पेड़ का भूत: रोचक हास्य कहानी

पेड़ का भूत: रोचक हास्य कहानी

पेड़ का भूत: मंजरी शुक्ला – “पापा, अमरूद का पेड़ कितना बड़ा हो गया है ना” सात साल के अमित ने पेड़ को देखते हुए कहा!

“हाँ, ऐसा लगता है जैसे कल ही लगाया था” पापा तने पर हाथ फेरते हुए बोले।

“आपने मेरे हाथों से लगवाया था ना” अमित ने खुश होते हुए कहा!

“हाँ…” पापा ने कहा और हाथ में पकड़ी हुई प्लेट मुंडेर पर रख दी।

प्लेट रखते ही ढेर सारे तोते तुरंत पेड़ से निकल कर आ गए और अमरूद और मिर्च कुतर कुतर कर खाने लगे।

तभी मम्मी अमित का स्वेटर पकड़े वहाँ आ गई और अमित से बोली – “ठंड लग जायेगी, जल्दी से स्वेटर पहन लो”।

अमित ने झट से स्वेटर पहना और बोला – “मुझे भी अमरूद खाने है”।

“नहीं, तुम्हें पहले से ही सर्दी जुकाम हो रहा है। अमरुद खाने से बढ़ जाएगा।” पापा ने तुरंत कहाअमित ने लड़ियाते हुए हुए मम्मी से कहा – “सिर्फ़ एक अमरूद दे दो”।

पेड़ का भूत: मंजरी शुक्ला जी की रोचक हास्य कहानी

मम्मी हँसते हुए बोली – “नहीं, अमरूद नहीं मिलेगा”।

बेचारा अमित तोतो को अमरूद खाते हुए देखता रहा।

मम्मी और पापा थोड़ी ही देर बाद ऑफ़िस चले गए और अमित दादी के साथ स्कूल चला गया।

शाम को अमित का दोस्त नितिन आया तो अमित गेट के पास ही खड़ा हुआ तोतो को देख रहा था।

नितिन खुश होते हुए बोला – “तुम्हारे घर में गेट से अंदर आते ही इतने सुन्दर पेड़ पर ढेर सारे हरे-हरे तोते देखकर मज़ा आ जाता है”।

अमित खुश होते हुए बोला – “मैं इस अमरूद के पेड़ को हमेशा पानी देता हूँ और इसकी इतनी देखभाल करता हूँ। पर एक भी अमरूद नहीं खा सकता हूँ”।

“क्यों?” नितिन ने आश्चर्य से पूछा।

“पापा कहते हैं मुझे और जुकाम हो जाएगा” अमित बोला।

“ओह्ह, तो तूने इन तोतो के बारे में नहीं सोचा” नीतिन ने आश्चर्य से पूछा।

“क्या मतलब?” अमित तुरंत बोला।

“कितना कोहरा छाया हुआ है और कितनी ज़्यादा सर्दी है और देखो तो ये सब कितने मजे से अमरूद खा रहे” नितिन ने चिंतित होते हुए कहा।

“शायद पापा मम्मी ऑफिस जाने की हड़बड़ी में भूल गए थे कि इन्हें भी अमरूद खाने से सर्दी हो जायेगी” अमित कुछ सोचते हुए बोला।

“मेरे पास एक आइडिया है, जिससे तोते अमरूद नहीं खा पाएंगे और उन्हें सर्दी भी नहीं लगेगी” नितिन खुश होते हुए बोला।

“सच!” अमित ने ताली बजाते हुए कहा।

“हाँ, जल्दी से कुछ चादरें ले आओ” नितिन ने उत्साहित होते हुए कहा।

“पर चादरें तो मम्मी ने सबसे ऊपर वाली रैक में तह करके रखी हैं। मैं वहाँ तक नहीं पहुँच पाउँगा” अमित ने दुखी होते हुए कहा।

