हृदय परिवर्तन – आज नंदन वन की तरफ जाने वाले रास्ते में मोनू बंदर गले में ढोलक लटका कर बजा रहा था। उसके दो साथी गज्जू हाथी और भोलू भालू नई ड्रैस पहने नाच रहे थे। जैसे ही वे नंदन बन पहुंचे तो लोमड़ी ने पूछा, “अरे तुम तीनों को ऐसा कौन-सा खजाना मिल गया कि झूम रहे हो, गा रहे हो।”
“क्या बात करती हो तुम लोमड़ी बहना… खजाना केवल दौलत का मिलने से ही नाचते-गाते हैं, कोई खुशी हो तो नहीं?” भोलू ने जवाब दिया।
हृदय परिवर्तन: गोविन्द भारद्वाज
उसी समय जिराफ भाई भी आ गया। वह भी बिना कुछ पूछे मोनू बंदर के ठोल की थाप पर झूमने लग गया।
दरअसल, मोनू इतना बढ़िया ढोल बजा रहा था कि जो देखता और सुनता वही थिरकने लग जाता। नीलू मोर भी पंख फैलाकर नाचने लगा।
लोमड़ी को समझ नहीं आ रहा था कि यह हो क्या रहा है। वह झुंझला कर बोली, “कोई मुझे भी तो बताओ… यह किस बात की खुशी मनाई जा रही है?”
हिरण भी झूमता हुआ आया और बोला, “आज वृद्ध दिवस है… हम सब मिलकर नंदनवन के वृद्धों का सम्मान करने वाले हैं।”
“अरे बड़ों का सम्मान… पगला गए हो क्या… सम्मान करना है तो हम नौजवानों का करो… जो नंदन वन का भविष्य हैं।” खैरू खरगोश ने बीच में कूदते हुए कहा।
“तू हमेशा जवान ही बैठा रहेगा क्या… बूढ़ा नहीं होगा? शर्म नहीं आती बुजुर्गों का अपमान करते हुए।” मोनू बंदर ने कहा।
“ढोल बजा ढोल… ज्यादा उछल-कूद मतकर… आया बुजुर्गों की तरफदारी करने वाला।” गोलू ने कहा।
“अरे खैरू तुम मोनू पर क्यों नाराज हो रहे हो… अपने राजा शेर सिंह जी का आदेश है। आज शाम को नंदन वन के सभागार में वृद्ध सम्मान समारोह मनाया जाएगा।” गज्जू हाथी ने सूंड उठाकर कहा।
शाम को सभागार में बहुत भीड़ थी। राजा शेर सिंह अपने दरबारियों के साथ उपस्थित हुए। महामंत्री चीते ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा, “महाराज शेर सिंह जी के आदेश पर आज वृद्ध दिवस पर अपने बुजुर्गों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया है। हमारे नंदनवन में सभी प्रकार की प्राणियों के वृद्ध यहां उपस्थिति हैं।”
इसी बीच महाराज शेर सिंह ने चीते की तरफ रुकने का इशारा किया।
माइक हाथ में लेकर शेर सिंह ने कहा, “आज से हर वर्ष वृद्ध दिवस सम्मान समारोह बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। उनके लिए हमारी ओर से वृद्ध पैंशन योजना लागू तो की ही जाएगी, साथ में उनके स्वास्थ्य का ख्याल भी सरकार द्वारा रखा जाएगा।”
“महाराज की जय हो, महाराज को जय हो।” सारा सभागार शेर सिंह की जय से गूंज उठा।
खरगोश को इस बात की जलन थी कि उसने अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम भेज रखा था। वह मन ही मन बुदबुदाने लगा, “अगर मेरे माता-पिता को भी इतनी सुविधाएं मिलें तो मैं उन्हें अपने साथ ही रखूंगा।”
“क्या बुदबुदा रहे हो… खेरू भैया। माता-पिता का आशीर्वाद सौभाग्यशाली को मिलता है, तुम हो कि अपने माता-पिता को घर से बाहर रखा हुआ है।” भोलू भालू ने तंज कसते हुए कहा।
उसी समय चीतू ने पहले दो नामों की घोषणा की, “सब से पहले वृद्ध दम्पति खैरू खरगोश के पिताजी और माताजी को सम्मानित करने हेतु मंच पर बुलाया जाता है।”
खैरू खरगोश यह सुनकर बहुत शर्मिन्दा हुआ। वही तो वृद्ध सम्मान समारोह का विरोध कर रहा था और उसी के वृद्ध माता-पिता का सम्मान सबसे पहले हो रहा है। वह चुपचाप उठा और अपने माता-पिता को सहाय देकर मंच तक ले गया।
खैरू का हृदय परिवर्तन देखकर उसके माता-पिता भी आश्चर्य में थे।
राजा शेर सिंह ने बड़े आदर के साथ उनका अभिनंदन किया और उन्हें हाथों से सम्मान देने की शुरुआत की।
खैरू ने अपने माता-पिता के सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा, “मैं अब कभी अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम मे नहीं भेजूंगा।”
खैरू खरगोश की इस घोषणा के बाद सभी ने तालियां बजाईं। शेर सिंह ने कहा, “सभी बेटे-बेटियां नेक हो जाएं तो नंदन वन में वृद्धाश्रम की जरूरत ही न पड़े।”
“महाराज ऐसा ही होगा।” सभी ने एक स्वर में कहा।