Story of Tenali Raman and Golden Peacock सुनहरा मोर

Story of Tenali Raman and Golden Peacock सुनहरा मोर

एक दिन विजयनगर के राजा, कृष्णदेवराय के एक दरबारी ने राजा से इनाम पाने की योजना बनाई। उसने एक बढ़िया चित्रकार से एक मोर पर सुनहरी रंग करवाया। चित्रकार ने मोर को रंग इस तरह से लगाया कि कोई भी उसे नकली नहीं बता सकता था। उन्होंने उस मोर को राजा के सामने पेश किया और कहा, “महाराज! यह जंगलों में पाया जाने वाला सबसे दुर्लभ प्रजाति का मोर है। मैंने इसे पाने के लिए तीस हजार स्वर्ण मुद्राएं खर्च की हैं ताकि इस दुर्लभ पक्षी को आप अपने पास रख सकें। कृपया मेरी ओर से यह भेंट स्वीकार कीजिए!”

राजा को बहुत आश्चर्य हुआ और वे उसे बड़े ध्यान से देखने लगे। वे बहुत दुविधा में थे। लेकिन मोर का रंग इतना असली लगता था कि उन्हें यह मानना ही पड़ा की मोर वास्तव में बहुत दुर्लभ है। उन्होंने दरबारी को स्वर्ण मुद्राएं दे दीं। लेकिन तभी तेनालीराम वहां आ गया और उसे समझने में देर नहीं लगी की मोर का रंग असली नहीं है। उसने नगर से उस चित्रकार को ढूंढ निकाला और उससे चार मोरों पर रंग करवा लिया।

अगले दिन तेनाली चित्रकार और उन चार मोरों के साथ दरबार में पहुंचा और कहा, “महाराज! कल आप ने एक सुनहरी रंग का मोर लिया, आज मैं आपको उससे अच्छी प्रजाती के चार देता हूं। जहां आप ने एक मोर के तीस हजार स्वर्ण मुद्राएं दीं, वहीं आप मुझे चार मोरों के नब्बे हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दीजिये।”

राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। फिर भी उन्हें मानना पड़ा और तेनाली को नब्बे हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दीं। “यह सुनकर तेनाली ने कहा, “महाराज! इन मुद्राओं का असली हकदार तो वह चित्रकार है जिसने इन रंग किया था।” राजा दुविधा में पड़कर बोले, “क्या? क्या ये रंग असली नहीं हैं?” तेनाली ने कहा, “नहीं महाराज! आप नजदीक से इनकी खुशबू से पता लगा सकते हैं कि इन पर रंग किया गया है।”

राजा ने चित्रकार को इनाम दिया और उस दुष्ट दरबारी से स्वर्ण मुद्राएं वापस लेकर उसे दंड दिया।

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