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होली के त्योहार से जुड़ी कुछ बाल-कहानियाँ

ऐसे मनी होली: मंजरी शुक्ला

बहुत जोरो शोरो से बच्चों की टोली होली मनाने के लिए तैयारी कर रही थी पर बहस थी कि कहीं ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। जितने मुँह उतने ही दिमाग, जिसे देखो वही अपनी बात मनवाने पर तुला हुआ था और अपने सुझाव को सबसे अच्छा समझ रहा था।

पतले दुबले मिंकू को सुबह से रंग खेलना था तो गोल मटोल गोलू को पहले भरपेट नाश्ता करने के बाद। सुबह से दोपहर हो गई थी और सब अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग अलाप रहे थे। आख़िरकार अजय बोला – “हम सब होलिका दहन के समय तो मिलेंगे ही ना ,तो क्या ना पूजा के समय ही टाईम तय कर लें आख़िर उस समय तो वे सभी बच्चे भी होंगे जो अभी हमारे साथ नहीं आये है”। इस बात पर सभी तुरंत सहमत हो गए।

तभी अजय बोला – “पर हमने तो होलिका दहन के समय जलने वाली लकड़ियों का तो इंतजाम किया ही नहीं है”। ये सुनकर सब एक दूसरे का मुँह ताकने लगे कि सबसे जरुरी बात तो उनके दिमाग में आई ही नहीं।

तभी गोलू बोला – “अरे, मेरे घर के पास ही एक नीम का पेड़ है। हम लोग सब मिलकर उसे ही काट देते है और इससे आराम से लकड़ियों का इंतज़ाम हो जाएगा”। ये सुनकर सभी के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे। पर तभी पीयूष बोला – “पर, वो तो बहुत हरा भरा और बहुत ही बड़ा नीम का पेड़ है। उसे हम लोग कैसे काट सकते है”?

“क्यों नहीं काट सकते। अगर एक पेड़ कट भी जाएगा तो कौन सा फर्क पड़ जाएगा” गोलू तमक के बोला।

पीयूष ने कुछ कहना चाहा तब तक गोलू बोला – “मैं देखता हूँ कि कौन रोकता हैं मुझे पेड़ काटने से…? और ये कहकर सभी बच्चे पीयूष का मजाक उड़ाते हुए वहाँ से चल दिए।

गोलू रास्ते भर सबसे नीम के पेड़ की बुराई करता रहा और उसका मजाक उड़ाता रहा। अपने घर के पास पहुँचते ही वह अपने दोस्तों को घर के बाहर खड़ा कर के कुल्हाड़ी लेने के लिए घर के अन्दर गया।

जैसे ही वह मम्मी को ढूँढते हुए हुए उनके कमरे में पहुंचा तो देखा कि उसकी छोटी बहन पिंकी के माथे पर पट्टी रखते हुए मम्मी रो रही थी और वह बहुत घबराई हुई भी थी।

गोलू लगभग दौड़ता हुआ उनके पास गया और पिंकी की तरफ़ देखते हुए अपने आँसूं रोकते हुए रुंधे गले से बोला – “मम्मी, क्या हुआ पिंकी को? और इसके शरीर पर ये छोटे-छोटे लाल दाने क्यों हो गए हैं”?

मम्मी गोलू को देखकर जोर जोर से रोने लगी और बोली – “इसे चिकन पॉक्स हो गयी है और जिसके कारण इसे बहुत तेज बुखार है। डॉक्टर ने दवाई दे दी हैं बस इसमें साफ़ सफाई जितनी ज्यादा रखेंगे ये उतनी ही जल्दी ठीक होगी”।

गोलू बोला – “तो हम क्या करे जिससे कि पिंकी जल्दी से ठीक हो जाए”?

मम्मी चिंतित स्वर में बोली – “सुबह से नीम के पेड़ की पत्तियां कई लोगो से मंगवा चुकी हूँ, पर किसी को नीम का पेड़ ही नहीं मिल रहा है”।

गोलू ये सुनते ही हवा की गति से घर के बाहर जाते हुए बोला – “मैं नीम का पेड़ जानता हूँ और अभी उसकी पत्तियाँ लेकर आता हूँ”।

और वह अपने दोस्तों के साथ कुछ ही देर में नीम की पत्तियाँ और कुछ पतली टहनियां तोड़ लाया।

उसकी मम्मी ने नीम की पत्तियां तुरंत उबालने के लिए रख दी और कुछ टहनियां पिंकी के बिस्तर के आस पास रख दी और गोलू की तरफ़ देखते हुए कहा – “पता हैं गोलू, नीम का पेड़ बहुत ही गुणकारी होता हैं। कुछ दिन तक तुम लोग रोज ऐसे ही पत्तियां लाते रहना”।

यह सुनकर गोलू ने अपने दोस्तों की तरफ देखा जो कि दबे स्वर में होली पर नीम के पेड़ के कट जाने की बात कर रहे थे।

बात तो वे सब दबे स्वर में कर रहे थे पर मम्मी ने पेड़ काटने की बात सुन ली और उनका चेहरा गुस्से से तमतमा उठा।

वह लगभग चीखते हुए बोली – “जिन हरे भरे वृक्षों से हम ऑक्सीजन पाकर जिन्दा रहते हैं तुम सब उन्हें काटने की बात भी कैसे सोच सकते हो और वो भी नीम का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जिसका हर भाग जड़, तना, पत्ती, फल और यहाँ तक की छाल भी अनेक बीमारियों के ईलाज में काम आती है”।

ये सुनते ही गोलू और उसके दोस्तों के चेहरे शर्म से झुक गए।

गोलू धीरे से बोला – ” माँ, पियूष तो मना भी कर रहा था पर मैंने ही उसकी बातें नहीं मानी। पर जब पिंकी को चिकन पॉक्स होने पर आपने नीम की पत्तियाँ मंगवाई मैंने उसी समय निश्चय कर लिया था कि अब कभी भी मैं और मेरे दोस्तों में से कोई भी किसी भी हरे भरे वृक्ष को नहीं काटेगा”।

उसकी मम्मी कुछ बोलती इससे पहले ही गोलू का दोस्त मिंटू बोला – “और अब हम सब हर अपने जन्मदिन पर एक वृक्ष जरुर लगायेंगे ताकि जब भी कही कोई “होलिका दहन” पर किसी सूखे वृक्ष को भी काटे तो उसकी जगह हमारा हरा भरा वृक्ष झूमता नज़र आये”।

और तभी गोल मटोल बिट्टू अपनी आँखें नचाता हुआ बोला – “अरे, नीम का पेड़ तो जादुई है जो हमारी हुए इतनी सारी बीमारिया बिना इन्जेकशन के ठीक कर देता है। मुझे तो इन्जेकशन देखकर ही बुखार आ जाता”।

यह सुनकर सभी जोरों से हँसने लगे और बच्चों की इतनी समझदारी बातें सुनकर मम्मी की आँखों से ख़ुशी के आँसूं छलक पड़े।

उन्होंने सोचा कि बच्चे तो नासमझ होते ही हैं, हम बड़ों को ही उन्हें पर्यावरण और वृक्षों के बारे में बताना चाहिए ताकि वे वृक्षों की उपयोगिता समझते हुए उन्हें कभी काटने का ना सोचे और जैसे ही गोलू अपने दोस्तों से बोला, चलो आज हम चलकर बगीचे की सफाई करते हैं आखिर हमें उनमे रंग बिरंगे फूल भी तो खिलाने हैं, तो मम्मी भी उसके दोस्तों के साथ खिलखिलाकर हँस पड़ी…

डॉ. मंजरी शुक्ला

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