संवेदना का क्रिसमस ट्री
जैसे ही पापा ने उसे चलने के लिए कहा, उसने दौड़कर उनका हाथ पकड़ लिया और तेज रफ़्तार से चर्च की ओर चल पड़ा। पर रास्ते भर वह क्रिसमस ट्री पर सजाने के लिए चाँदी की घंटियों के बारे में बात करता रहा। उसके पापा बार-बार बात को बदलने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि उनके पास बहुत मुश्किल से तो क्रिसमस ट्री खरीदने के पैसे जुड पाए थे। पर दस वर्ष के मासूम जेम्स को यह सब बाते वह कैसे समझाते इसलिए उसको बातों में मुस्कुराते हुए हाँ में हाँ मिलाते रहे। पर जेम्स को तो मानो चाँदी की चमकती नन्ही नन्ही घंटियों की रुनझुन के अलावा कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। जब से उसने अपने घर की सामने वाली दुकान पर एक बहुत ही खूबसूरत क्रिसमस ट्री देखा था, जिसमें हल्की सी हवा चलते ही नन्ही घंटियों की आवाज़े आने लगती थी, वह दिन रात बस उसे खरीदने के ही सपने देखा करता था। उसे जब भी समय मिलता वह अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा होकर सामने वाली दुकान पर रखे सभी क्रिसमस ट्री देखता रहता। उसके पापा जब उसको ललचाई नज़रों से हमेशा दुकान की ओर देखते पाते तो उन्हें बहुत दुख होता आखिर वो कर भी क्या सकते थे बड़ी मुश्किल से वो घर का खर्चा चला पाते थे। इसीलिए पिछले साल उन्होंने अपने पापा को “ओल्ड एज होम” भेज दिया था। वे जानते थे की जेम्स अपने दादाजी को याद करके बहुत रोता था पर वह भी मजबूर थे।
जेम्स की प्यारी बातों को सुनते कब चर्च आ गया उन्हें पता ही नहीं चला। जब वे दोनों चर्च के अन्दर पहुंचे तो उसके पापा ने उसे चुप रहने का इशारा किया। इधर-उधर देखते हुए अचानक उसकी नज़र उसके दादाजी पर पड़ी जो छड़ी के सहारे टटोलकर गेट से अन्दर आ रहे थे।
उनको देखते ही जेम्स उनकी ओर दौड़ा ओर उनसे जाकर लिपट गया। तभी उसे लगा कि दादाजी गिरने वाले हैं। वह फुर्ती से उठा और उनकी ओर बेतहाशा दौड़ा और उनसे जाकर लिपट गया। दादाजी की आँखों में उसको देखकर ख़ुशी के आँसूं आ गए। जेम्स बोला – “दादाजी अगर मैंने अभी आपको पकड़ा नहीं होता तो आप गिर जाते।”
दादाजी उसको प्यार से चूमते हुए रूंधे गले से बोले – “बेटा, मेरा चश्मा कुछ दिनों पहले टूट गया है। इसलिए मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता।”
यह सुनकर जेम्स उनको प्यार से चूमता हुआ बोला – “आप चिंता मत करना दादाजी, मैं आपके लिए नया चश्मा लाउँगा फिर आपको कोई परेशानी नहीं होगी।”
और यह कहकर उसने उन्हें सावधानी से एक कुर्सी पर बैठाया और कुछ सोचता हुआ वापस अपने पापा के बगल में आकर बैठ गया जो अभी भी आँख मूंदकर प्रार्थना कर रहे थे। थोड़ी देर बाद उन्होंने जेम्स का हाथ पकड़ा और चर्च से बाहर निकल गए। जेम्स ने भी उन्हें दादाजी से मिलने के बारे में कुछ नहीं बताया।
रास्ते में पापा ने जेम्स को कुछ भी न बोलते देखकर हँसतें हुए कहा – “बेटा, आज तो तुम्हें बहुत खुश होना चाहिए। महीनों से तुम उस चाँदी की घंटियों वाले क्रिसमस ट्री को खरीदने के लिए कह रहे हो और आज हम वही लेने जा रहे हैं। “
“नहीं पापा… मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही हैं आप पहले घर चलिए।”
“ठीक हैं बेटा पहले घर ही चलते हैं,” कहते हुए उन्होंने जेम्स को गोदी में उठा लिया।
घर जाते ही जेम्स रजाई के अन्दर दुबक गया और सोचने लगा कि वह दादाजी को अपने घर वापस कैसे ले आये।
और यही सोचते हुए वह सो गया। जब वह सोकर उठा तो देखा कि उसकी मम्मी और पापा उसके बगल में ही बैठे हुए हैं।
मम्मी बोली -“चलो, हम लोग जल्दी से तुम्हारा क्रिसमस ट्री ले आये आखिर हमें तुम्हें तुम्हारा मनपसंद गिफ्ट जो देना हैं।”
जेम्स उठा और जोर जोर से रोते हुए अपने पापा के गले लग गया।
उसके पापा एकदम से घबडा गए और उससे पूछने लगे की क्या हुआ। जेम्स हिचकियाँ लेते हुए बोला – “जब मैं बड़ा हो जाऊँगा और अगर ज्यादा पैसे नहीं कमा पाया तो क्या आप लोग मुझे छोड़ देंगे।”
यह सुनते ही उसकी मम्मी ने उसे प्यार से गले लगा लिया और बोली – “नहीं बेटा अपने बच्चे को कोई क्या पैसे के लिए छोड़ सकता हैं?”
यह सुनकर जेम्स ने पापा का हाथ छोड़ते हुए कहा – “पर जब आप और मम्मी बूढ़े हो जायेंगे तो मैं आपको छोड़ दूंगा?”
यह सुनते ही उसके पापा और मम्मी सन्न रह गए।
उसकी मम्मी तो जोर जोर से रोने लगी और उसे एक जोरदार तमाचा मारते हुए बोली – “ऐसी गन्दी बात तूने कहाँ से सीखी।”
जेम्स की रूलाई फिर फूट पड़ी और वह गाल सहलाता हुआ बोला – “आप लोगो ने भी तो मेरे बूढ़े और कमजोर दादाजी को “ओल्ड एज होम” में डाल दिया। जब आप उन्हें वहां छोड़कर भूल सकते हैं तो मैं भी आप दोनों को उसी जगह छोड़ दूंगा। मैंने देखी हैं वो जगह।
यह सुनते ही उन दोनों के चेहरे शर्म से झुक गए …
उसके पापा तो बहुत देर तक उससे नज़र ही नहीं मिला पाए। अचानक वह उठे और बोले – “चलो बेटा, तुम्हारा गिफ्ट ले ले। फिर चलकर तुम्हारे दादाजी को लेकर आते हैं हमेशा के लिए।
यह सुनते ही जेम्स ख़ुशी के मारे उनके कंधे से झूल गया और बोला – “नहीं पापा, उन पैसो से हम दादाजी का नया चश्मा बनवायेंगे और मैं अगले साल घंटियो वाला ट्री लूँगा।
यह सुनकर पापा ने उसे गले से लगा लिया और दोनों चल पड़े दादाजी को वापस लाने। सामने क्रिसमस ट्री मुस्कुरा रहा था और जोर से घंटियों की खनखनाहट आ रही थी… मानों सभी आज इस क्रिसमस को सच्चे अर्थो में मना रहे थे।