राष्ट्रगान से प्रेम: कुत्ते बंदर की सच्ची दोस्ती की प्रेरक कहानी

राष्ट्रगान से प्रेम: कुत्ते बंदर का राष्ट्रगान जन गण मन से प्रेम पर हिंदी कहानी

राष्ट्रगान से प्रेम: बंदर और कुत्ता दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों दिन भर घूमते रहते थे, कभी इस गली, कभी उस गली। कभी बाजार, कभी स्कूल के आगे घूमते रहते थे। वे घूम कर-घूम कर जिंदगी का भरपूर आनंद लेते थे। उनको बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चे जब सज-धज कर यूनिफार्म पहन कर स्कूल जाते, तो वे उन्हें देख कर बहुत खुश होते थे। बच्चे जब शरारत करते, तो उन्हें बहुत मजा आता था।

इसी प्यार के कारण बंदर और कुत्ता दोनों सुबह-सुबह बच्चों के स्कूल के आगे खड़े हो जाते थे। बंदर कुत्ते कौ पीठ के ऊपर बैठ कर स्कूल जाता। कभी बन्दर कुत्ते कौ पीठ पर बैठकर करतब करता। तब बच्चे उन्हें देख कर बहुत खुश होते। कई बच्चे उनकी कागज पर फोटो बनाते। बच्चों के मम्मी-पापा भी जब आते, वे भी मोबाइल से उनकी फोटो खींचते।

राष्ट्रगान से प्रेम: पढ़िए बन्दर और कुत्ते का राष्ट्रगान के प्रति प्रेम पर कहानी

स्कूल के समय सभी बच्चे उनका इंतजार करते दोनों बच्चों के पास जाकर खड़े हो जाते। ज्यादातर बच्चों ने तो उनका नाम भी रखा हुआ था – गोलू-मोलू। स्कूल के दो बच्चे बहुत शरारती थे, जो गोलू-मोलू के दोस्त भी थे। वे थे हिनू व मीनू। हिनू व मीनू उन दोनों को छेड़ते जरूर थे। कभी हिनू बन्दर की पूंछ मरोड़ देता तो कभी मीनू कुत्ते के कान खींच लेता।

एक दिन हिनू व मीनू ने कागज के दो हार बनाकर बंदर व कुत्ते के गले में डाल दिए और कहा – देखो दोस्त आज तुम दूल्हे लग रहे हो।
बंदर और कुत्ता दोनों हार पहने जहां-जहां भी जाते, लोग उन्हें देख कर बहुत हंसते। कुत्ता बोला-देखो भाई, हम दोनों को देखकर लोग हंस रहे हैं। आजकल तो लोग हंसना ही भूल गए हैं। कितना अच्छा लग रहा है ना।

अब तो बंदर और कुत्ता दोनों बहुत ही खुश रहने लगे। कुत्ता बोला मीनू के हाथ कितने सुंदर और कोमल हैं, मेरा कान खींचते समय उसके हाथ में दर्द होता होगा।

बन्दर बोला – हिनू के हाथ कितने कोमल व साफ है। मेरी पूंछ कितनी गंदी सी है। उसके हाथ तो गंदे हो जाते होंगे। अरे स्कूल तो लग गया। आज वे दोनों अभी तक नहीं आए।

बंदर बोला – मुझे लगता है दोनों कहीं बीमार न हो गए हों।

बन्दर बोला – अभी-अभी मैंने दूर से देखा। शायद कार में उनके पापा अंदर छोड़ कर आए हैं। अरे, आज तो 26 जनवरी है, मुझे तो राष्ट्रगान बहुत अच्छा लगता है।

कुत्ता बोला- तो चलो आज उनके स्कूल के अंदर चलकर राष्ट्रगान सुनकर आते हैं। चलो अच्छा हुआ आज गेट पर चौकीदार भी नहीं है।

उन्होंने भीतर देखा बहुत ही सुंदर पार्क है। उसमें बहुत सारे फूल लगे । कुत्ता बोला – देखो भाई, फूल कैसे हंस रहे हैं, बिल्कुल बच्चों कौ तरह।

बन्दर बोला – यह देखो भाई तितली मीनू की तरह फूलों से शरारत कर रही है। कुत्ता बोला – यह घास है या हरी चादर। थोड़ा सा इस पर लोट-पोट कर मस्ती करके देख लूं।

तभी स्कूल में राष्ट्रगान आरम्भ हो जाता है। सभी बच्चों ने जन-गण-मन… राष्ट्रगान बोलना आरम्भ कर दिया। राष्ट्रगान सुन कर बन्दर व कुत्ता सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए। इतने में चौकीदार चमोली ने उन्हें देख लिया और भागा-भागा आया। लगा उन पर जोर-जोर से डंडे बरसाने लेकिन वे दोनों सावधान खड़े रहे। चौकौदार डंडे मारता रहा और कहता रहा – दोनों कितने ढीठ हैं, टस से मस ही नहीं हो रहे।

जैसे ही जन-गण-मन… समाप्त हुआ, दोनों भागने लगे। हिनू व मीन ने उन्हें देख लिया। वे उन्हें बचाने के लिए भागे।

चौकीदार के हाथ से डंडा छीन कर फैंक दिया और बोले – क्यों मारा तुमने इन दोनों को? क्या बिगाड़ा था उन्होंने तुम्हारा?

चौकीदार बोला – ये फूल-पौधे खराब कर थे। घास पर लेट रहे थे।

तो क्‍या हो गया? इससे घास खराब थोड़े ही हुई है। हमारा स्कूल का स्टाफ भी बहुत सारी घास खराब करता है, फूल तोड़ कर घर ले जाता है। उन्हें कोई कुछ नहीं कहता।

इतने में प्रार्थना में खड़े सभी बच्चे वहां आ गए। तभी मीनू भी चौकीदार से बोली – इन दोनों ने तो कुछ भी नहीं तोड़ा, न कोई नुकसान किया। ये तो राष्ट्रगान के समय सावधान की मुद्रा में खड़े थे। हम सब ने देखा इन्हें राष्ट्रगान में। तुमने क्यों मारा इनको?

बंदर व कुते के खुशी से आंसू बहने लगे, इतने सारे बच्चे उनको प्यार जो करते हैं। कुछ ही देर में दोनों डंडों की मार भूल गए। फिर बन्दर कुत्ते की पीठ पर बैठ कर करतब करने लगा।

बच्चे हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे। सभी बच्चे कह रहे थे – गोलू-मोलू हम सभी के कितने अच्छे दोस्त हैं।

गोलू-मोलू कह रहे थे इस स्कूल के सभी बच्चे हमारे दोस्त हैं। देखो इंसान और जानवर दोनों ही राष्ट्रगान से कितना प्यार करते हैं।

~ ‘राष्ट्रगान से प्रेम‘ story by ‘नरेश मेहन

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