नवाब मियां कब्रिस्तान में लोगों से दूर पीपल के पेड़ के पास खड़े थे। उन के दिल में भी खयाल आया कि आखिरी समय में छोटी बहू का एक बार चेहरा देख लिया जाए। आखिर वे उन के घर की बहू जो थीं। कब्र के सिरहाने जा कर नवाब मियां ने थोड़ा झुक कर छोटी बहू का मुंह देखना चाहा। छोटी बहू का चेहरा बाईं तरफ थोड़ा घूमा हुआ था। नवाब मियां ने जब छोटी बहू के चेहरे पर नजर डाली, तो वे बुरी तरह तड़प उठे। दोनों हाथों से अपना सीना दबाते हुए वे सीधे खड़े हुए। उन की आंखों के आगे अंधेरा छा गया। उन्होंने सोचा कि अगर वे जल्द ही कब्र के पास से नहीं हटे, तो इस कब्र में ही गिर पड़ेंगे।
कब्र पर लकड़ी के तख्ते रखे जाने लगे थे और लोग कब्र पर मुट्ठियों से मिट्टी डालने लगे। नवाब मियां ने भी दोनों हाथों में मिट्टी उठाई और छोटी बहू की कब्र पर डाल दी। जिस चेहरे की तलाश में वे बरसों से बेकरार थे, आज उसी चेहरे पर वे हमेशा के लिए 2 मुट्ठी मिट्टी डाल चुके थे।