How To Draw Cat

नन्हे बच्चों के लिए हिंदी बाल-कहानियाँ

होली वाला बर्थडे: मंजरी शुक्ला

होली वाले दिन “मेरा हैप्पी बर्थडे है …” कहते हुए सात साल का गोलू सारे घर के कमरों में घूम रहा था।

घर के सभी सदस्य होली के तैयारियों में व्यस्त थे इसलिए कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा था।

थक हार कर वह अपनी माँ को सब जगह देखते हुए राजू भैया के कमरे में जा पहुँचा, जहाँ पर वह पोंछा लगा रही थी।

गोलू माँ का पल्लू पकड़ते हुए बोला – “कल होली है और मै सबको बता रहा हूँ कि कल ही मेरा “हैप्पी वाला बर्थडे” है पर कोई नहीं सुन रहा”।

माँ माथे का पसीना पोंछते हुए बोली – “मैं जल्दी से काम कर लूँ फ़िर तुझे कल मिठाई खिलाऊंगी… अच्छी वाली”।

“नहीं… मुझे वो अखबार में लिपटी हुई मिठाई नहीं खानी। मुझे भी जन्मदिन पर चमकीली पन्नी में लिपटे हुए उपहार चाहिए, जैसे मोनू भैया को मिलते है”।

मोनू जो कि आठवीं कक्षा का छात्र था और वहीँ बैठकर पढ़ाई कर रहा था, अपना नाम आने पर चौंक गया।

माँ ने खिसियाते हुए मोनू को देखा और गोलू से बोली – “कमरे के बाहर जाओ”।

Holi Wala Birthday: Manjari Shukla
Holi Wala Birthday: Manjari Shukla

माँ का गुस्से से लाल होता चेहरा देखकर गोलू सहम गया और आँसूं रोकते हुए कमरे के बाहर चला गया पोंछा लगाने के बाद माँ जब बाल्टी रखने के लिए बाहर निकली तो उन्होंने गोलू को इधर उधर देखा।

गोलू अभी भी मोनू के कमरे की दीवार से चिपका खड़ा रो रहा था।

माँ का दिल भर आया।

वह उसके पास आकर बोली – “मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं तेरा जन्मदिन मना सकूँ”।

गोलू ने आँसूँ पोंछते हुए माँ को देखा जो उसे बहुत उदास नज़र आई।

वह माँ की बात को पता नहीं कितना समझा पर वह माँ को उदास नहीं देख सकता था इसलिए तुरंत माँ के गले से लग गया।

आँसूं पोंछते हुए माँ ने प्यार से उसका नन्हा सा हाथ पकड़ लिया और अपनी झुग्गी की तरफ़ चल दी।

सुबह से चहकने वाला गोलू अब बिलकुल शाँत हो चुका था।

माँ बार-बार पैसे निकाल कर गिनती कर रही थी पर पैसे बढ़े हुए नहीं निकले। वे हर बार उतने ही निकलते जितने माँ ने पहली बार गिने थे और उतने पैसे तो घर के ज़रूरी खर्चों के लिए ही कम पड़ रहे थे। वह चाहकर भी गोलू का जन्मदिन मनाने के लिए नहीं सोच सकी।

उधर मोनू ने जब से गोलू की बातें सुनी थी उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था।

उसे अनमना सा देखकर उसकी मम्मी ने हँसते हुए कहा – “तुम तो होली के नाम से ही बहुत चहकते हो और आज होली के एक दिन पहले मुँह लटका कर घूम रहे हो”।

मोनू ने गोलू और उसकी माँ की पूरी बात बताते हुए कहा – “मम्मी, गोलू क्या अपना जन्मदिन कभी नहीं मना पायेगा”?

मम्मी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – “तो तुम गोलू का जन्मदिन मनाकर उसे सरप्राइज़ दे दो”।

मोनू ने आश्चर्य से कहा – “मैं… मैं भला कैसे कर पाउँगा”।

“जब हम कभी भी कोई अच्छा काम करने का सोचते है तो वह काम ज़रूर हो जाता है”। कहते हुए मम्मी मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई
मोनू दिन भर मम्मी की बात सोचता रहा और शाम होते होते उसका चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।

वह दौड़ते हुए पार्क में गया और अपने सब दोस्तों को एक जगह इकठ्ठा होने के लिए बोला।

