अनोखे जवाब: शर्मा मैडम सत्रह का पहाड़ा पूछ रही थी और बच्चों का दिल बैठा जा रहा था। जिन बच्चों को पहाड़ा आता था वे उचक-उचक कर हाथ उठा रहे थे। कुछ बेहद उत्साही बच्चे तो, मिस मैं… मिस मैं… कहते हुए मेज पर लटक कर औंधे हो गए थे।
अमित जानता था कि जो बच्चे पहाड़ा बोलने के लिए धक्का मुक्की कर रहे हैं उनसे मिस कभी नहीं पूछेंगी। इसलिए वह भी मैदान में कूद पड़ा और गला फाड़कर चीखने लगा – “मिस मैं… प्लीज़ज़ज़”।
“पहले बताओ कि आज तुम देरी से क्यों आये थे”?
“वो…वो मैं रेनकोट प्रेस कर रहा था”।
मिस ने अमित को गौर से देखा और गहरी साँस ली।
“पहाड़ा बोलू”?
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“ठीक है, बताओ” कहते हुए मिस ने अमित की ओर देखा।
अमित के शब्द गले में ही फँस गए।
अमित हड़बड़ाता हुआ बोला – “पर मिस, आप तो उन बच्चों से पूछती हो ना, जिन्हें नहीं आता और जो चुपचाप बैठे रहते हैं”।
“क्या मतलब” मिस ने आश्चर्य से पूछा?
अमित ने घबराते हुए बाकी बच्चों की तरफ़ देखा जो बेंच के नीचे मुँह करके हँसते हँसते बेदम हुए जा रहे थे।
माथे का पसीना पोंछते हुए अमित बोला – “सत्रह एकम सत्रह”।
बच्चों की हँसी छूट गई। तभी उसे मुकेश की आवाज़ सुनाई दी – “इसको सबका एकम ही आता है”।
अमित ने सोचा कि अब मिस मुकेश की अच्छे से खबर लेंगी और इधर उधर की बातों में पीरियड निकल जाएगा। पर मिस तो उसे ऐसे देख रही थी जैसे मछली की आँख को अर्जुन ने देखा होगा।
“आगे बोलो” मिस दहाड़ी।
“वो मुकेश मेरा मज़ाक उड़ा रहा है ना तो मैं थोड़ा भूल गया हूँ” अमित ने हकलाते हुए कहा।
“वाह, इस हिसाब से तो मेरी पूरी याददाश्त चली जानी थी क्योंकि तुम सब तो रोज़ मेरा मज़ाक़ उड़ाते हो”।
ये सुनते ही सब बच्चे अचानक एक हो गए और गले में हाथ रखकर बोले – “नहीं मिस, हम तो ऐसा सोच भी नहीं सकते”।
अमित की तो जैसे भगवान ने सुन ली थी। मिस का ध्यान दूसरी तरफ़ जा रहा था। वह वापस पहाड़े पर ना आ जाए इसलिए वह तुरंत बोला – “मिस, मुकेश कह रहा था कि आपको देखकर उसे भालू की याद आती है”।
“भालू कब कहा था” मुकेश चीखता हुआ बोला?
“तो क्या कहा था” अमित ने तुरंत पूछा?
“वो… वो… आप एक बार स्टाफ़ रूम में सो गई थी तो आपके ख़र्राटे दूर तक आ रहे थे इसीलिए मैंने कहा था कि आपको देखकर मुझे शेर के सपने आते हैं”।
“हँसों, हँसो, सब चुप क्यों हो” मिस ने गुस्से से कहा?
और ये सुनकर बेचारे नासमझ बच्चे पेट पकड़ कर एक दूसरे को धकियाते हुए पागलों की तरह हँसने लगे।
उधर अमित ने प्राणों की बाज़ी लगा दी थी पर वह सत्रह दूनी याद नहीं कर पा रहा था।
अमित ने गहरी साँस लेते हुए सोचा – “घंटी बजने में सिर्फ़ चार मिनट बचे है”।
मिस गुस्से में चिल्लाई – “अमित, आगे का पहाड़ा बोलो”।
अमित जो कि सत्रह में सत्रह जोड़कर बस चौतीस तक पहुँचने ही वाला था, अचानक ही सारी गिनती भूल गया और बोला – “छत्तीस”।
“तो अट्ठारह दूनी क्या होता है” मिस ने घूरते हुए पूछा।
“मिस, आजकल मैं अंग्रेज़ी, भूगोल और हिंदी पर ज़्यादा ध्यान दे रहा हूँ, इसलिए पूरा पहाड़ा सुना नहीं पा रहा हूँ”।
“पूरा पहाड़ा…” कहते हुए मिस हवा की तेज़ी से आई और उसका कान उमेठ दिया।
“चौथी कक्षा तक तुम पहुँचे कैसे” मिस आग बबूला होते हुए बोली?
“सीढ़ियों से” अमित ने मुँह भी कान की तरफ़ घुमाते हुए कहा बच्चों की हँसी फूट पड़ी।
“चलो, हिंदी विषय का ही बताओ, रामायण किसने लिखी”?
अमित तुरंत बोला – “दादाजी ने…”
“किसके दादाजी ने…” कहते हुए मिस के चेहरे पर अचरज के कई भाव एक साथ आ गए।
“मेरे दादाजी ने, उनके पास एक मोटी सी कॉपी है। एक दिन मैंने पूछा था कि वह उसमें क्या लिखते हैं तो वह बोले – “मैं आजकल रामायण लिख रहा हूँ”।
और यह कहते हुए अमित ने गर्व से सभी बच्चों की तरफ़ देखा।
बच्चे हँस-हँस कर पागल हुए जा रहे थे।
मिस ने अमित के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – “तुम मेरे विद्यालय के सबसे होनहार छात्र हो”।
“अच्छा, अब अंग्रेज़ी का बताओ कि लंच और डिनर में क्या अंतर होता है”।
“मिस, कुछ भी अंतर नहीं होता है। सब में खाना ही खाना पड़ता है”।
मिस ने मुँह पर रुमाल रखकर हँसी रोकने की पूरी कोशिश करी पर वह इतना हँसी कि उनकी आँखों से आँसूं छलक गए।
तभी घंटी बज गई और अमित ने राहत की साँस ली, साथ ही मिस ने भी…