भगवान श्रीराम का ओर में 400 वर्ष व रामराजा मंदिर में राज्याभिषेक हुआ था उसके बाद से आज तक यहां भगवान श्रीराम को राजा के रूप में पूजा जाता है। यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान राम की राजा के रूप में पूजा होती है। अयोध्या के रामलला के साथ ओरछ के रामराजा भी हमेशा चर्चा में रहते हैं।
अयोध्या से मध्य प्रदेश के ओरछा की दूरी तकरीबन 450 किलोमीटर है, इन दोनों ही जगहों के बीच गहरा संबंध है। जिस तरह अयोध्या में ‘राम नाम’ की गूंज हर समय व हर चीज में गूंजती है, वैसे ही ओरछा की धड़कन में भी राम विराजमान हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी व अहम विशेषता है कि यहां हिंदुओं के साथ मुसलमान भी राजाराम की आराधना करते हैं। बता दें कि अयोध्या और ओरछ का करीब 650 साल पुराना रिश्ता है।
Name: | श्री रामराजा मंदिर (Ram Raja Temple) ramrajatemple.mp.gov.in |
Location: | Survey No, 457, Tikamgarh-Jhansi Rd, Marg, Orchha, Madhya Pradesh 472246 India |
Deity: | Lord Rama |
Festivals: | Makar Sankranti, Vasant Panchami, Shivaratri, Ram Navami, Kartik Purnima, Vivah Panchami |
Affiliation: | Hinduism |
Elevation: | 214 m (702 ft) |
Architect(s): | – |
Date established: | 16th century AD |
16वीं शताब्दी में ओरछ के बुंदेला शासक मधुकर शाह की महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या से रामलला को ओर ले आई थीं। ओरछा के शासक मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे, जबकि उनकी महारानी राम उपासक थीं।
इस बात को लेकर हमेशा दोनों में विवाद कौ स्थिति रहती थी। एक बार मधुकर शाह ने रानी को बुंदावन जाने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया और अयोध्या जाने की जिद पकड़ ली। तब राजा ने रानी पर व्यंग्य किया कि अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ।
इस बात को रानी ने इतनी गंभीरता से ले लिया कि वह अपने आराध्य राम को लाने सन् 1573 के आषाढ़ माह में अयोध्या के लिए निकल पड़ी। श्रीराम की प्रतिमा को लेकर रानी गणेश कुंवरि साधु-संतों और महिलाओं के बड़े जत्थे के साथ अयोध्या से ओरछा की यात्रा पर निकल पड़ीं। साढ़े आठ माह में प्रण पूरा करके रानी सन् 1574 की रामनवमी को ओरछा पहुंची।
यह सब देख कर राजा बेहद आश्चर्यचकित हो गए। महारानी कुंवरि गणेश ने ही श्रीराम को अयोध्या से ओरछा लाकर विराजित किया था। उनके लिए यह विशाल मंदिर बनाया गया परन्जतु कहते हैं की उन्हें सुरक्षा कारणों से मंदिर की बजाए रसोई में विराजमान किया गया। इसके पीछे तर्क था कि माना जाता था कि रजवाड़ों की महिलाओं की रसोई से अधिक सुरक्षा और कहीं नहीं हो सकती।
ओरछा में राम हिन्दुओं के भी, मुसलमानों के भी
ओरछा निवासी मुन्ना खान जो सिलाई का काम करते हैं, कहते हैं कि रोज दरबार में सजदा कराता हूं। हमारे तो सब यही हैं।
ओरछा के ही नईम बेग भी राम को उतना ही मानते हैं जितना रहीम को।
वह कहते हैं कि आपसी भाईचारा ऐसा ही रहे, जैसा ओरज के राम राजा दरबार में है।यही तो ओर के राम की गंगा-जमुनी तहजीब है।
ओरछा के राम श्रद्धा चाहते हैं इसलिए उन्होंने विशाल चतुर्भुज मन्दिर त्याग कर वात्सल्य भक्ति की प्रतिमूर्ति महारानी कुंवरि गणेश की रसोई में बैठना स्वीकार किया था। राम भक्तों के भावों में बसते हैं, भवनों की भव्यता में नहीं।
दिया जाता है ‘गार्ड ऑफ ऑनर’
रामराजा मंदिर की एक और खासियत है कि एक राजा के रूप में विराजने की वजह से उन्हें 4 बार की आरती में सशस्त्र सलामी यानी ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया जाता है।
ओरछा घूमने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का है। तापमान आरामदायक रहता है और ओरछा के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए उपयुक्त है ।यहमध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले का एक शहर है। यह स्थान मंदिरों, महलों, स्मारकों, किलों और बहुत कुछ के लिए प्रसिद्ध है। ओरछा के स्मारक आंतरिक कार्य के साथ-साथ वास्तुकला की प्राचीन ऐतिहासिक शैलियों के लिए भी देखने योग्य हैं।