एकादशी का व्रत

एकादशी का व्रत

ये बात बिल्कुल सही है कि एकादशी का व्रत करने से भगवान श्री हरि बड़े प्रसन्न होते हैं तथा वे मनुष्य का दुर्भाग्य, गरीबी व क्लेश समाप्त कर देते हैं परंतु समझने वाली बात यह है कि जो भगवान श्री हरि अपनी भक्ति से प्रसन्न होकर या हरि भक्ति के एक अंग एकादशी से प्रसन्न होकर हमारा दुर्भाग्य हमेशा-हमेशा के लिए मिटा सकते हैं।

वह हमें श्री हनुमान जी की तरह हर समय अपनी सेवा का सौभाग्य दे सकते हैं। अपना सखा बना सकते हैं। यहां तक की अपने माता-पिता का अधिकार व मधुर रस तक का अधिकार प्रदान कर हमें सौभाग्यशाली बना सकते हैं।

उनसे दुनियावी वस्तुएं मांगना कहां की समझदारी है? भगवान ने बिना मांगे विभीषण जी को सोने की लंका का राजा बना दिया, सुदामा जी को बिना मांगे रातों-रात अतुलनीय सम्पदा का मालिक बना दिया, घर में अपनी सौतेली माता से बे-इज्जत हुए ध्रुव महाराज को विशाल साम्राज्य दे दिया, श्री ध्रुव को हमेशा के लिए अपने चरणों में स्थान दे दिया, भयानक विपत्ति से गजेन्द्र, द्रौपदी व प्रह्लाद जी आदि भक्तों की रक्षा करी।

यदि भगवान आपकी सुन ही रहे हैं या आप भगवान से प्रार्थना कर ही रहे हैं तो भगवान से उनकी भक्ति मांगे, जिसके मिलने से सिर्फ आप ही नहीं, आपके सारे परिवार का व आपका कई जन्मों का नित्य कल्याण हो जाएगा।

अतः यदि आप एकादशी करते हैं तो भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी की शिक्षाओं के अनुसार भगवान से एकादशी व्रत के बदले दुनियावी सौभाग्य, गरीबी हटाना इत्यादि प्रार्थना न करके उनकी नित्य-अहैतुकी भक्ति के लिए अर्थात हमेशा-हमेशा हम परम-आनन्द के साथ भगवान की विभिन्न प्रकार की सेवाएं करते रहें। इस प्रकार की प्रार्थना करनी चाहिए।

~ श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज [bhakti.vichar.vishnu@gmail.com]

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