रोज की तरह चकमक चूहा आज फ़िर किसी को उल्लू बनाने का सोचकर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था। वैसे तो सारा मोहल्ला चकमक की कारस्तानियों से भली भाँति वाकिफ़ था परन्तु चकमक की किस्मत बहुत बुलंद थी और इस वजह से उसे कहीं ना कहीं से अपना शिकार मिल ही जाता था। चकमक अपनी मूंछों पर ताव देता इधर उधर देख ही रहा था कि तभी वहाँ से एक छोटा सा बच्चा गुज़रा जिसके हाथ में ढेर सारे रंगबिरंगे गुब्बारे थे। नीला, लाल, हरा, गुलाबी और सफ़ेद… अरे वाह… मैं तो ये सारे गुब्बारे लूँगा और अपने घर में सजाऊँगा… सोचता हुआ चकमक उस लड़के के पीछे चल दिया। जैसे ही वे पार्क पहुँचे, गुब्बारे वाले को देखकर वहाँ पर खेल रहे बच्चों की आँखों में चमक आ गई और वे अपने मम्मी पापा से गुब्बारे खरीदने के लिए जिद करने लगे। उनमें से कुछ बच्चों की तो ज़िद मान ली गई और वे अपने रंगबिरंगे गुब्बारों के साथ खेलने में व्यस्त हो गए पर कुछ बच्चों को डाँट- डपटकर चुप करा दिया गया इसलिए वे गुब्बारे वाले बच्चों को हसरत भरी निगाह से देखते रहे। उधर चकमक की नज़र पूरी तरह गुब्बारों की थैली पर थी जिसे वो उठाकर भाग जाना चाहता था, पर उस लड़के ने थैली उसके डंडे में लटका रखी थी, इसलिए चकमक उसे खींचने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। तभी चकमक ने देखा कि उसके कई दोस्त पार्क में आराम से बैठकर बिस्कुट और वेफ़र्स के टुकड़े कुतर रहे थे। चकमक को भी अब तक भूख लग आई थी। उसे ध्यान आया कि उस लड़के ने भी अब तक कुछ नहीं खाया था। वो सिर्फ़ खाने पीने वालों के खोमचों को एकटक देखकर थूक निगलता और अपनी हथेली में बंद चंद सिक्कों को और भी मजबूती से पकड़ लेता था।
जब चकमक से भूख सहन नहीं हुई तो उसने अपने दोस्तों को इशारे से अपने पास बुलाया। वे सभी एक से बढ़कर एक शैतान थे। चकमक को देखते ही धमा चौकड़ी मचाने के लिए फुर्ती से उसके पास पहुँच गए। चकमक बोला – “जरा सा बिस्कुट तो दो मुझे फिर तुम्हें अपना आज का प्लान बताऊंगा।”
चकमक से भी कहीं ज़्यादा शैतान बीबो चूहे की आँखें ख़ुशी से चमक उठी और उसने बिस्कुट का टुकड़ा चकमक की ओर बढ़ाते हुए पूछा – “हाँ, ये लो जल्दी से खाओ और आगे का प्लान बताओ।”
चकमक बिस्कुट का टुकड़ा कुतरते हुए धीरे से बोला – “इसकी गुब्बारों की थैली चुरानी हैं। मैं अपने बर्थडे पर पूरा घर गुब्बारों से सजाऊंगा।”
“हाँ, फिर हम सब मिलकर गुब्बारे फोड़ेंगे…” नन्हा चूहा मिंकू उछलता हुआ बोला।
“पर ये यहाँ से हट ही नहीं रहा…” चकमक कुछ गुस्से से उस लड़के की तरफ़ देखता हुआ बोला।
अरे रुको, अभी हटेगा… कहते हुए टीटू चूहे ने लड़के के पैर के ऊपर छलांग लगाई, जिससे लड़का डर गया और उसका संतुलन बिगड़ने से गुब्बारों से सजा हुआ डंडा ज़मीन पर गिर पड़ा।
घास की गीली मिट्टी में वो जितना उठने की कोशिश करता उतना ही फिसलकर लोट जाता।
ये देखकर चकमक और उसके दोस्त जोर -जोर से हँसने लगे।
खैर किसी तरह से डंडे का सहारा लेकर वो लड़का खड़ा हुआ और गुब्बारों में लगी मिट्टी अपनी कमीज उतारकर पोंछने लगा।
बीबो उस लड़के की तरफ़ देखता हुआ बोला – “ये लड़का कितना दुबला-पतला हैं ना, इसकी एक-एक हड्डी पसली भी आसानी से गिनी जा सकती है।”
मिंकू बोला-” लगता है ये हम लोगो की तरह खाता पीता नहीं रहता है।”