हिमाचल प्रदेश के मंडी में पांडवों का बनाया ये मंदिर आज भी लोगों के लिए रहस्यमयी बना हुआ है। दरअसल ये मंदिर 2850 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। आज तक कोई भी व्यक्ति इस मंदिर की छत नहीं लगवा पाया।
कहा जाता है कि मार्कण्डेय ऋषि ने इस मंदिर में सालों तक तपस्या की थी। उन्हीं की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा शक्ति रूप में स्थापित हुई। बाद में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मंदिर का निर्माण किया। पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। जिसके चलते मां दुर्गा इनकी तपस्या से प्रसन्न हुईं और उसने पांडवों को कौरवों के खिलाफ युद्घ में जीत का आर्शीवाद दिया। इस दौरान यहां मंदिर का निर्माण तो किया गया लेकिन पूरा मंदिर नहीं बन पाया।
माना जाता है कि मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद पांडव इस मंदिर से चले गए। वहीं इस मंदिर में हर साल बर्फ तो काफी गिरती है लेकिन मां के स्थान पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती। क्योंकि ये पूरा क्षेत्र वन्य जीवों से भरा पड़ा था। कहा जाता है कि शिकारी अक्सर इस मंदिर में आने लगे थे। वह भी माता से शिकार में सफलता की प्रार्थना करते थे और उन्हें इससे कामयाबी भी मिलने लगी थी। जिससे इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया।
लेकिन सबसे हैरानी वाली बात ये थी कि मंदिर पर छत्त नहीं लग पाई। कई बार मंदिर पर छत्त लगवाने का काम शुरू किया गया। माता की शक्ति के आगे कभी भी इस मंदिर में छत्त नहीं लग पाई। आज भी हर साल यहां लाखों श्रद्घालु आते हैं।