माँ ने धीरे से अपनी ज़ुबान को काटा और बोली – “पगले, क्या कोई भी माँ कभी अपने बच्चों को गिनकर खिलाती है”। मैं माँ से लिपट गया। वो हंसते हुए बोली -“प्यार से तेरे बालों में हाथ भी नहीं फ़ेर सकती हूँ, वरना इस आटे को कोई भी शैंपू हटा नहीं पाएगा। कॉलेज जाने लगा है, कितना बड़ा घोड़ा हो गया है और दुलार ऐसे कर रहा है मानो नर्सरी का बच्चा हो।”
मैंने मुस्कुराते हुए परांठे और भिंडी के साथ चाय का घूंट लिया, खाना क्या था.. आंखों के सामने बस सुगंधा की ही तस्वीर घूम रही थी गरम गरम पराठें में पिघला हुआ सफेद मक्खन देखकर मै खुशी से चीखा – “अरे वाह, सफेद मक्खन”।
“हाँ, तुझे बहुत पसंद है ना भिंडी के साथ” – माँ ने मुझे तिरछी नजरों से देखते हुए कहा और हँसते हुए बोली – “चल अब जल्दी से बता दे क्या कहना है।”
मैंने चाय का घूंट अंदर करते ही सर नीचे कर लिया।
माँ ने मेरी खिंचाई करते हुए पूछा – “क्या कॉलेज कोई लड़की पसंद आ गई है?”
मैं शरमा गया और मैंने हाँ में सर हिला दिया।
माँ मुस्कुराई – “कोई बात नहीं मुझे भी तो तेरे पापा ने कॉलेज में ही पसंद किया था, उसे घर ले आना”।
मैंने धीरे से कहा – “माँ , मैंने आज तक उसका चेहरा नहीं देखा”।
माँ ने ये सुनते ही गैस बंद कर दी और मेरे पास आकर बैठ गई।
वो कुछ बोलना चाह रही थी पर कुछ कह नहीं पाई।
उन्होंने दो-तीन बार कुछ बोलने की कोशिश की, फ़िर चुप हो गई।
पल्लू से रगड़ रगड़ कर उन्होंने अपना चेहरा मिनटों में ही लाल कर लिया था।
मेरी बाँह खींचते हुए वो थोड़े गुस्से से बोली – “साफ़ साफ़ बता, मैं समझी नहीं।”
वो मेरी आगे की सीट पर बैठती है उसके सुनहरे और घुंघराले बाल है। मैंने केवल उसके हाथ देखे है गोरे पतले, बेहद खूबसूरत… माँ वो इतनी गोरी है इतनी गोरी है…
माँ अब हँस पड़ी।
मुझे हमेशा अपनी मां की ये बात बहुत अच्छी लगती है। वो किसी भी बात को ज्यादा नहीं खींचती ओर ना टेंशन लेती है ,बस मुस्कुरा कर हँस देती है।
उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा – “कितनी गोरी मुझसे भी ज्यादा गोरी?”
मां ने मुझे देखा उनकी काली गहरी आंखों में मुझे ढेर सारा वात्सल्य नजर आ रहा था।
मैंने कहा – “ना… तुझसे ज्यादा गोरा तो कोई हो ही नहीं सकता”।