बदलाव -आपसी ईर्ष्या पर डा. दर्शन सिंह ‘आशट’ की हिंदी बाल कहानी: गप्पू की आयु तीन वर्ष की थी। एक दिन उसकी मम्मी उसे बाजार ले गईं। शोरूम खिलौनों से भरपूर था। इतने खिलौने? गप्पू दंग हो रहा था।
गप्पू एक चाबी वाली बार्बी गुड़िया पसंद आ गई जिसकी आंखें भूरी थीं। कद लम्बा था और बाल भी भूरे थे। देखने में बहुत सुंदर। दुकानदार ने चाबी से चलाकर दिखाया तो वह नाच करने लगी। गप्पू खिलखिलाकर हंसने लगा मम्मी ने उसे वह खरीद कर दे दी।
बदलाव: टेडी बियर और बार्बी गुड़िया की बाल कहानी
आगे कितने ही टेडी बियर कोई छोटा, कोई बड़ा। कोई मोटा, कोई पतला। कोई कंचो जैसी आँखों वाला।
“मम्मी, मम्मी… ।” गप्पू को एक टेडी बियर पसंद आ गया। यह टेडी बियर काले भूरे रंग का था। चाबी वाला। दुकानदार ने उसे भी फर्श पर रखकर चाबी से चलाया तो टेडी बियर घूमने लगा और साथ ही गाने भी लगा, “टूं टूं टूं, टीं टीं टीं।”
गप्पू उसे बार-बार पकड़कर देखने लगा।
मम्मौ ने समझ लिया कि उसे टेडी बियर पसंद आ गया है। मम्मी ने उसे वह टेडी बियर भी खरीद कर दे दिया।
गप्पू जब घर आकर दोनों से खेलने लगा तो उसे लगा जैसे बार्बी गुड़िया कह रही हो, “समझ नहीं आ रहा कि गप्पू को तुम कैसे पसंद आ गए? तुम्हारी भी कोई शक्ल सूरत है क्या? काला-कलूटा। मोटू।”
“ज्यादा बकबक की तो गप्पू से तेरी शिकायत कर दूंगा। तुम्हे अपनी सुंदरता पर इतना ही गर्व था तो वहीं शोरूम में ही पड़ी रहती।”
बार्बी गुड़िया ने उसे नफरत से देखा।
“मैं तुमसे ज्यादा सुन्दर हूँ। तुम्हें कोई पसंद नहीं करता। देखा था न शोरूम में गप्पू पहले मुझे ही पसंद किया था।”
“अरे मुझे भी तो गप्पू ने ही पसंद किया है।”
गप्पू ने टेडी बियर को चाबी भरी तो वह घूमने लगा और साथ-साथ उसके गाने की आवाज भी आने लगी, “टूं टूं टूं, टीं टीं टीं।”
बार्बी गुड़िया को अच्छा नहीं लग रहा था कि गप्पू टेडी बियर को प्यार करे, उसको झूमता हुआ देखकर उसका गाना सुने।
अब बार्बी गुड़िया गप्पू से नाराज हो गई। गप्पू ने बार्बी गुड़िया में चाबी भरी। लेकिन यह क्या? उसमें कोई हिलजुल नहीं हुई। उसके तेवर ज्यों के त्यों बरकरार थे।
गप्पू ने फिर चाबी भरने की कोशिश की लेकिन वह न मानी।
“मम्मी, मम्मी! यह डॉल तो नाच नहीं रही। वहां तो नाच रही थी।” गप्पू ने दौड़ कर मम्मी से गुड़िया की शिकायत की। “मुझे यह डॉल नहीं चाहिए। मेरे लिए कोई और लेकर आना, अच्छी सी। यह तो चलती ही नहीं। यह देखो टेडी बियर कितना अच्छा नाच करता और गाता है। यह देखिए।”
गप्पू ने टेडी बियर को चाबी दी तो वह खुश होकर कर नाचने और गाने लगा, “टूं टूं टूं, टीं टीं टीं।”
गप्पू ने गुस्से में आकर बाबी गुड़िया को वहां फैंक दिया, जहां वह अपने बूट रखता था गुड़िया को थोड़ी चोट भी आई।
अब गप्पू टेडी बियर से ही खेलता। बार्बी गुड़िया को दोनों पर गुस्सा आता लेकिन गप्पू ने तो उसकी तरफ देखना ही बंद कर दिया था। उसका दम घुटने लगा दो दिन बीत जाने के बाद सोचने लगी कि उसने टेडी बियर का मजाक उड़ाया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। वह अकेली यहां पड़ी बेकार हो जाएगी और गप्पू की मम्मी एक दिन उसे कबाड़ में फैंक देगी। क्यों न मैं ही अपनी आदत में बदलाव लाऊं। दूसरों की ख़ुशी में मुझे भी खुश रहना चाहिए। ऐसा करने से गप्पू भी खुश होगा और टेडी बियर की तरह मुझे भी प्यार मिलेगा।”
दूसरे दिन जब गप्पू अपने बूट लेने लगा तो उसने देखा गुड़िया हिलजुल रही थी और अपनी बाजुएं उसकी तरफ कर रही थी जैसे कह रही हो, “गप्पू मुझे यहां से उठाओ। मैं भी तुम्हाग मन बहलाऊंगी। टेडी बियर का मजाक भी नहीं उड़ाऊंगी। उसके साथ मिलकर नाचूंगी-गाऊंगी।”
गप्पू ने बार्बी गुड़िया को उठाया। उसे थोड़ी चाबी दी। वह तत्काल नाचने-गाने लगी। गप्पू मम्मी से खुश होकर बोला, “मम्मी, मेरी डॉल ठीक हो गई हे। यह देखिए। अब यह भी मेरे टेडी बियर के साथ नाचेगी-गाएगी।”
गप्पू ने बार्बी गुड़िया को एक कपडे से अच्छी तरह साफ किया। फिर टेडी बियर के पास ले आया। टेडी बियर को चाबी भरी, वह घूमता हुआ गाने लगा “टूं टूं टूं, टीं टीं टीं।”
गप्पू ने बार्बी गुडिया को पूरी चाबी भरी तो वह भी टेडी बियर के साथ नाचने लगी।
गप्पू उनको नाचते-गाते देखकर खुश हो रहा था।
टेडी बियर खुश था। बार्बी गुड़िया खुश थी।
रसोई में पकवान बना रही मम्मी तीनों को देख-देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं।