“हां पैंथर, बोलो।”
“अंकल, मैं उसी वक्त उस महिला की लाश देखना चाहता हूं।”
“लेकिन अभी तो रात है, भई। कल सुबह देख लेना।”
“नहीं अंकल, अभी और इसी वक्त। शायद अपने केस की कोई कड़ी मिल जाएं।”
“तो ठीक है, तुम पुलिस स्टेशन पहुंचो।”
थोड़ी देर बाद कमिश्नर पैंथर को “डेड हाउस” में ले गए। लाश वहीँ रखी थी। काफी देर तक पैंथर लाश का मुआयना करता रहा। कमिश्नर भी असमजंस में थे कि आखिर इतनी रात में पैंथर को क्या सूझा। पैंथर लाश को देखते देखते आंखों के पास ठिठक गया। उस ने उस की पलकें उठाई कि लाश की आंखे कुछ कहना चाहती हैं। लेकिन क्या? यह पैंथर के लिए आश्चर्य का विषय था।
“कमिश्नर अंकल, मुझे इस लाश की आंख के रेटिना का फोटो चाहिए।”
पैंथर का सवाल चौकाने वाला था। कमिश्नर के चेहरे पर प्रश्न उभरते चले गए। वह क्षण भर सोचने लगे कि आखिर पैंथर चाहता क्या है। फिर बोले “लेकिन पैंथर, इस से क्या होगा? वैसे भी इस के लिए सरकार की आज्ञा लेनी पड़ेगी, जो शायद न मिले।”
“अंकल, सरकार को आज्ञा देनी पड़ेगी। हम जनता के सेवक हैं। हमारा काम है, अपराधियों को पकड़ना। इस में सरकार को क्या आपत्ति हो सकती है,”
“नहीं अंकल, लाखों लोगों की जिंदगी की सुरक्षा के लिए यह कोई अमानवीय कार्य नहीं।”
“ठीक है पैंथर, मैं कोशिश करूंगा,” कमिश्नर ने पैंथर को आश्वासन दिया। जिस बात की आशंका थी वही हुई। सरकार ने अनुमति नहीं दी। लेकिन पैंथर हारने वाला न था। उस ने फिर अपील की और इस बार उस की कोशिश सफल हुई। सरकार ने उस की प्रार्थना मान ली। पैंथर ने अपने एक मित्र फोटोग्राफर से उस लाश की आंखों के अनेक फोटो खिंचवाए। फिर नेगेटिव को कई तरीकों से बड़ा किया डेवलेप करवाया। उस डेवलेप किए प्रिंट में जो फोटो बना उसे देख कर सभी आश्चर्यचकित रह गए। उस में उसी हत्यारे बैंजामिनो का फोटो था। जिस पर पुलिस को पहले से ही शक था।
अगले ही दिन हत्यारा सींखचों के पीछे पहुंच गया। एक बार फिर पैंथर ने एक पेचीदा केस सरलता से हल कर दिया। उस दिन अखबारों के पृष्ठ पैंथर की खबरों से भर गए। सभी जानने को उत्सुक थे कि आखिर राज़ क्या है?
पैंथर ने लोगों के कहने पर वह राज बता ही दिया। उस का कहना था कि उसे इस केस का सूत्र “नागिन” फिल्म से मिला, जिस में कुछ लोग नाग की हत्या कर देते हैं। तब उन की तस्वीर नाग की आंखों में कैद हो जाती है और नागिन अपने दुश्मनो से बदला लेती है। लेकिन लोगों को यह बात अजीब लगी।
तब पैंथर ने इस का वैज्ञानिक आधार बताया कि नेत्र विशषज्ञों और विधि विज्ञानं के गहन शोधों से यह परिणाम सामने आया है कि मानव या किसी भी जीव की आंखें किसी अत्याधुनिक कैमरे से भी सूक्ष्म और जटिल कार्य करने में सक्षम होती हैं। 1863 में ब्रिटेन के फोटोग्राफर विलियम वार्नर ने भी यह सिद्ध किया था।
आस्ट्रेलिया के एक शरीर क्रिया वैज्ञानिक का कहना है कि मनुष्य की आंखे मृत्यु के बाद भी उन चित्रों को अपने पटल पर संजोए रखती हैं, जो मृत्यु से ठीक पूर्व उस के सामने आए होते हैं। यदि मृत्यु अंधेरे में हो तो भी मृतक के रेटिना में पाई जाने वाली कोशिकाएं सामने के दृश्य की धुंधली सी आकृति कैद कर लेती हैं। हालांकि अपराध अन्वेषण में यह प्रयोग अभी शुरूआती दौर में है, लेकिन यह काफी फायदेमंद हो सकता है। इसी विधि से उस महिला का कातिल पकड़ा जा सका और उस का साथी भी।
सभी ने पैंथर की सूझबूझ की प्रशंसा की, जिस के कारण एक पेचीदा केस हल किया जा सका।
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