दुश्मन बने दोस्त: डींगें हांकने में माहिर कुत्ते, बिल्ली और बन्दर की बाल कहानी

दुश्मन बने दोस्त: डींगें हांकने में माहिर कुत्ते, बिल्ली और बन्दर की बाल कहानी

दुश्मन बने दोस्त: एक किसान ने अपने खेतों की रखवाली के लिए मोती नामक कुत्ता पाल रखा था जो कभी- कभी किसान के साथ घूमने-फिरने गांव में भी चला जाया करता था।

एक दिन उसकी नजर एक छोटी बिल्ली पर पड़ी। उसने लपककर उसे पकड़ लिया तो बिल्ली बोली, “मोती भैया मुझे छोड़ दो…।”

मोती ने पूछा, “तुझे मेरा नाम कैसे मालूम?”

दुश्मन बने दोस्त: गोबिंद भारद्वाज

“मेरा नाम बिल्लो है और मैं भी यहों आसपास रहती हूं, तुम्हारे मालिक और उनके घर वाले तुम्हें मोती कहकर बुलाते हैं, इसलिए मुझे पता है।” बिल्लो बोली।

“अच्छा…अच्छा… बिल्लो रानी हो तुम। वैसे भी मेरा भोजन अभी तक नहीं आया घर से…। आज तुम्हें ही खा लेता हूं।” मोती ने उसे पंजे में कसते हुए कहा।

बिल्लो समझ चुकी थी कि आज तो उसकी मौत निश्चित है और अब कोई ईश्वरीय चमत्कार ही उसे बचा सकता है। तभी उसे एक आवाज
सुनाई दी जो कह रही थी, “मोती इस बिल्लो को छोड़ दो।”

“कौन है यहां जो मुझे बिल्ले को छोड़ने का आदेश दे रहा है?” मोती इधर-उधर नजर घुमाते हुए बोला।

बिल्ले को लगाकि यह आवाज किसी ईधवरीय शक्ति की है, जो उसे बचाने यहां आई है। फिर आवाज आई, “पहले इसे छोड़ो… बाद में
बताऊंगा कि किसने तुम्हें आदेश दिया है।”

मोती घबरा गया। उसे लगा कि यहां कोई है, जो उसे डरा रहा है। उसने तुरंत बिल्लो को छोड़ दिया।

बिल्ले जैसे ही भागने लगी फिर वह रहस्यमय आवाज सुनाई दी, “बिल्लो भागो मत… तुम्हें भी यहीं ठहरना है।”

बिल्लो तो भीगी बिल्ली बन गई। वह चुपचाप वहीं बैठ गई।

“अरे भई तुम कौन हो…सामने तो आओ। मुझे तो लग रहा है कि इस पेड़ में ही कुछ गड़बड़ है।” मोती ने कहा।

“हां, इस पेड़ से ही बोल रहा हूं।” पेड़ से आवाज आई।

“बिल्लो जान प्यारी है तो भागों, इस पेड़ में किसी भूत का निवास है।” मोती ने डरते हुए कहा।

“नहीं…नहीं …भूत-प्रेत कुछ नहीं होता…ये सब बेकार बातें हैं… इस पेड़ पर तो मैं कई बार चढ़ी-उतरी हूं।” बिल्लो ने कहा।

“भूत-प्रेतों को तो मैं भी नहीं मानता…और न कभी देखा।

मैं बचपन से इन खेतों में पला-बढ़ा हूं।” मोती निडर होते हुए बोला।

तभी अचानक धड़ाम से पेड़ की पत्तियों के बीच से कोई जमीन पर कूदा। एक पल के लिए तो बिल्लो और मोती भी घबरा कर उछल पड़े।

“लो मैं आ गया… मैं ही हूँ तुम्हें आदेश देने वाला।” एक बड़ा-सा बंदर था वह।

“अरे बंदर के बच्चे तुम डरा रहे थे हमें?” मोती ने गुराते हुए कहा।

“बंदर का बच्चा तो हूं, लेकिन मेरा नाम कपि है, कपि… तमीज से बात करना समझे।” कपि बंदर ने उसे धमकाते हुए कहा।

“अरे मैं तो बिल्लो के साथ-साथ तुम्हें भी खा जाऊंगा।” मोती उसकी तरफ बढ़ते-बढ़ते रुक गया।

“क्या हुआ… बढ़ते नहीं क्यों आगे?” कपि ने खिर-खिर्र करते हुए कहा।

“चुप रहो… यहां कुछ दिनों से एक बाघ घूम रहा है… उसी के दहाड़ने की आवाज आई है मुझे…।” मोती बोला।

“अरे हां, यह मैंने भी सुना है … वह बाघ जंगल का रास्ता भटक गया है और गांव के खेतों में घूम रहा है। वन विभाग वाले उसे पकड़ने को कोशिश भी कर रहे हैं।” कपि ने कहा। बिल्लो भी डर गई। मोती भी सारी हेकड़ी भूलकर कपि के पीछे छुप गया। जो अभी तक एक-दुसरे के दुश्मन बने हुए थे, वे एक होकर ऐसे बैठे थे – जैसे बहुत पुराने मित्र हों।

“मोती हम बेकार में एक-दूसरे को धमका रहे थे और लड़ रहे थे। लेकिन अपने से बड़े और ताकतवर प्राणी की आहट सुनकर हम दब्बू बन गए।” कपि ने कहा।

“सच कहा कपि भैया… हम सब बेकार में एक-दूसरे के दुश्मन बने हैं।” बिल्ले बीच में बोल पड़ी।

मोती ने उन दोनों से कहा, “आज से हम तीनों मिलजुल कर रहेंगे। यहीं… इन्हीं खेतों में। सुना है एकता में शक्ति है।”

“शक्ति तो है ही एक-दूसरे का साथ मिलने से संबल भी मिलता है।” कपि ने उनको समझाते हुए कहा।

बिल्लो भी बहुत खुश हुई उनकी बातें सुनकर।

थोड़ी देर बाद खबर आई कि वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने उस बाघ को पकड़ लिया है और जल्दी ही उसे उसी घने जंगल में छोड़ देंगे, जहां से वह आया था।

~ ‘दुश्मन बने दोस्त‘ story by ‘गोबिंद भारद्वाज’, अजमेर

Check Also

World Autism Awareness Day Information

World Autism Awareness Day: Date, History, Theme, Significance

World Autism Awareness Day is observed annually on 2nd April to persuade member states to …