पढ़ाकू शेर: लेखिका ‘मंजरी शुक्ला’
शेर हँसते हुए बोला – “डलो मत, मै सिर्फ़ तमातल और दाजल थाता हूँ”।
“तुम… तुम तो तोतले हो!” बबलू ने आश्चर्य से कहा।
“हाँ… थई पहचाना” शेर ने जवाब दिया।
“मै परना चाहता हूँ” शेर ने कहा।
पढ़ाकू शेर: Story telling By Dr. Manjari Shukla
“पर मेरे पास तो किताब ही नहीं है” बबलू बोला।
“मेले पाछ है, देथो…” शेर ने एक रंगीन चित्रवाली किताब दिखाते हुए कहा।
“कितनी सुन्दर किताब! कहाँ से आई”?
“एक छोता बच्चा छोल दया था”।
“अरे वाह, यह तो बहुत सुन्दर किताब है” बबलू बोला।
“हाँ… अब जल्दी से परा दो” शेर ने उत्सुकता से कहा।
बबलू बोला – “क से कबूतर”।
शेर ने दोहराया – “क से कबूतड़”
बहुत बढ़िया – “ख से खरगोश”
शेर खुश होते हुए बोला – “थ से थरदोश”
शेर किताब पर झुकते हुए बोला – “और बटाओ… जल्दी बटाओ सारा परा दो मुझे”।
बबलू हँस पड़ा और उसने शेर को सभी चित्र दिखाते हुए पूरी किताब पढ़ा दी।
किताब बंद करते हुए बबलू बोला – “अब मैं चलता हूँ”।
शेर यह सुनकर दुखी हो गया और बोला – “जल्दी आना, दुछली तीताब लेतल”।
“हाँ… तुम्हारे खाने के लिए गाजर और टमाटर भी लाऊंगा”।
“औल… औल… किछि को बताना मत कि मैं तोतला हूँ” शेर ने धीरे से कहा।
बबलू दौड़कर शेर के गले लग गया और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला – “कभी नही”।
शेर आँखें बंद करके मुस्कुरा उठा।