वेदगिरीश्वर मंदिर, तिरुकलुकुन्द्रम, चेंगलपट्टू, तमिलनाडु

वेदगिरीश्वर मंदिर, तिरुकलुकुन्द्रम, चेंगलपट्टू, तमिलनाडु

Name: वेदगिरीश्वर मंदिरVedagiriswarar Temple
Location: Adivaram St, Tirukazhukundram, Chengalpattu District, Tamil Nadu 603109 India
Deity:
Affiliation: Hinduism
Architecture Type: Dravidian Architecture

वेदगिरीश्वर मंदिर: जहाँ पुजारी से प्रसाद लेने सदियों तक आए 2 शुद्ध शाकाहारी गिद्ध

मान्यता है कि गिद्धों को देखने वाले श्रद्धालुओं में अगर कोई पापी है तो वो नहीं आते थे। पुजारी के हाथों से प्रसाद ग्रहण करने दोनों गिद्ध 1998 तक दिखाई दिए, उसके बाद नहीं। माना जाता है कि या तो उन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया या अब ऐसा कोई व्यक्ति बचा ही नहीं, जिसने पाप न किया हो।

तमिलनाडु, देश का एक ऐसा राज्य है जहाँ कई प्राचीन और भव्य मंदिर हैं। सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्व रखने वाले तमिलनाडु के हजारों मंदिरों में से एक है, चेंगलपट्टू जिले के तिरुकलुकुन्द्रम में स्थित वेदगिरीश्वर मंदिर। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है वेदगिरीश्वर मंदिर। इस मंदिर को पक्षी तीर्थम भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ सदियों से रोजाना दो ऐसे शाकाहारी गिद्ध आया करते थे जो चावल, गेहूँ, घी और शक्कर से बना प्रसाद मंदिर के पुजारी के हाथों से ग्रहण करते थे।

वेदगिरीश्वर मंदिर का इतिहास

यह पूरा क्षेत्र एक पौराणिक क्षेत्र माना जाता है। भारद्वाज ऋषि ने भगवान शिव से लंबी आयु के लिए प्रार्थना की ताकि वो सभी वेदों को सीख सकें। इस पर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ति की लेकिन उन्होंने चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) को प्रदर्शित करते हुए चार पर्वत बनाए और एक मुट्ठी मिट्टी लेते हुए भारद्वाज ऋषि से कहा कि इन चार पर्वतों के आगे जितनी एक मुट्ठी मिट्टी है, वो (भारद्वाज ऋषि) उतना ही सीख पाएँगे।

यही वेद रूपी चार पर्वत जहाँ स्थित हैं, वहाँ भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर का निर्माण किया गया, जिन्हें वेदगिरीश्वर कहा गया। इसका तात्पर्य है, वेदों के पर्वत के स्वामी। वेदगिरीश्वर मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला में पल्लव वंश के शासकों द्वारा कराया गया।

भगवान शिव और माता पार्वती के दो अलग मंदिर

तमिलनाडु के वेदगिरीश्वर मंदिर या पक्षी तीर्थम परिसर में दो मंदिर हैं, जिनमें से एक मंदिर पहाड़ी के ऊपर जबकि दूसरा मंदिर पहाड़ी के नीचे तलहटी में स्थित है। तलहटी में स्थित मंदिर को ‘ताझा कोइल’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ माता पार्वती, माता त्रिपुरसुन्दरी के रूप में विराजमान हैं। साथ ही इस मंदिर में माता के साथ भक्तवचलेश्वर भी स्थित हैं।

पहाड़ी के ऊपर स्थित मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। 4 गोपुरम वाला यह मंदिर ‘मलइ कोइल’ कहलाता है। इस मंदिर में भगवान शिव वेदगिरीश्वर के रूप में मौजूद हैं, उनके साथ माता सोक्का नायगी भी विराजमान हैं। मंदिर को दक्षिण भारत के कैलाश और ‘कझुगु कोइल’ के नाम से भी जाना जाता है।

सदियों से आने वाले शाकाहारी गिद्ध

भगवान शिव से 8 ऋषियों को गिद्ध में बदल जाने का श्राप मिला लेकिन महादेव ने उपाय स्वरूप यह बताया कि हर युग में दो ऋषि मोक्ष को प्राप्त करेंगे और इस संसार को छोड़ जाएँगे। 6 ऋषि तो सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में मुक्त हो गए लेकिन गिद्ध रूपी दो ऋषि कलियुग (वर्तमान) में मंदिर में आते रहे। माना जाता था कि उन्हें देखने वाले श्रद्धालुओं में अगर कोई पापी है तो वो नहीं आते थे।

इन गिद्धों के बारे में मान्यता है कि ये गिद्ध वाराणसी से गंगा स्नान करके तिरुकलुकुन्द्रम पहुँचते, जहाँ वेदगिरीश्वर मंदिर के पुजारी इन्हें चावल, गेहूँ, घी और शक्कर से बना प्रसाद ग्रहण कराते। उसके बाद दोनों गिद्ध रामेश्वरम मंदिर जाते और रात्रि विश्राम चिदंबरम मंदिर में करते। उसके बाद गिद्ध फिर से वाराणसी चले जाते, जहाँ गंगा स्नान करके पुनः उसी क्रम में यात्रा के लिए निकल पड़ते। सदियों से मंदिर आने वाले दोनों गिद्ध सन् 1998 तक दिखाई दिए लेकिन उसके बाद इन गिद्धों का दिखाई देना बंद हो गया। माना जाता है कि या तो उन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया या अब ऐसा कोई व्यक्ति बचा ही नहीं, जिसने पाप न किया हो।

वैसे तो गिद्ध शुद्ध माँसाहारी होते हैं और मरे हुए जानवरों के अवशेषों पर निर्भर करते हैं लेकिन ये दोनों गिद्ध शुद्ध शाकाहारी थे। अगर गूगल मैप के हिसाब से एक सामान्य गणना करें तो इन दोनों गिद्धों द्वारा रोजाना लगभग 4,870 किमी की दूरी तय की जाती थी।

कैसे पहुँचें वेदगिरीश्वर मंदिर?

तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में स्थित वेदगिरीश्वर मंदिर का नजदीकी हवाईअड्डा चेन्नई में स्थित है जो यहाँ से लगभग 55 किलोमीटर (किमी) की दूरी पर है। चेंगलपट्टू रेलवे स्टेशन वेदगिरीश्वर मंदिर से लगभग 12 किमी दूर है, जो दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से रेलमार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ है। इसके अलावा मंदिर से चेन्नई जंक्शन की दूरी लगभग 74 किमी है। चेन्नई और तमिलनाडु के प्रमुख शहरों से चेंगलपट्टू के लिए आसानी से बस सेवा उपलब्ध है ऐसे में सड़क मार्ग से भी मंदिर पहुँचना काफी आसान है।

Check Also

चेन्नाकेशव मंदिर, बेलूर, हासन जिला, कर्नाटक

चेन्नाकेशव मंदिर, बेलूर, हासन जिला, कर्नाटक: 103 साल में हुआ था तैयार

चेन्नाकेशव मंदिर Chennakeshava Temple, also referred to as Keshava, Kesava or Vijayanarayana Temple of Belur, …