पहेलियाँ: हिंदी की मजेदार पहेलियाँ – किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle) कहते हैं जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रामक रूप में प्रस्तुत किया गया हो और उसे बूझने अथवा उस विशेष वस्तु का ना बताने का प्रस्ताव किया गया हो। इसे ‘बुझौवल’ भी कहा जाता है। पहेली व्यक्ति के चतुरता को चुनौती देने वाले प्रश्न होते है। जिस तरह से गणित के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, उसी तरह से पहेलियों को भी नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता। पहेलियां आदि काल से व्यक्तित्व का हिस्सा रहीं हैं और रहेंगी। वे न केवल मनोरंजन करती हैं पर दिमाग को चुस्त एवं तरो-ताजा भी रखती हैं।
पहेलियाँ: बूझो तो जानें
1.तीन पैर की चम्पा रानी,रोज नहाने जाती।
दाल-भात का स्वाद न जाने,
कच्चा आटा खाती।
मध्य काट दो तो मैं ‘चला’,
प्रथम कटे जाऊं ‘कला’।
बच्चों अब तो बतला दो,
क्या है मेरा नाम भला?
उत्तर: 1
चकला
हवा में जाऊं करूं सलाम।
मध्य कटे बनूं ‘कदम’,
प्रथम कटे तो कर दें ‘तंग’।
नाम बताओ मेरा तुम,
बसंत से मेरा संबंध।
उत्तर: 2
पतंग
कटे तो ‘डर’ बन जाऊं।
खुद न चल सकूं, मगर राही को
मंजिल पर पहुंचाऊं।
उत्तर: 3
डगर
प्रथम कटा तो धूल।
मुझसे ही हैं दिन और रातें,
जीवन का हूं मूल।
उत्तर: 4
सूरज
चलूं तेरे आगे।
मुझको कभी न पकड़ सके, तू
चाहे जितना भागे।
फिर भी हर पल साथ तेरे, फिर
भले हाथ में हाथ न हो,
अंधियारे से डरती हूं, बस
उजियाले में मन लागे।
उत्तर: 5
परछाई
गोल-गोल काटूं चक्र।
सब कहते मुझको माता,
फिर भी रखें कदमों पर।
उत्तर: 6
वैसे मैं मटके के अंदर।
जटा-जूट और बेढंगा,
ऊपर काला अंदर गोरा।
पानी हूं मीठा-ठंडा,
रहता हूं लम्बे पेड़ों पर।
उत्तर: 7
नारियल
सब मुझसे शोभा पाते।
न हूं मैं तो तन पर कपड़े
धारण न कर पाते।
उत्तर: 8
बटन
लेकिन कहीं न जाती हूं।
ऑफिस हो या हो संसद,
हर जगह फसाद कराती हूं।
उत्तर: 9
कुर्सी
प्रथम काट कर छली गई।
पानी में रह कर सुख भोगा,
बाहर आकर तली गई।