानते हैं। आइए जानते हैं हिंगलाज माता मंदिर के बारे में, जिसका उल्लेख इतिहास में 2000 साल से भी पुराना है…
हिंगलाज माता मंदिर: अंदर से बिल्कुल वैष्णों देवी जैसा है नजारा
भारत में जो महत्व वैष्णों देवी मंदिर का है, पाकिस्तान में वही महत्व हिंगलाज माता मंदिर का है। मां के दरबार का नजारा देखेंगे तो आपको महसूस ही नहीं होगा कि आप पाकिस्तान में हैं। ऐसा लगेगा मानो आप वैष्णों देवी के दर्शन करने आए हैं। यहां आकर हिंदू और मुसलमान का भेद खत्म हो जाता है। यहां सभी मां की पूजा करते हैं और गुफा के अंदर मां के जयकारे लगते रहते हैं।
नानक देव और गुरु गोरखनाथ भी कर चुके हैं दर्शन
नवरात्रि के नौ दिनों में माता हिंगलाज के दरबार में पाकिस्तान के साथ-साथ भारत से भी कई भक्त पहुंचते हैं और मनोरथ सिद्ध के लिए माथा टेकते हैं। मनोरथ सिद्धि के लिए गुरुनानक देव, दादा मखान और गुरु गोरखनाथ जैसे आध्यात्मिक संत यहां आ चुके हैं और मां के दर्शन किए हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी यहां मां के दरबार में माथा टेक चुके हैं।
भगवान राम भी कर चुके हैं मां के दर्शन
कहा जाता है कि परशुरामजी ने 21 बार क्षत्रियों का अंत किया था। ऐसे में बचे हुए क्षत्रिय मां हिंगलाज की शरण में गए और अपनी रक्षा के लिए अभय दान लिया। तब माता ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया। मान्यता यह भी है कि रावण के वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम ने भी माता हिंगलाज की यात्रा कर दर्शन किए थे। साथ ही उन्होंने यहां एक यज्ञ भी किया था।
भीमलोचन भैरव रूप में हैं भगवान शिव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हिंगलाज माता के दरबार में जो भी भक्त शीश नवाता है, उसे पूर्वजन्मों के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता। ऊंची पहाड़ी पर मां हिंगलाज का गुफा के अंदर दरबार है और भगवान शिव यहां भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। मंदिर के परिसर में भगवान गणेश, कालिका माता की प्रतिमा लगी हुई हैं। मंदिर के साथ ही गुरु गोरखनाथ का चश्मा भी है। मान्यता है कि माता हिंगलाज देवी यहां हर रोज सुबह स्नान के लिए आती हैं।
बलुचिस्तान के मुस्लिम भी हैं मां के भक्त
बलुचिस्तान के मुसलमान हिंगला माता को नानी कहकर बुलाते हैं और उनको लाल कपड़ा, अगरबत्ती, मोमबत्ती, इत्र-फलुल चढ़ाते हैं। यह हिंदुओं और मुसलमानों का संयुक्त तीर्थ है। हिंगला माता चारण वंश के लोगों की कुल देवी मानी जाती हैं। जब पाकिस्तान नहीं था और यह मंदिर भारत में आता था तब लाखों लोग हर रोज मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते थे।
कई बार हो चुका है शक्तिपीठ श्री हिंगलाज माता मंदिर पर हमला
हिंगलाज माता के मंदिर पर कई बार पाकिस्तान के चरमपंथी हमला कर चुके हैं लेकिन माता को नुकसान नहीं पहुंचा पाया है। स्थानीय हिंदू और मुसलमानों ने चरमपंथियों के हमले से मंदिर को कई बार बचाया भी है। एकबार जब आतंकवादी मंदिर को नुकसान पहुंचाने के लिए आए तब वे सभी हवा में लटक गए थे। तब से इस मंदिर के चमत्कार के आगे सभी शीश झुकाते हैं।
शक्तिपीठ श्री हिंगलाज माता मंदिर: भारत में इस रूप में हैं मां हिंगलाज
हिंगलाज माता का दूसरा स्वरूप भारत में तनोट माता के रूप में स्थित है। तनोट माता का मंदिर जैसलमेर जिला से करीब 130 किमी दूर है। देश-विदेश में यह मंदिर तब चर्चा में आया जब भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान के 3000 बम भी इस मंदिर को खरोच तक नहीं लगा सके। साथ ही कम से कम 500 बम मंदिर परिसर में फटे तक नहीं। यह बम आज भी मंदिर के संग्रहालय में रखे हुए हैं।