पापा के लिए तोहफा: फादर्स डे स्पेशल बाल-कहानी

पापा के लिए तोहफा: फादर्स डे स्पेशल बाल-कहानी

“कल तुम सब मेरे घर आना। हम लोग समोसा खाएंगे और क्रिकेट खेलेंगे” रोमी ने हँसते हुए अपने दोस्तों से कहा।

“हाँ, तेरा तो बगीचा ही इतना बड़ा है जैसे क्रिकेट का मैदान” शिवम् हँसते हुए बोला।

“कितने बजे आना है”? मुदित ने उत्सुकता से पूछा।

“तुम मत आना, कल के लिए बहुत सारे बच्चे हो गए हैं। तुम अगली बार आना” रोमी ने रूखा सा जवाब दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा।

सबके सामने हुए इस अपमान से मुदित को रोना आ गया पर किसी के सामने उसके आँसूं ना छलक जाएँ इसलिए वह ज़मीन की ओर देखता हुआ चला गया।

रास्ते में “मुदित फोटो स्टूडियो” देखकर उसकी आँखें डबडबा गई।

इस छोटी सी दुकान के कारण ही आज रोमी ने फ़िर उसका अपमान किया।

तभी पापा ने उसे देखा और उनका चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।

मोहित मुस्कुरा दिया और घर की तरफ़ चल दिया।

तभी रास्ते में उसे गुप्ता सर दिखाई दिए।

पापा के लिए तोहफा: डॉ. मंजरी शुक्ला

“हे भगवान”! कहते हुए वह एक छोटे से पेड़ के पीछे छिपने की कोशिश करने लगा।

“पेड़ तुमसे छोटा है और तुम ताड़ की तरह लम्बे” सर दूर से ही चिल्लाये।

“नहीं सर, मैं तो आपके पास ही आ रहा था” मुदित ने पूरी ताकत लगाकर कहा।

“वो तो मैं देख ही रहा था” सर पास आते हुए बोले।

“कल मैं पापा को ज़रूर ले आऊंगा” सर के कुछ कहने से पहले ही मोहित ने कहा।

“मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि जब सभी बच्चों के पापा, मेरी कक्षा में अपने बारें में बता चुके हैं तो तुम्हारे पापा क्यों नहीं आते”?

“मैंने उन्हें आज तक नहीं बताया कि आपने उन्हें बुलाया है”? मोहित अपनी रुलाई रोकते हुए बोला।

सर का चेहरा गुस्से से लाल हो गया पर मोहित का आँसूं भरा चेहरा देखकर उन्होंने धीरे से पूछा – “पर क्यों”?

“क्योंकि वो जो पेड़ के सामने आप टीन वाली छोटी सी दुकान देख रहे हैं ना, वो मेरे पापा की है। कक्षा के कुछ बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते हैं, मुझसे बात तक नहीं करते। मेरी गरीबी पर हॅसते है। ये सब तो मैं सहन कर लेता हूँ पर जब सब मेरे पापा के ऊपर हँसेंगे तो मुझसे नहीं देखा जाएगा” कहते हुए मुदित अपना चेहरा छिपाते हुए रो पड़ा।

मुदित की बात सुनकर सर अवाक रह गए।

इतना छोटा सा बच्चा अपने अंदर इतना दुःख छिपाये हुए है। ये सोचकर उनकी आँखें भर आईं।

वह कुछ बोल नहीं सके और मुदित के सिर पर हाथ फेरते हुए चल दिए।

अगले दिन जब सब बच्चे स्कूल गए तो गुप्ता सर ने कहा – “सभी बच्चों की डायरी में पासपोर्ट साइज की फोटो लगेगी। फोटो स्कूल यूनिफार्म में होनी चाहिए और फोटो अगले ही दिन लेकर आनी है। जो बच्चे फोटो नहीं लाएंगे उन्हें परीक्षा के बाद होने वाली पिकनिक पर नहीं ले जाया जाएगा।

ये सुनते ही बच्चों में खलबली मच गई क्योंकि फोटो से ज़्यादा उन्हें पिकनिक की चिंता थी।

एक के ऊपर गिरते पड़ते उन्होंने गुप्ता सर से कहा – “इतनी जल्दी हम भला कहाँ से फोटो लाएंगे”?

“क्यों, तुम्हारा दोस्त मुदित हैं ना। उसके पापा फोटोग्राफर हैं” सर ने मुस्कुराते हुए कहा।

फ़िर क्या था, सभी बच्चे मुदित को अपनी दोस्ती का हवाला देते हुए अपने पापा से कहने के लिए बोलने लगे।

सिर्फ़ रोमी अपने आठ दस दोस्तों के साथ एक तरफ़ खड़ा था।

तभी मानव बोला – “मुझे तो पिकनिक जाना है”।

“मेरे पापा का कार का इतना बड़ा शोरूम है और तू चाहता है कि मैं मुदित से बात करुँ”! रोमी ने कहा।

“तो तू अपनी बड़ी सी कार में बैठे रहना। मैं तो सब बच्चों के साथ स्कूल बस में पिकनिक जाऊँगा” कहते हुए मानव चला गया।

उसकी देखा देखी सभी एक एक करके रोमी के पास से चले गए।

तभी सर बोले – “सिर्फ़ मुदित के पापा ही अब तक स्कूल नहीं आये हैं इसलिए मैं मुदित के पापा को कल स्कूल आने के लिए कह देता हूँ ताकि वह यहीं पर आकर तुम सबकी फोटो खींच ले और तुम सबको कोई परेशानी ना हो। वह अपने बारें में बता भी देंगे जैसे बाकि बच्चों के पापा ने आकर हमें बताया है”।

सभी बच्चे ये सुनकर खुश हो गए और प्लीज़ सर, प्लीज़ सर कहकर मुदित के पापा को वहीँ बुलाने के लिए कहने लगे।

सर ने मुस्कुराते हुए मुदित की तरफ़ देखा और कक्षा से बाहर चले गए।

तभी रोमी मुदित के पास आया और बोला – “मुझसे गलती हो गई। फोटोग्राफर होना भी बहुत ज़रूरी है वरना …”

“वरना तू अपनी बन्दर जैसी फोटो कैसे खिंचवाता”? कहते हुए मानव खिलखिलाकर हँस पड़ा।

और रोमी हँसते हुए मुदित के गले लग गया।

शाम को जब मुदित घर पहुँचा तो पापा से बोला – “आज फ़ादर्स डे है और मैं आपके लिए कोई गिफ़्ट नहीं ला पाया”।

पापा ने मुदित को कस कर गले से लगा लिया और रूंधे गले से बोले – “तेरे आज का गिफ़्ट मैं जीवन भर नहीं भूलूंगा”।

ना चाहते हुए भी मुदित पापा के आँसूं पोंछते हुए रो दिया।

पर उन आँसुओं में भी पापा और मुदित खुश थे, बहुत खुश।

~ ‘पापा के लिए तोहफा: फादर्स डे स्पेशल बाल-कहानी’ by डॉ. मंजरी शुक्ला

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