थोड़ी ही देर में मोनू और उसके सारे दोस्त एक जगह पर इकठ्ठा हो गए।

मोनू कुछ कहता, तभी उसकी नज़र गोलू पर पड़ी जो सबसे छोटा होने के कारण सबसे पीछे खड़ा हुआ था।

गोलू उसे देखकर मुस्कुराया और जैसे ही आगे आने को हुआ तो मोनू बोला – “तुम यहाँ से जाओ”।

गोलू यह सुनकर सन्न हो गया। उसने बड़े आश्चर्य से मोनू को देखा क्योंकि आज तक कभी भी मोनू ने उसे डाँटा नहीं था। यहाँ तक कि उसके हाथ से मोनू का पेंसिल बॉक्स टूट जाने के बाद भी…

उसने सब बच्चों की ओर आशा भरी नज़रों से देखा कि शायद कोई उसे रुकने को कह दे पर उसे किसी ने नहीं रोका।

रुकने की एक कोशिश करते हुए वह बोला – “कल मेरा हैप्पी वाला बर्थडे है”।

मोनू ने कहा – “हाँ, पता है, अब तुम यहाँ से जाओ”।

गोलू ने दुखी होते हुए मोनू को देखा और वहाँ से भाग गया।

अनु थोड़े से गुस्से से बोली – “तुम्हें उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था”।

भागते हुए गोलू को देखकर मोनू बोला – “अरे, उसी के बर्थडे के लिए तो तुम सबको यहाँ बुलाया है”।

“बर्थडे के लिए!” गोलू ने आश्चर्य से कहा।

“हाँ, कल उसका बर्थडे है और उसकी मम्मी के पास बर्थडे मनाने के लिए पैसे नहीं है, इसलिए मैंने सोचा है कि हम लोगो को जो होली मनाने के लिए पैसे मिले है उसी में से थोड़े पैसे बचाकर हम गोलू के लिए एक सरप्राइज़ पार्टी रखे”।

“अरे वाह, तब तो मज़ा आ जाएगा और मुझे बहुत कुछ खाने को भी मिलेगा”। अब्दुल अपने मोटे पेट पर हाथ फेरते हुए बोला, जो हमेशा खाने के लिए तैयार रहता था।

उसकी बात सुनकर सभी खिलखिलाकर हँस पड़े।

फ़िर क्या था अनु ने अपने साथ साथ गोलू की पिचकारी लाने की जिम्मेदारी उठा ली तो अब्दुल केक लाने के लिए तैयार हो गया। सुमित और चीनू ने रंगबिरंगे गुब्बारें सजाने के लिए हामी भर दी तो गिन्नी और राहुल चिप्स का पैकेट लाने के लिए तैयार हो गए।

झालरें और रंगबिरंगे कागज़ों की जिम्मेदारी भोला और नूरु को दी गई।

रिमझिम चहकते हुए बोली – “मुझे किसी भी होली में इतना ज़्यादा मजा नहीं आया जितना कल के बारे में सोचकर हो रहा है।

यह सुनकर सभी बच्चों ने तुरँत हामी भरी और थोड़ी ही देर बाद सभी बच्चे उछलते कूदते हुए वहाँ से चल दिए।

जब बच्चों ने अपने घर जाकर गोलू के जन्मदिन की बात बताई तो उनके मम्मी पापा भी इस मज़ेदार और अनोखे जन्मदिन में सम्मिलित होने के लिए तुरंत तैयार हो गए।

किसी की मम्मी ने पेंसिल बॉक्स ले लिया तो किसी ने लंच बॉक्स… और हाँ कोई भी उन्हें चमकीली पन्नियों में पैक करवाना नहीं भूला।

अगले दिन सुबह जब गोलू की माँ काम पर पहुँची तो मोनू के घर पर उसके दोस्त गुब्बारे और झालरें सजा रहे थे।

गोलू की माँ को गोलू की याद आ गई जो रात में भूखा प्यासा ही सो गया था। पर उसने एक बार भी ना तो जन्मदिन मनाने के लिए कहा था और ना ही कोई उपहार लाने के लिए… गोलू की माँ की आँखें भर आई और वह बर्तन माँजने के लिए रसोई घर की ओर चल दी।

जब काम खत्म करके वह जाने लगी तो मोनू बोला – “आंटी, आप शाम को ज़रूर आ जाइएगा और गोलू को लाना मत भूलना”।

