हैप्पी टीचर्स डे: दिल को छू लेने वाली हिंदी बाल-कहानी

हैप्पी टीचर्स डे: डॉ. मंजरी शुक्ला – दिल को छू लेने वाली हिंदी बाल-कहानी

आज जब रोहित स्कूल के लिए निकला तो उसे घर के सामने वाली सड़क पर उसी की उम्र का बच्चा फूल बेचते हुए दिखा। रोहित को लगा कि उसने उस लड़के को पहले भी कहीं देखा है। वह बहुत गौर से उसे देखने लगा पर बहुत याद करने पर भी उसे कुछ याद नहीं आया। कई बार रोहित सड़क पर गिरते गिरते बचा क्योंकि वह अभी भी उस लड़के के बारें में सोच रहा था। स्कूल पहुँचते ही रोहित को याद आ गया कि फूल बेचने वाला लड़का तो उसी के स्कूल का स्टूडेंट दीपू है, जिसे उसने कई बार देखा था।

पर वह स्कूल नहीं आकर फूल क्यों बेच रहा था। यह सोचते हुए जब वह गेट पार करके अपनी क्लास की ओर जाने लगा तो मैथ्स वाले शर्मा सर रास्ते में ही दिख गए।

हैप्पी टीचर्स डे: डॉ. मंजरी शुक्ला

रोहित उनसे बचकर निकल जाना चाहता था पर शर्मा सर उसके सामने आ गए और बोले – “आज होम वर्क किया है या नहीं”?

रोहित ने धीरे से कहा – “आज मैंने सारे सवाल कर लिए है”।

“ठीक है, मैं क्लास में देखूंगा” कहते हुए शर्मा सर वहाँ से चले गए।

रोहित के साथ ही खड़ा उसका दोस्त राहुल हँस पड़ा और बोला – “तो शर्मा सर से इतना नाराज़ क्यों रहता है”?

“रोहित चिढ़ते हुए बोला – “वह जिस दिन जो पढ़ाते है तुरंत उसका होमवर्क दे देते है”।

“तो यह तो अच्छी बात है ना, इसीलिए हम सबको एग्जाम टाइम में सिर्फ़ एक बार रिविज़न करना होता है”।

“हाँ… और शर्मा सर के कारण ही हमारी पूरी क्लास की मैथ्स इम्प्रूव हुई है, इसलिए कल टीचर्स डे पर हम सब बच्चे मिलकर उनके लिए अपने हाथों से एक बड़ा सा कार्ड बनाएंगे” उनके पीछे से आता हुआ अमित बोला।

राहुल ने पीछे मुड़कर अमित से कहा – “तू सबकी बातें चोरी छिपे क्यों सुनता है”।

अमित हँसते हुए बोला – “तुम लोग इतनी जोर जोर से बातें कर रहे हो कि शर्मा सर भी सुन रहे होंगे”।

शर्मा सर का नाम आते ही रोहित सर पर पैर रखकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ और राहुल और अमित जोरों से हँस पड़े।

पहला पीरियड गणित का ही था और हमेशा की तरह रोहित आधा अधूरा होमवर्क कर के लाया था।

शर्मा सर ने उसे क्लास के बाहर खड़ा कर दिया।

पीरियड खत्म होने के बाद सर ने कहा – “अगर तुम डेली होमवर्क नहीं करोगे तो तुम्हारी शिकायत तुम्हारे पापा से कर दूँगा”।

रोहित सिर झुकाये सुनता रहा।

छुट्टी होने तक रोहित को शर्मा सर पर बहुत गुस्सा आ रहा था। घर लौटते समय सभी बच्चे टीचर्स डे के बारें में बात कर रहे थे पर रोहित चुपचाप कुछ सोचते हुए चला जा रहा था। जब वह शर्मा सर के घर के सामने से निकला तो उसने देखा कि उनके घर पर ताला लगा हुआ था।

