Heart Touching Humorous Short Story in Hindi - Rakhi राखी

राखी – मंजरी शुक्ला

मम्मी रिक्शेवाले पर चिल्लाते हुए गुस्से से बोली – “ऐसे चलाते हैं रिक्शा, अभी मेरा बच्चा सड़क पर गिर जाता।”

“जरा सामने तो देखिये बहनजी, ये छोटी सी बच्ची ही अचानक सामने आ गई।”

मम्मी ने झाँककर देखा तो एक बहुत प्यारी सी गोल – मटोल बच्ची हाथों में बहुत ही खूबसूरत सी राखी पकड़े डरी सहमी सी खड़ी हुई थी।

मम्मी यह देखकर बहुत घबरा गई और तुरंत रिक्शे से उतारकर उसे गोद में उठा लिया।

अब तक वो बच्ची डर के मारे जोर-जोर से रोने लगी थी।

टूटू बोला – “मम्मी, इसकी मम्मी कहाँ हैं?”

यह सुनकर जैसे उसकी मम्मी जैसे नींद से जागी और उन्होंने उस बच्ची के आँसूं पोंछते हुए पूछा – “बेटा तुम्हारा घर कहाँ हैं?”

यह सुनकर उसने सड़क के किनारे एक ओर इशारा किया।

तब तक उस घर से एक औरत बदहवास सी भागती हुई बहर आई और उसने दौड़ते हुए टूटू की मम्मी के हाथ से उस बच्ची को ले लिया।

टूटू की मम्मी कुछ पूछती इससे पहले ही वह बोली – “सुबह से रुनझुन ना जाने कितनी बार राखी ले लेकर दरवाजे से बाहर की तरफ़ दौड़ रही हैं कि शायद इससे कोई राखी बंधवा ले। इसका कोई भाई नहीं हैं ना।”

यह सुनकर टूटू ने उस बच्ची की तरफ देखा जो सुनहरी राखी को कस कर पकड़े हुए टूटू की ओर ही अपनी भूरी आँखों से ताक रही थी।
टूटू कुछ बोलता इससे पहले ही वो बच्ची तुतलाते हुए बोली – “बैया, मुझसे लाखी बंदवा लो ना।”

यह सुनकर टूटू की मम्मी ने मुस्कुराते हुए टूटू की ओर देखा।

और टूटू को उसकी तोतली आवाज़ में भैया सुनकर इतनी ख़ुशी हुई कि वो ख़ुशी के मारे रिक्शे से कूद पड़ा और बोला – “हाँ, मैं हूँ ना तुम्हारा भाई ओर अब तुम हर साल मुझे राखी बाँधा करोगी।”

यह सुनकर रुनझुन जोरो से खिलखिलाकर हँसने लगी।

टूटू बोला – “पर मैं तुमसे राखी तभी बँधवाऊंगा जब तुम मेरी एक बात मानोगी।”

रुनझुन की मम्मी मुस्कुराते हुए बोली – “अब तो तुम इसके भाई हो यह तुम्हारी हर बात मानेगी।”

टूटू बोला – “रुनझुन, तुम्हें मुझे सिर्फ़ एक नहीं बल्कि ढेर सारी राखी बांधनी पड़ेगी।”

रुनझुन यह सुनकर बहुत खुश हुई और तुतलाते हुए बोली – “अले मम्मी, पेले मुझे गोदी छे तो उतालो, वलना भैया को कैछे लाखी बाँधूगी?”

उसकी बात सुनकर सभी जोरो से हँस पड़े और टूटू ने सावधानी से रुनझुन का हाथ पकड़कर कहा – “अब मैं तुम्हें सड़क पार कराऊंगा आखिर मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ ना।”

“हाँ भैया…” रुनझुन एक हाथ में राखी और दूसरे हाथ से टूटू का हाथ पकड़ कर मीठी सी आवाज़ में बोली।

और टूटू की मम्मी ने धीरे से साड़ी के पल्ले से अपने ख़ुशी के आँसूं पोंछ लिए…

डॉ. मंजरी  शुक्ला

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