सपनों का गोला - एक रोचक बाल कहानी

सपनों का गोला – एक रोचक बाल कहानी

हाँ महाराज… बहुत दिन पहले आपके महामंत्री ने सपनों के धागों को ऊन के गोले की तरह लपेटकर हमारी घाटी में फेंक दिया था तभी से हमारी घाटी में खुशहाली छा गई है और हम सब सोते समय सतरंगी सपनें देखते है।

राजा ने बड़े ही प्यार से चीची के ऊपर हाथ फेरते हुए पूछा – “तो तुम मुझे वो सपने देने को क्यों तैयार हो गए।”

महाराज, हम खुश होना चाहते हैं, पर आपकी खुशियाँ छीनकर नहीं…

ये सुनकर राजा मुस्कुरा दिया और बोला – “तुम मेरे सिपाहियों के साथ जाकर सपनों के गोले को अपने संगी साथियों के साथ ले आओ… अब से तुम सब हमेशा मेरे साथ रहोगे।”

राजा ने महामंत्री की तरफ़ देखकर गुस्से से पूछा – “और तुम्हारे साथ क्या किया जाए?”

महामंत्री तो पहले ही डर के मार काँप रहा था राजा का गुस्सा देखकर उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गई। उसकी आँखों से दो बूँद आँसू गिर पड़े।

चीची ये देखकर बहुत दुखी हो गया और बोला – “महाराज, इन्हें माफ़ कर दीजिये, अगर ये सपनों का गोला मेरी घाटी में ना फेंकते तो मैं हमेशा के लिए आपके साथ आकर कैसे रहता?”

ये सुनकर राजा जोरो से हँस पड़ा और उसने महामंत्री को गले से लगा लिया…

महामंत्री राजा की सज्जनता देखकर नतमस्तक हो गया और चीची के साथ चल पड़ा सपने के गोले को वापस लाने के लिए…

डॉ. मंजरी शुक्ल

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