पत्नी अचानक हंस दी। मैं उसकी ओर प्रश्नवाचक मुद्रा में देखने लगा।
वह बोली- “पता है क्या हुआ?”
मैंने अनुमान लगाया, शायद कोई रोचक खबर का जिक्र करेगी। इसलिए जिज्ञासावश पूछा- “क्यों, क्या लिखा है?”
– “अरे! अखबार में नहीं, वहां वॉक पर।”
मेरी सवालिया नजरें उसके चेहरे पर थीं।
मैंने पूछा- “क्या हुआ?”
पत्नी ने अपनी हंसी को मुस्कराहट में बदला और मेरी आंखों में आंखे डाल कर कहने लगी – जब आप मुझे इशारा करके आगे निकल गए थे तब पीछे से एक बुजुर्ग लपक कर मेरे पास आया और पूछने लगा कि वह आदमी आपको छेड़कर गया है? मैं अवाक! कुछ समझी नहीं कि वह किसके बारे में बात कर रहा है। तभी उसने फिर दोहराया -” कुछ इशारा किया था न उसने? मैं देख रहा था… वह जो स्पीड से गया है अभी अभी…”
अब मुझे समझ आ गया था। पर बड़ी असमंजस में पड़ गई कि क्या कहूं?
– “फिर! क्या कहा तुमने? बताया नहीं कि छेड़ने वाला कौन था?” मैं यह सोचकर पुलकित हुआ कि सच्चाई जानकर उस सज्जन के चेहरे की क्या रंगत बनी होगी!
– “फिर क्या! कुछ नहीं। मैंने कह दिया- नहीं तो! कौन! किसने! मुझे तो नहीं छेड़ा।”
– “पर इसमें छुपाने वाला क्या था, बता देती!”
– “इसमें बताने वाला भी क्या था?” उसने तर्क किया।
– “यही कि मेरा हसबैंड है, और क्या!”
– “अच्छा! और वह मान जाता?”