अब्दाली की लूट - Invasion of Ahmad Shah Abdali

अब्दाली की लूट – Invasion of Ahmad Shah Abdali

इतने पर भी जब इस धर्माध बादशाह को संतोष नहीं हुआ तो उस ने मथुरा का नाम बदल कर ‘इसलामाबाद’ रख दिया। उस जमाने के कागजातों में यही नाम चलता रहा। पर औरंगजेब की आंखे बंद होते ही मथुरा नगरी फिर मथुरा बन गई क्योंकि औरंगजेब केवल कागजातों में ही इसलामाबाद लिख सकता था, करोड़ों धर्मप्राण हिंदुओ के ह्रदय में बसे मथुरा शब्द को वह भला कैसे मिटा सकता था! यह काम तो शायद सौ औरंगजेब भी नहीं कर सकते थे।

धर्माध औरंगजेब के मरते ही मथुरा और व्रंदावन में फिर उसी तरह मंदिर खड़े हो गए। उस के बाद के मुगल बादशाहों ने इन्हें तोड़ कर व्यर्थ ही हिंदुओ का दिल दुखाना उचित नहीं समझा। शायद उन्हें अपने लड़ाई झगड़े और षडयंत्रो से ही फुर्सत नहीं मिली। कुछ भी हो, जब अब्दाली मथुरा पहुंचा तो वहां सैकड़ों मंदिर सिर उठाए खड़े थे। उस ने सोचा, ‘लगे हाथों इन मंदिरों को तोड़ कर पुण्य भी कमा लूं। इन के भीतर तो लाखों की संपत्ति हाथ लगेगी। महमूद गजनवी की तरह शायद मेरी किस्मत भी खुल जाए।’

अब्दाली ने दोनों तीर्थो को घेर लिया।

उन दिनों मथुरा और व्रंदावन में बहुत से तीर्थयात्री बाहर से आए हुए थे। कृष्ण जन्माष्टमी निकट थी। अफगानों के आगमन से चारों ओर सत्राटा छा गया। कुछ भाग गए, अधिकांश घिर गए। अब्दाली ने मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने, घर और बाजारों को लूटने का आदेश दे दिया। देखते ही देखते लाखों करोडो की संपत्ति लूट ली गई। कुछ लोगों ने सामना किया पर काट डाले गए। बहुत से साधु, ब्राहाण, पुजारी मूर्तियों की रक्षा के लिए प्रतिमाओं से लिप्त गए। लुटेरों ने मूर्तियों के साथ-साथ उन के शरीरों के भी टुकड़े टुकड़े कर दिए। हजारों यात्री व नगरवासी भी मारे गए। मथुरा और व्रंदावन कृष्णभक्ति संप्रदाय के ग्रंथों में भरा पड़ा है।

पठानों ने इतनी बड़ी संख्या में हिंदुओ की हत्या की कि दोनों तीर्थो के मंदिर, बाजार, घर, गली लाशों से पट गए। कोई उन्हें उठने वाला न रहा बरसात की घटन भरी गरमी और उमस से लाशें जल्दी ही सड़ गई। चारों ओर गिद्ध, गीदड़, कुत्ते, मक्खी और दुर्गंध का साम्रज्य स्थापित हो गया। मथुरा और व्रंदावन को इस तरह श्मशान बना कर अब्दाली आगरा पर धावा मारने ही वाला था की उस की सेना में हैजा फ़ैल गया।

हैजा बड़ी भयंकरता से छावनी में फैला। प्रति दिन सैकड़ों अफगान मरने लगे। यह नई विपत्ति थी। सभी लुटेरे अपने प्राणों की खैर मनाते हुए थरथर कांप रहे थे। पता नहीं कब किस की बारी आ जाए। शिविर में महाकाल का तांडव नृत्य हो रहा था। मृत्यु बिना हथियार के ही अब्दाली के कई सौ सैनिकों के प्राण ले चुकी थी। लगता था प्रकृति इन खूंखार हत्यारों और लुटेरों से हजारों निर्दोष प्राणियों की हत्या का ब्याज समेत बदला ले रही हो।

अब्दाली घबरा उठा। आगरा लूटना तो दूर, अब उसे अपनी जान के ही लाले पद गए। उस की चौथाई से ज्यादा फौज हैजे का शिकार हो गई। वह डेरे डंडे उठा कर ताबड़तोड़ दिल्ली ओर भागा और लालकिले में ही आ कर दम लिया। मथुरा और दिल्ली के बीच की यात्रा में भी कई हजार अफगान हैजे से मर गए। अपने बीमार और अधमरे साथियों को यों ही असहाय मरने को छोड़ कर अफगान दिल्ली की ओर भाग चले। कौन किस की सुनता! सब को अपनी अपनी जान बचाने की पड़ी थी।

Check Also

28 Years Later: 2025 British post-apocalyptic horror film

28 Years Later: 2025 British post-apocalyptic horror film

Movie Name: 28 Years Later Directed by: Jonathan Entwistle Starring: Jodie Comer, Aaron Taylor-Johnson, Ralph Fiennes, …