शक्तिपीठ श्री हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान

शक्तिपीठ श्री हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान, पाकिस्तान: नानी का हज

पाकिस्तान के 2% हिन्दुओं में नई ऊर्जा का संचार करती है हिंगलाज यात्रा: गुफा में विद्यमान माँ के दर्शन को जुटे 1 लाख हिन्दू, बलूचिस्तान में स्थित है शक्तिपीठ

Hinglaj Yatra Hindu festival brings mountainous region in Pakistan to life.
Hinglaj Yatra Hindu festival

पाकिस्तान में चुनिंदा हिन्दू धर्मस्थल ही बचे हैं, जिनमें एक हिंगलाज माता मंदिर भी है। पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों और मंदिरों पर हमले की घटनाएँ सामने आती रहती हैं।

चढ़ाई, ढलान और ज्वालामुखी के बीच हिन्दू लोग हर साल माँ हिंगलाज के मंदिर तक यात्रा करते हैं। दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में ये यात्रा हिन्दुओं के लिए एक उम्मीद है। शिखर के शीर्ष तक पहुँचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियाँ चढ़नी होती है। इन सीढ़ियों को पत्थर के ऊपर बनाया गया है। इस दौरान वो नारियल और गुलाब के फूल अर्पित करते हुए चलते हैं। हिंगलाज माता का मंदिर एक गुफा में स्थित है। 3 दिवसीय पूजन के लिए हर साल ये हिन्दुओं के जुटान का स्थल बनता है।

बलूचिस्तान स्थित हिंगोल नेशनल मार्क पाकिस्तान के इस सबसे बड़े हिन्दू त्योहार का गवाह बनता है। शुक्रवार (26 अप्रैल, 2024) को शुरू होकर ये यात्रा सोमवार को समाप्त हुई। 1 लाख से भी अधिक हिन्दुओं ने इसमें अबकी हिस्सा लिया। पाकिस्तान में तमाम अत्याचारों के बाद अब भी 44 लाख हिन्दू बचे हुए हैं। वो कुल जनसंख्या का मात्र 2.14% हैं। देश में चुनिंदा हिन्दू धर्मस्थल ही बचे हैं, जिनमें एक हिंगलाज माता मंदिर भी है। पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों और मंदिरों पर हमले की घटनाएँ सामने आती रहती हैं।

हिंगलाज मंदिर माँ के शक्तिपीठों में से एक हैं, यहाँ माता सती के अवशेष गिरे थे। महाराज गोपाल फ़िलहाल इस मंदिर के पुजारी का कामकाज देख रहे हैं। यात्रा सिंध प्रान्त से शुरू होती है, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर है। हैदराबाद और कराची जैसे शहरों से बसों में भर कर लोग आते हैं। मकरान कोस्टल हाइवे के माध्यम से ये यात्रा पूरी होती है, जो दक्षिणी एवं दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान को जोड़ता है। बच्चों और सामान के साथ कई लोग पैदल इस यात्रा को पूरा करते हैं।

ये यात्रा इतनी सरल भी नहीं होती, क्योंकि इलाका रेगिस्तानी है और हवाओं के कारण चेहरे को धूल से बचाना होता है। सामान्यतः लोग रंगीन कपड़े पहन कर आते हैं। इस दौरान वो ‘जय माता दी’ और ‘जय शिव शंकर’ का उद्घोष करते रहते हैं। कई लोग संतान की चाह में भी आते हैं, उनका मानना है कि माँ के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। यात्रा के दौरान धर्मस्थल को सजाया जाता है। बच्चों, खासकर शिशुओं को देवी-देवताओं से आशीर्वाद दिलाया जाता है।

यहाँ हिंगोल नदी में श्रद्धालु स्नान भी करते हैं। हिंगलाज माता मंदिर के जनरल सेक्रेटरी वरसिमल दीवानी इस बात से निराश हैं कि भारत-पाकिस्तान के कटु संबंधों के कारण भारत के श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए नहीं आ पाते। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से माँग की कि भारत के हिन्दुओं को हिंगलाज यात्रा के लिए वीजा दिया जाए, इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क भी बढ़ेगा। बता दें कि पाकिस्तान में 3 शक्तिपीठ हैं।

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