रूपए पर लिखना पड़ा महंगा: भारतीय मुद्रा का अपमान कानूनी अपराध है

रुपए पर लिखना पड़ा महंगा: भारतीय मुद्रा का अपमान कानूनी अपराध है

रुपए पर लिखना पड़ा महंगा: दीपक सातवी कक्षा में पढ़ने वाला एक होनहार छात्र था। उसी के पड़ोस में एक बंटी नाम का लड़का रहता था जो उसका दोस्त था।

एक दिन बंटी के साथ वह हिंदी की पुस्तक खरीदने दुकान पर गया पर किताब उपलब्ध नहीं होने की वजह से दुकानदार ने बंटी को अपना मोबाईल नंबर दे दिया।

दूसरे दिन दीपक ने बंटी से पूछा – “तुमने किताब वाले अँकल का नंबर डायरी में लिख लिया हैं ना, ताकि ज़रूरत पड़ने पर काम आ सके”।

बंटी गर्व से मुस्कुराते हुए बोला – “तुम सोच भी नहीं सकते कि मैंने उसे कितना संभाल कर रखा हैं”।

“मुझे भी दिखाओ” दीपक उत्सुकता से बोला।

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बंटी ने अपनी जेब से दस रुपये का नोट निकाला और बोला-” अब इससे भी ज्यादा संभालकर इस नंबर को भला मैं और कहा रख सकता हूँ”?

दीपक नोट पर लिखे नंबर को देखकर आश्चर्यचकित रह गया और उसका चेहरा गुस्से से तमतमा गया।

वह चीखते हुए बोला – इतनी सारी कापी-किताबें होते हुए भी तूने राष्ट्रीय संपत्ति का दुरूपयोग किया हैं। स्याही पर अगर पानी गिर गया तो सारा नोट ख़राब हो जाएगा”।

बंटी, दीपक की बात बात को अनसुनी करता हुआ बोला – “मुझे ज्ञान मत दो”।

दीपक संयत स्वर में बोला – “तू किसी दिन बहुत बड़ी मुसीबत में फँसेगा”।

बंटी लापरवाही से कंधे उचकाता हुआ बोला – “जो भी होगा, पर तुझसे मदद मांगने कभी नहीं आऊंगा”।

इसी घटना के कुछ दिन बाद दोनों बस स्टॉप पर खड़े हुए बस का इंतज़ार कर रहे थे तभी बंटी ने जेब से पाँच रुपये का नोट निकाला और उस पर ‘किडनेप’ लिखकर दीपक से पूछा -“देखना जरा, किडनेप में छोटी इ की मात्र लगती हैं या बड़ी ई की…”

दीपक ने गुस्से से मुहँ फेर लिया। अचानक बंटी को कुछ याद आया और वह बोला – “मैं सामने की दुकान से एक पेन लेकर आता हूँ”।

वह दौड़ता हुआ गया और वही पाँच रुपये का नोट देकर पेन खरीद लिया। उसी दुकान पर इंस्पेक्टर शर्मा भी खड़े थे जो बच्चों के लगातार किडनेप होने के कारण बहुत परेशान थे।

जैसे ही उन्होंने किडनेप लिखा हुआ पाँच का रुपया देखा तो उनके चेहरे पर चिंता की लकीरे छा गई। उन्होंने सोचा कि हो सकता हैं, यह कोई “कोड वर्ड” हो जिसे बच्चे चुराने वाला गिरोह इस्तेमाल कर रहा हो।

ये सोचते ही उन्होंने कड़क आवाज़ में बंटी से नोट के बारे में पूछते हुए कहा – “यह तुमने लिखा हैं”?

बंटी का चेहरा डर के मारे पीला पड़ गया और वह हकलाते हुए बोला – हाँ, मैंने लिखा हैं।”

इंस्पेक्टर शर्मा ने बंटी का कॉलर पकड़ा और उसे खींचते हुए अपनी जीप के अन्दर डाल दिया। दीपक तुरंत दौड़कर बंटी के घर पहुंचा और हाँफते हुए उसके मम्मी-पापा को सारी बात बताई।

मम्मी तो यह सुनते ही रोने लगी पर पापा ने उन्हें शांत करते हुए थाने चलने के लिए कहा।

जब वे सब थाने पहुंचे तो मम्मी को देखते ही बंटी दौड़कर उनके गले लग गया। इंस्पेक्टर शर्मा ने जब बंटी के पापा से बात की तो उन्हें विश्वास हो गया कि बंटी किसी भी “किडनेपिंग” वाले ग्रुप से नहीं जुड़ा था।

इंस्पेक्टर शर्मा ने बंटी को अपने पास बैठाया और प्यार से समझाते हुए कहा – “तुम नहीं जानते कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत रूपए पर लिखना धारा ३५A के तहत कानूनन अपराध हैं जिसके लिए तुम्हे जेल भी हो सकती हैं।”

दीपक बोला – “मैं वादा करता हूँ कि ऐसा कभी नहीं होगा”।

इंस्पेक्टर शर्मा ने प्यार से बंटी के सिर पर हाथ फेरा और दीपक से बोले – “अब तुम अपने दोस्त को ले जा सकते हो”।

दीपक मुस्कुराता हुआ बोला -” जी, पर एक नए रूप में”।

यह सुनते ही सब जोरो से ठहाका लगाकर हँस पड़े।

~ ‘रुपए पर लिखना पड़ा महंगा‘ story by ‘डॉ. मंजरी शुक्ला

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