राज्य के सभी कार्य सुचारू रुप से चल रहे थे। राजकुमारी मनीषा की आयु शादी लायक हो गई तो उनकी शादी की बात होने लगी। योग्य वर ढूंढने के लिए राजा विक्रम सिंह ने चरों दिशाओं में विश्वसनीय आदमी भेजे। दो माह पश्चात् सभी आदमी वापस आ गए पर किसी को योग्य वर नहीं मिला।
योग्य वर की तलाश: ज्ञानवर्धक शिक्षाप्रद कहानी
राजा विक्रम सिंह अत्यंत बुद्धिमान वर चाहते थे, जो हर समस्या का समाधान निकाल सकता हो। राजा ने अपने मंत्रियों के साथ बैठक की और योग्य वर ढूंढने के लिए एक बहुत ही विचित्र फैसला लिया।
राज्य में मुनादी करवा दी गई कि, जो नौजवान राजा जी को पहेली पूछेगा अगर उस पहेली का उत्तर राजा जी ने दे दिया तो नौजवान को बीस वर्ष का कठोर कारावास भुगतना पड़ेगा और अगर राजा पहेली का उत्तर न दे पाए तो उस नौजवान से राजकुमारी मनीषा की शादी कर दी जाएगी एवं राज्य का उतराधिकारी भी बनाया जाएगा।
इस मुनादी से सभी अचम्भित हुए कि राजा विक्रम सिंह ने यह कैसी शर्त रखी है। बहुत से नौजवान राजमहल पहुंचे। उनमें से कई तो अलग-अलग राज्यों के राजकुमार भी थे। नौजवान से पहेली पूछने से पहले सरकारी कागजों पर सहमती ली जाती कि यह शर्त मुझे मंजूर है। राजा जी का फैसला मान्य होगा। जो नौजवान पहेली पूछता राजा जी तुरंत उसका उत्तर दे देते। धीरे-धीरे नौजवान आने से डरने लगे क्योंकि पहेली का उत्तर मिलते ही बीस वर्ष की कैद हो जाती थी।
उसी राज्य के सीमावर्ती गांव में यजुविंदर नाम का युवक अपनी मां के साथ रहता था। बहुत ही सुन्दर एवं समझदार था। शारीरिक रूप से भी बड़ा मजबूत था। गांव से राजमहल तक वह पैदल गया। एक रात उसने रास्ते में ही काटी। रास्ते में उसने कुछ दृश्य देखे जिनको उसने पहेली का रूप दे दिया। सुबह वह राजमहल पहुंचा उसने अपना नाम-पता लिखवाया, सरकारी कागजों पर हस्ताक्षर किए।
जब उनका बारी आई तो उसको बुलाया गया। राजा जी के सामने पहुंचते ही उसने बड़े आदर मान सहित महाराज का अभिवादन किया और बताई हुई जगह पर बैठ गया। राजा जी के कहने पर उसने अपनी पहेली यूं बताई। “अक्ख दे विच मक्ख समाणी, सूली चढ़दा डिठठा पानी। या दो के तीन या दो का एक।”
राजा जी ने पहेली सुनी। उन्होंने यवक को दोबारा बोलने के लिए कहा। युवक ने वही पहेली दोबारा सुनाई। राजा जी सोच में पड़ गए कि कैसे हो सकता है। आंख में मक्ख यानी शहद का छत्ता कैसे लग सकता है। पानी हमेशा नीचे की ओर ही आता है कभी नीचे से ऊपर की ओर नहीं जाता। तीसरी बात, “या दो के तीन या दो का एक”। समझ से बाहर है। राजा जी ने पूछा, “नौजवान जो पहेली आपने पूछी है उसको साबित कर सकोगे”।
नौजवान बोला, बिलकुल साबित करूंगा।
राजा जी ने अपनी रानी सहित मंत्रियों से भी यह पहेली पूछी पर सभी ने असमर्थता जताई। नौजवान जिस रास्ते से आया था सभी को वहां ले गया।
रास्ते में एक जानवर का कंकाल पड़ा हुआ था। आंख वाली जगह पर मधुमक्खियों ने शहद का छत्ता लगाया हुआ था। राजा और मंत्री पहली पहेली का उत्तर मान गए।
नौजवान बोला दूसरी पहेली का उत्तर जानने के लिए रात रुकना पड़ेगा। रात बीती। सुबह हुई तो फसल के ऊपर ओस जमी हुई थी पानी की बूंदें तिनके की नोक पर खड़ी थीं।
राजा विक्रम सिंह हैरान भी हुए और नौजवान की बुद्धि की मन ही मन प्रशंसा भी करने लगे। दूसरी पहेली का उत्तर भी सही मान लिया गया। अब तीसरी और आखिरी पहेली का उत्तर पूछा तो नौजवान बोला, घर में और मेरी मां रहते हैं और कोई नहीं है। यदि मैं शर्त जीतता हूं तो मेरी शादी होने पर हम तीन हो जाएंगे आगर मैं नहीं जीत पाता तो मुझे कारावास हो जाएगी और मेरी मां अकेली रह जाएगी।
राजा विक्रम सिंह बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने यजुविंदर को छाती से लगा लिया और शादी की सहमती देने पर खुशियों के ढोल बजने लगे।
नौजवान ने राजा विक्रम सिंह के चरण स्पर्श किए और कहा कि महाराज मैं एक विनती करना चाहता हूं। महाराज बोले निस्संकोच कहो बेटा। नौजवान बोला, महाराज जिन नौजवानों को करावास में डाल दिया गया है, कृपया उन्हें रिहा कर दिया जाए। आपकी रखी गई प्रतियोगिता के वे प्रतियोगी हैं। प्रतियोगिता के हार और जीत दोनों पहलू हैं।
राजा विक्रम सिंह यजुविंदर की कुशाग्र बुद्धि को देखकर प्रसन्न हुए और सभी नौजवानों को रिहा करने का हुक्म दिया।
राजकुमारी मनीषा और यजुविंदर की शादी कर दी गई और साथ ही उसे पूर्ण राज्य का उत्तराधिकारी मानते हुए उसका राज्याभिषेक कर राजा बना दिया और उसकी माता को राजमाता का दर्जा देकर सम्मानित किया गया।