अप्पू की पेंटिंग: जंगल के जानवरों की हास्यप्रद बाल-कहानी

जानवरों की हास्यप्रद बाल-कहानी: अप्पू की पेंटिंग

अप्पू हाथी पूरे जंगल में अपना स्टूल लिए घूम रहा था पर मोंटू बन्दर उसे कहीं भी नज़र नहीं आ रहा था।

थक हार कर अप्पू एक आम के पेड़ के तने से टिककर बैठ गया।

अप्पू के बैठते ही पेड़ इतनी जोर से हिला कि हीरु तोते के हाथ से पका हुआ आम छूटकर सीधे अप्पू के सिर पर जा गिरा।

पिलपिला आम गिरते ही अप्पू के चेहरे पर उसका गूदा लग गया।

हीरु तोता डर गया और जैसे ही उड़ने को हुआ अप्पू बोला – “अरे हीरु, तुमने कहीं मोंटू को देखा है क्या”?

हीरु बोला – “आज सुबह उसने मेरी बहुत सुन्दर पेंटिंग बनाई थी। उसके बाद तो वह नहीं दिखा”।

“मुझे भी अपनी पेंटिंग बनवानी है” अप्पू रुआँसा होते हुए बोला।

हीरु अप्पू की बात सुनकर दुखी हो गया। वह जानता था कि मोंटू अप्पू की पेंटिंग नहीं बनाना चाहता है।

हीरु कुछ कहता, तब तक अप्पू बोला – “अब मैं क्या करूँ? अगर मैं इतना मोटा हूँ तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है और मोंटू के वो आठ स्टूल मैंने जानबूझकर तो नहीं तोड़े!”

हीरु को अप्पू की बात सुनकर बहुत हँसी आई।

तभी उसकी नज़र स्टूल की तरफ़ गई और वह बोला – “ये स्टूल लेकर क्यों घूम रहे हो”?

“पापा ने बहुत मजबूत स्टूल बनाकर दिया है और कहा है कि इसी पर बैठकर पेंटिंग बनवाना। यह टूटेगा नहीं”।

हीरु मुस्कुरा दिया और बोला – “चलो, मोंटू के पास चलते है”।

“तुम्हें पता है कि वह कहाँ मिलेगा”? अप्पू अपना स्टूल पकड़कर खड़ा होते हुए बोला।

“हाँ… पता है” कहते हुए हीरु उड़ चला।

हीरु धीरे धीरे उड़ रहा था और उसके पीछे अप्पू अपना स्टूल उठाकर हाँफते हुए भागा जा रहा था।

मन ही मन में उसने अपने लिए सारे रंग भी सोच लिए थे।

“लाल रंग की नेकर,पीले रंग की शर्ट और काले गॉगल्स में कितना स्मार्ट लगूँगा” अप्पू ने खुश होते हुए सोचा।

कुछ ही देर बाद अप्पू और हीरु नदी के किनारे पहुँच गए।

अप्पू ने स्टूल ज़मीन पर रखते हुए कहाँ – “पर मुझे अभी तैरने का मन नहीं है। मुझे तो अपनी पेंटिंग बनवानी है”।

हीरु हँसता हुआ बोला – “अरे, उस तरफ़ तो देखो… वहाँ मोंटू बैठा हुआ है”।

अप्पू ने तुरंत अपना स्टूल उठाया और मोंटू की ओर दौड़ पड़ा।

मोंटू, जो आराम से बैठकर नदी की ओर देख रहा था, धम धम की आवाज़ सुनकर पीछे पलट कर देखने लगा।

अप्पू को देखते ही मोंटू भागने को हुआ, तभी हीरु चिल्लाया – “मोंटू, भागो मत, अप्पू तुम्हारे स्टूल पर नहीं बैठेगा। देखो, वह अपना स्टूल साथ लेकर आया है”।

मोंटू ने आश्चर्य से अप्पू की ओर देखा जो हाथ में स्टूल पकड़े हाँफ रहा था।

मोंटू का दिल भर आया।

उसने अप्पू को अपने पास आने का इशारा किया।

अप्पू बहुत खुश हो गया और मोंटू के सामने स्टूल पर बैठ गया।

मोंटू अपने पेंट और ब्रश पकड़ते हुए बोला – “अब तुम बिलकुल हिलना डुलना नहीं …”

