श्रीखंड महादेव भगवान शिव का ये सबसे पूजनीय स्थल माना जाता है। इसकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि भगवान शिव को कई महीनों तक मजबूरी में यहां की गुफा में छिपना पड़ा था। दरअसल ये गुफा हिमाचल के जिला कुल्लू में करीब 18500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
यह श्रीखंड महादेव सदियों से भगवान शिव के विशाल शिवलिंग रूप का गवाह बनता रहा है। माना जाता है कि भगवान शिव को यहां अपने एक भक्त के कारण यहां छिपना पड़ा था। भस्मासुर नामक राक्षस ने कई सालों तक भगवान शिव की कड़ी तपस्या की थी। उसकी तपस्या से खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा।
भस्मासुर ने भोलेनाथ से कहा कि उसे ऐसा वरदान चाहिए कि जिस जीव के सिर पर भी वह हाथ रखे, वह उसी समय भस्म हो जाए। भोलेनाथ भगवान ने उसे यह वरदान दे दिया। लेकिन इस वरदान के पाने के बाद भस्मासुर में इतना घमंड भर गया कि वह अपनी शक्तियों से हर किसी पर राज करने लगा। उसने भगवान शिव को ही जलाने की तैयारी कर ली। इससे बचने के लिए भगवान शिव को निरंमंड के देओढांक में स्थित एक गुफा में छिपना पड़ा। कई महीनों तक भगवान शिव को यहां रहना पड़ा।
उधर, भगवान विष्णु ने भगवान शिव को बचाने और भस्मासुर का नाश करने के लिए मोहिनी नाम की एक सुंदर महिला का रूप धारण कर लिया। भस्मासुर भी इसके सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया। मोहिनी ने भस्मासुर को अपने साथ नाचने को कहा। भस्मासुर भी तैयार हो गया। वह मोहिनी के साथ नाचने लगा गया। इसी बीच चतुराई दिखाते हुए मोहिनी ने नाचने के दौरान अपना हाथ सिर पर रखा। इसे देखकर भस्मासुर ने जैसे ही अपना हाथ अपने सिर पर रखा वह उसी समय राख में बदल गया।
कहा जाता है कि भस्मासुर का नाश होने के बाद सभी देवता देवों ढांक पहुंचे और भगवान शिव को यहां से बाहर आने की प्रार्थना की। लेकिन भोलेनाथ एक गुफा में फंस गए। यहां से वह बाहर नहीं निकल पा रहे थे। वह एक गुप्त रास्ते से होते हुए इस पर्वत की चोटी पर शक्ति रूप में प्रकट हो गए। जब भगवान शिव यहां से जाने लगे तो अचानक एक जोरदार धमाका हुआ लेकिन बाद शिवलिंग आकार की एक विशाल शिला बच गई। इसे ही शिवलिंग मानकर उसके बाद पूजा जाने लगा।
इसके साथ ही दो बड़ी चट्टाने हैं जिन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश के नाम से पूजा जाता है।मार्ग में पार्वती बाग नाम की जगह आती है। ऐसा माना जाता है कि सबसे दुर्लभ ब्रह्म कमल भी यहीं पाए जाते हैं।यहां पार्वती झरना भी दर्शनीय है। मां पार्वती इस झरने का स्नानागार के रूप में इस्तेमाल करती थीं। श्रीखंड महादेव जाते वक्त रास्ते में खास तरह की चट्टानें भी मिलती हैं जिन पर कुछ लेख लिखे हैं। कहा जाता है भीम ने स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया था। मगर समय की कमी के कारण पूरी सीढ़ियां नहीं बन पाई।