उसने तुरंत गेट खोला और उनके बगीचे के सारे खूबसूरत फूलों को उखाड़कर फेंक दिया। सारा बगीचा तहस नहस करने के बाद जब वह गेट से बाहर निकला तो वह सन्न रह गया। सामने सर पसीने से तरबतर स्कूटर को घसीटते हुए ला रहे थे। डर के मारे राहुल के पैर जैसे वहीं जम गए।

शर्मा सर ने जैसे ही राहुल को देखा तो हाँफते हुए बोले – “अरे तुम यहाँ… क्या हुआ सब ठीक तो है… देखो ना, आज किसी शैतान बच्चे ने मेरी स्कूटर की हवा निकाल दी। रास्ते भर कोई मेकेनिक भी नहीं मिला”।

राहुल के काटो तो खून नहीं।

वह कुछ कहता तभी शर्मा सर की नज़र बगीचे पर पड़ी। डहेलिया, गुलाब, सेवंती और गेंदे के फूल ज़मीन पर बिखरे हुए पड़े थे। कई पौधों को तो बड़ी बेदर्दी से नोचकर फेंक दिया गया था। शर्मा सर की आँखों में आँसूं छलछला उठे।

वह भर्राए गले से बोले – “इतने खूबसूरत फूलों को पता नहीं किसने नोंचकर फेंक दिया। अब दीपू का क्या होगा”?

रोहित वहाँ से चुपचाप सिर नीचे किये हुए चल दिया। रास्ते भर वह सोचता रहा कि शर्मा सर दीपू के बारें में क्यों बात कर रहे थे। घर के सामने पहुँचकर ही अचानक वह रूक गया। उसे जैसे कुछ याद आया और उसने फूल बेचने वाले लड़के की तरफ़ देखा। वह लड़का दीपू ही था, जो अभी तक चिलचिलाती धूप और गर्मी में खड़ा था। रोहित के कदम अचानक ही दीपू की ओर मुड़ गए। रोहित अपनी वाटर बॉटल संभालते हुए दीपू के पास जाकर खड़ा हो गया। रोहित ने दीपू के चेहरे की ओर देखा। सुर्ख़ लाल गालों पर पसीने की बूँदें मोती की तरह चमक रही थी। रोहित की मौजूदगी से बेख़बर वह प्लास्टिक की बोतल से लाल गुलाबों पर पानी स्प्रै करने में व्यस्त था।

रोहित बोला – “गुलाब तो बड़े सुन्दर है तुम्हारे”?

दीपू सकपका उठा। उसने चेहरा ऊपर करते हुए देखा तो रोहित स्कूल यूनिफार्म में पीठ पर बस्ता टाँगे खड़ा था।

दीपू ने एक खूबसूरत सा गुलाब रोहित की तरफ़ देते हुए कहा -“यह तुम्हारे लिए”।

“तुम तो मेरे ही स्कूल में पढ़ते हो ना… तो आज ये फूल क्यों बेच रहे हो… स्कूल क्यों नहीं आये”?

रोहित ने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा – “मेरे पापा आज बीमार है इसलिए मुझे उनकी जगह फूल बेचने आना पड़ा और इसीलिए मैं स्कूल भी नहीं जा सका”।

दीपू की बात सुनकर रोहित को बहुत दुःख लगा।

वह बोला – “तुम सुबह से यहाँ धूप में खड़े हो, चलो मेरे घर चलकर खाना खा लो”।

दीपू ने मुस्कुराते हुए कहा – “नहीं, अब में चलता हूँ। ये सारे फूल अपने मैथ्स वाले शर्मा सर है ना, उन्हें वापस भी करने है”।

शर्मा सर का नाम सुनकर रोहित चौंक उठा और बोला – “ये फूल उन्हें क्यों देने है”?

