A Murder Mystery Story in Hindi ए डिस्कवरी इन साइमन

A Murder Mystery Story in Hindi ए डिस्कवरी इन साइमन

इस वक्त मैं जहां था लखनऊ की सीमा वहीं समाप्त होती थी। मैं खेतों के मध्य सड़क पीछे छोड़ता चला जा रहा था, परंतु मेरा मस्तिष्क आसिम की ही बात पर लगा था। उसने बताया था कि सुमन का कत्ल हो गया है। सुमन कौन थी? आसिम उसे कैसे जानता था। यद्यपि मैं आसिम के बहुत निकट था। कत्ल, कातिल, खून, हथियार… इन्हीं के मध्य मैं सायमन की ओर बढ़ता चला जा रहा था।

आसिम का बयान मेरे लिए आश्चर्यजनक था। उसका बयान कुछ इस तरह था:

ए डिस्कवरी इन साइमन Page 1: भीम सईद

“मुझे लखनऊ आए 20 दिन गुजर चुके हैं। कल मैंने सबिया से कहीं घूमने चलने के लिए कहा। इस पर पहले तो वह तैयार न हुई पर बाद में उसने स्वयं सायमन चलने को कहा।”

मैं सायमन से अपरिचित था। वहां सबिया की दोस्त सुमन रहती थी। हम लगभग 9 बजे सायमन पहुंचे। वहां पहुंच कर सुमन और उसकी मां के चेहरों से लग रहा था जैसे उनकी अभी नोकझोंक हुई हो। हमें यहां रुकना अजीब सा लगा। मैंने सबिया से बाहर चल कर टहलने को कहा। वह भी सुमन और उसकी मां का उखड़ा मूड महसूस कर रही थी, लिहाजा तुरंत तैयार हो गई।

सुमन की मां ने हमें पास की नहर के बारे में बताया और पुल पर से एक पान लाने को कहा। जब हम घर लौटे तो सुमन की मां वहां दिखाई न दीं, यद्यपि बाद में पता चला कि वह पड़ोसिन के घर गई थीं और जब हम उस कमरे में पहुंचे, जिसमें पहले हम बैठे थे, तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि सामने सुमन की लाश पड़ी थी।

आसिम का बयान महत्वपूर्ण था। सबिया अचानक सदमे के कारण बेहोश हो गई और इस समय एक प्राइवेट अस्पताल में थी। फिर भी, चूंकि आसिम के अनुसार सबिया हर समय उसके साथ रही थी। अतः आसिम का बयान ही मेरे लिए पर्याप्त था।

शव के निरीक्षण से भी किसी सुराग तक न पहुंचा जा सका।

सुमन की मां को खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था। वह कुछ कैसे बतातीं। सुमन ही उनका अंतिम सहारा थी। अब उनका इस दुनिया में कोई न था। मेरी सहानुभूति उनके साथ थी।

शव के निरीक्षण से भी मैं किसी सुराग तक न पहुंच सका। उसके पेट पर बड़ा सा एक जख्म था तथा सीने पर एक सुराख नजर आ रहा था जो संभवतः रिवाल्वर की गोली का था। अब यदि कहीं मेरी नजर ठहरी तो वह थे पैरों के निशान जो दाएं पैर के थे। जमीन ऐसी थी कि वहां आसानी से पैरों के निशान नहीं बन सकते थे, परंतु वहां दाएं पैर के निशान थोड़ी थोड़ी दूरी पर थे। यद्यपि वे बहुत धुंधले थे, पर उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था और साथ ही यह बात भी थी कि उनका पीछा भी नहीं किया जा सकता था। फिलहाल ये निशान एक महत्त्वपूर्ण सुराग भी हो सकते थे।

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार सुमन के शरीर पर 3 घातक घाव थे। पहला पेट में था जो चाकू या खंजर का था। सीने में कारतूस और सिर पर एक घातक वार का जख्म था, जो लाठी आदि का था।

सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि वह घाव माथे से सिर के अंतिम सिरे तक था। शायद किसी ने पीछे से वार किया था। मेरे विचार से हत्यारे ने पहले लाठी से वार कर के सुमन को बेहोश कर दिया होगा। फिर चाकु से प्रहार किया और अंत में गोली मारी।

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