“अरे, तो कोई साड़ी ले आओ” नितिन ने धीरे से कहा।

“हाँ, अभी लाता हूँ” कहता हुआ अमित घर के अंदर भागा।

थोड़ी ही देर बाद अमित दो सफ़ेद साड़ियाँ लिए हुए आया और बोला – “दादी की साड़ियाँ सूख रही थी वही उठा लाया हूँ”।

नितिन ने साड़ियाँ पकड़ी और झट से अमरुद के पेड़ पर चढ़ गया।

“तुम तो बिलकुल बन्दर की तरह पेड़ पर चढ़ गए!” अमित ने आश्चर्य से कहा।

“गाँव में सीखा था” नितिन पेड़ पर साड़ी फैलाते हुए बोला।

अमित आँखें फैलाये हुए कभी नितिन को देख रहा था तो कभी पेड़ को, पर उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

थोड़ी ही देर बाद नितिन पेड़ से नीचे आया और बोला – “पक्का इंतज़ाम कर दिया है। अब कोई तोता अमरूद नहीं खा पायेगा”।

अमित ख़ुशी के मारे नीतिन के गले लग गया और बोला – “तूने मेरे सब तोतों को सर्दी से बचा लिया”।

नितिन हँसते हुए बोला – अब मैं चलता हूँ। शाम को ही ऐसा लग रहा है जैसे बहुत रात हो गई है।

“कल स्कूल में तेरे लिए टॉफ़ी लाऊंगा” कहते हुए अमित हँस दिया।

नितिन के जाने के बाद अमित घर के अंदर आ गया और होमवर्क करने बैठ गया।

करीब सात बजे जब पापा मम्मी घर लौटे तो दरवाज़े से ही उनकी चीख निकल गई।

सफ़ेद साड़ी में ढका पेड़ हवा के साथ साथ झूम रहा था।

उड़ते हुए कोहरे की धुंध में पता ही नहीं चल रहा था कि वह पेड़ है।

“मुझे आज तक भूत प्रेतों पर बिलकुल विश्वास नहीं था” मम्मी डर से काँपते हुए बोली।

पापा हिम्मत बटोरते हुए बोले – “मैं चोकीदार को बुलाकर लाता हूँ”।

मम्मी तुरंत बोली – “सबको पता लग जाएगा कि तुम कितने डरपोक हो”।

अब बेचारे पापा की स्तिथि बड़ी खराब हो गई। ना तो वह घर के अंदर आ पा रहे थे और ना ही किसी को बुलाने जा पा रहे थे।

मम्मी ने कहा – “कार का हॉर्न बजाओ तो अमित उसकी दादी के साथ बाहर आ जाएगा और हम उनसे किसी फोन करके बुलाने के लिए कह देंगे”।

पापा ने तुरंत कार का हॉर्न बजाया। पापा की कार का हॉर्न सुनते ही अमित ख़ुशी से दौड़ता हुआ घर के बाहर आ गया।

पापा उसे जब तक रोकते तब तक वह कार के सामने था।

मम्मी घबराते हुए बोली – “वो… वो…”

“अरे, मम्मी आज पता है क्या हुआ था। तोतो को अमरुद खाने से सर्दी ना लग जाए इसलिए नितिन ने पेड़ के ऊपर दादी की साड़ियाँ फैला दी थी और दादी कह रही है कि क्या उनकी साड़ी भूत ले गया और…”

अमित अपनी ही रौ में पता नहीं क्या कहे जा रहा था और मम्मी पापा अपना पेट पकड़कर हँस हँस कर दोहरे हुए जा रहे थे।

~ “पेड़ का भूत“: रोचक हास्य कहानी by मंजरी शुक्ला

Check Also

Kabuliwala - Rabindranath Tagore Classic English Short Story

Kabuliwala: Bengali short story written by Rabindranath Tagore

Kabuliwala: My five years’ old daughter Mini cannot live without chattering. I really believe that …