“शर्मा सर ने पूरे साल की मेहनत के बाद अपने घर के सामने बहुत खूबसूरत बगीचा तैयार किया है और कल “टीचर्स डे” है ना, इसलिए उन्होंने दिन रात मेहनत करके वहाँ पर बहुत सुन्दर फूल उगाये है ताकि वह “टीचर्स डे” पर सभी बच्चों को फूल दे सके। पता है वह बचपन में मैथ्स में बहुत कमजोर थे और उनके नंबर भी अच्छे नहीं आते थे, इसलिए वह हम सब बच्चों को इतनी मेहनत से तैयारी करवाते है ताकि कोई भी बच्चा एग्जाम में कम नंबर ना ला सके”।

दीपू की बात सुनकर रोहित सिटपिटा गया और आँसूं रोकने की कोशिश करने में उसका चेहरा लाल हो गया। पर रोहित की मनोदशा से बेख़बर दीपू अपनी ही रौ में कहे जा रहा था “और तुझे पता है जब उन्हें पता चला कि पापा बीमार है तो उन्होंने अपने बगीचे के फूल ख़ुशी ख़ुशी तोड़कर हमें घर पर लाकर दे दिए और शाम को घर आकर मुझे आज के स्कूल का काम भी करवा देंगे”।

इससे ज़्यादा रोहित सुन नहीं सका। शर्म और ग्लानि से उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। वह दौड़ते हुए अपने घर चला गया और माँ को देखते ही फूट फूट कर रो पड़ा। माँ रोहित की ऐसी हालत देखकर बहुत डर गई।

पानी पिलाते हुए उन्होंने रोहित के सिर पर हाथ फेरा और पूछा – “क्या स्कूल में कुछ हुआ था आज”?

सिसकियों के बीच रोहित ने माँ को सारी बात बता दी।

उन्होंने बहुत धैर्यपूर्वक सारी बात सुनी बोली – “कल सुबह तुम अपने सर के घर जाना और उनसे माफ़ी माँगना”।

“पर इससे तो उन्हें पता चल जाएगा कि बगीचे के फूल मैंने तोड़े थे”।

“तुम्हारे कीचड़ से भरे जूते और मिट्टी से सने हाथों को देखकर तो वह वैसे ही जान गए थे कि तुमने ही उनका बगीचा तहस नहस किया है। पर इसके बाद भी उन्होंने तुम्हें कुछ नहीं कहा”।

रोहित की रुलाई फूट पड़ी। वह रोता हुआ अपने कमरे में चला गया। अगले दिन सुबह मम्मी को बताकर रोहित शर्मा सर के घर की ओर चल दिया। शर्मा सर उसे घर के बाहर ही मिल गए। वह बगीचे में उदास से खड़े हुए पेड़ पौधों को देख रहे थे।

रोहित धीरे धीरे चलता हुआ उनके पास गया और एक कागज का बड़ा सा लिफाफा पकड़ाता हुआ बोला – “मम्मी ने आपके लिए फूलों के बीज भिजवाए है”।

शर्मा सर ने रोहित के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – “और पीठ के पीछे, दूसरे हाथ में क्या छिपा रखा है”?

“यह गणित की कॉपी है सर, मैंने सारी रात जागकर बनाई है। इसमें वे सभी सवाल है जो आपने होमवर्क में दिए थे”। रोहित ने कॉपी शर्मा सर के हाथ में देते हुए नज़रें नीची कर ली।

“इतना अच्छा काम करते हुए आँखें नहीं झुकाते है”। शर्मा सर ने रोहित के गाल पर प्यार से चपत लगाते हुए कहा।

हैप्पी टीचर्स डे सर” रोहित रूंधे स्वर में बोला। शर्मा सर ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया। रोहित फूट फूट कर रो रहा था और शर्मा सर अपने आँसूं पोंछते हुए रोहित की पीठ पर हाथ फेर रहे थे।

~ डॉ. मंजरी शुक्ला (बाल किलकारी के सितम्बर 2018 के अंक में भी प्रकाशित)

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