“मैं इतना शांत ऐसे बैठूंगा कि कोई बता ही नहीं पाएगा कि मेरी मूर्ती है या मैं हूँ,बस मेरी लाल नेकर, पीली शर्ट और काले गॉगल्स ज़रूर बना देना”।

अप्पू को इतना खुश देखकर हीरु और मोंटू हँस पड़े।

अप्पू बिना हिले डुले चुपचाप बैठ गया।

हीरु जानता था कि अप्पू को “फ़न पार्क” जाने का बहुत मन था और इसीलिए वह मोंटू से अपनी पेंटिंग बनवाने के लिए उत्सुक था, क्योंकि जंगल के राजा शेर सिंह ने एलान किया था कि जिस की भी पेंटिंग को सबसे ज़्यादा लोग पसंद करेंगे, वह मोंटू के साथ फ्री में “फ़न पार्क” जाकर सारी राइड्स पर जाकर दिन भर मजे कर सकता था।

मोंटू ने पेंटिंग बनानी शुरू करी… पर यह क्या अभी आधी पेंटिंग भी नहीं बन पाई थी कि चरर्र चर्र की आवाज़ें आने लगी।

जब तक कोई कुछ समझ पाता, स्टूल टूट गया और मोंटू लुढ़कता हुआ सीधा पानी के अंदर पहुँच गया।

अप्पू इतना दुखी हो गया कि वह आँखें बंद करके चुपचाप बैठ गया।

इतनी मुश्किल से दिन रात एक करके पापा ने स्टूल बनवाया था।

पापा के लिए तो दुःख लग ही रहा था और अब उसके कारण मोंटू की भी सारी मेहनत बेकार हो गई थी।

“अब मैं कभी कोई पेंटिंग नहीं बनवाऊंगा। पूरे जंगल में अगर सिर्फ़ मेरी ही पेंटिंग नहीं बनेगी तो कौन सा फ़र्क पड़ जाएगा” सोचते हुए अप्पू आँख बंद किये हुए नदी के अंदर ही बैठा रहा।

हीरु भी दुखी होता हुआ वहाँ से उड़ गया।

दिन बीतते गए और आज पेंटिंग प्रतियोगिता का परिणाम आना था।

अप्पू हीरु से बोला – “मेरी पेंटिंग नहीं बन पाई तो क्या हुआ, बाकी सब दोस्तों की तो पेंटिंग बनी है। उन्हें ही देखने चलते है”।

हीरु यह सुनकर मुस्कुरा दिया और अप्पू के साथ पेंटिंग देखने के लिए चल दिया।

हाल में पहुँचते ही अप्पू और हीरु आश्चर्यचकित रह गए।

सभी पेंटिंग करीने से दीवार पर लगी थी, पर सारे पशु पक्षी सिर्फ़ एक पेंटिंग के आगे खड़े थे।

तभी निफ़्टी हिरन अप्पू से बोला – “वो जो सामने पेंटिंग लगी है ना, जिसके आगे सब लोग खड़े है, वही पेंटिंग फ़र्स्ट आई है”।

अप्पू बोला – “चलो देखते है, किसकी पेंटिंग है, अब तो मोंटू के साथ उसको भी “फ़न पार्क” जाने का मौका मिलेगा।

निफ़्टी हँस दिया।

हीरु तो सबके ऊपर से उड़ कर पेंटिंग के पास पहुँच गया और अप्पू भीड़ में से रास्ता बनाता हुआ जब पेंटिंग के पास पहुँचा तो ख़ुशी और आश्चर्य से उसकी चीख निकल गई… बड़ी सी पेंटिंग में वह पीली शर्ट और काले गॉगल्स पहने नदी के अंदर बैठा था।

~ डॉ. मंजरी शुक्ला

Check Also

शिबू ने लालटेन जलाई - सबने दिवाली मनाई: मंजरी शुक्ला

शिबू ने लालटेन जलाई – सबने दिवाली मनाई: एक बहादुर चरवाहे की कहानी

शिबू ने लालटेन जलाई – सबने दिवाली मनाई: बहुत समय पहले की बात है… एक …