गोलू की माँ बोली – “हाँ, गोलू को यहाँ आकर बहुत अच्छा लगेगा, आज उसका भी तो…कहते कहते उसके शब्द गले में ही अटक गए।
जब वह घर पहुँची तब तक सब लोगो ने रंग खेलना शुरू कर दिया था। आस पड़ोस के बच्चे खूब मस्ती कर रहे थे। गोलू भी बच्चो के साथ होली खेल रहा था।

उसे देखते वह हँसता हुआ पास आकर बोला – “माँ,आज तो मेरा हैप्पी वाला बर्थडे है”।

माँ ने प्यार से उसका माथा चूम लिया और बोली – “आज मोनू भैया के घर पर जन्मदिन की बहुत बड़ी पार्टी है। उन्होंने कहा है कि गोलू को लेकर आना”।

“मैं ज़रूर चलूँगा माँ… मुझे चमकीली पन्नी वाले उपहार देखना बहुत अच्छा लगता है। गोलू ख़ुशी से उछलता हुआ बोला।

उसके मासूम चेहरे पर आगे के दो टूटे हुए दाँतों की खाली जगह को देखकर माँ हँस पड़ी और उन्होंने गोलू को प्यार से गोद में उठा लिया।

शाम को गोलू बाहर जाने की एकमात्र हरी टीशर्ट और लाल नेकर पहन कर तैयार हो गया।

“माँ, चप्प्पल तो टूटी हुई है” गोलू माँ को टूटी चप्पल दिखाते हुए बोला।

“आज तो होली के कारण कोई दुकान भी नहीं खुली होगी” माँ परेशान होते हुए बोली।

“कोई बात नहीं माँ… मोनू भैया का घर तो पास ही में है। मैं नंगे पैर भी चल सकता हूँ… और वह रोड तो कितनी चिकनी और साफ़ सुथरी है… सिर्फ़ अपनी गली में ही तो कंकड़ है… मैं उनसे बचकर निकल जाऊँगा… तुम देखना… एक भी काँटा मेरे पैरों में नहीं चुभेगा… गोलू अपनी ही रौ में कहे जा रहा था और अपने बेबसी पर माँ की आँखों से टप टप आँसूं गिर रहे थे।

गोलू बोला – “चलो माँ… देर हो रही है”।

माँ ने तुरंत अपने चेहरे पर ढेर सारा पानी डाल लिया ताकि गोलू को उनके आँसूं ना दिखे।

जब गोलू और उसकी माँ मोनू के घर पहुँचे तब तक वहाँ बहुत सारे बच्चे अपने मम्मी पापा के साथ आ चुके थे। गोलू जैसे ही उनके बीच में जाने लगा उसने मोनू को देखा।

पार्क वाली बात याद आते ही वह पीछे हो गया और सहमते हुए माँ के पास जाकर खड़ा हो गया।

मोनू मुस्कुराता हुआ उसके पास आया और उसका हाथ पकड़कर उसे सभी बच्चों के बीचो बीच ले गया और मेज के पास जाकर रुक गया।

फूलों से सजी मेज पर एक खूबसूरत सा केक रखा हुआ था।

गोलू को लगा कि मोनू भैया का बर्थडे है।

वह कुछ कहता इससे पहले ही मोनू ने गोलू को चाक़ू पकड़ाते हुए कहा – “केक काटो”।

गोलू की आँखें अचरज से फ़ैल गई। उसके हाथ काँप उठे और उसने माँ की तरफ़ देखा जो आश्चर्य से उसे और मोनू को देखे जा रही थी।

मोनू ने गोलू का हाथ पकड़ते हुए उससे केक का टुकड़ा कटवाया।

सभी बच्चे जोर जोर से गा रहे थे “हैप्पी बर्थडे डियर गोलू”।

गोलू जैसे किसी जादुई लोक में था। मोनू ने बड़े ही प्यार से उसे केक का एक टुकड़ा खिलाया और मोनू के इशारा करते ही सभी दोस्त अपने हाथों में रंगबिरंगी पन्नियों से सजे उपहार लेकर आ गए और गोलू को देने लगे।

सब बच्चे गोलू को उपहार दे रहे थे और कह रहे थे – “आज तो तुम्हारा हैप्पी वाला बर्थडे है”।

गोलू ख़ुशी से उछल रहा था… कूद रहा था… सबके गले लिपट रहा था… और उसकी माँ उसे देखते हुए परदे के पीछे छिपकर हिलक हिलक कर रो रही थी और बुदबुदा रही थी – “हैप्पी बर्थडे गोलू”।

डॉ. मंजरी शुक्ला

Check Also

Christmas Wisdom Story for Kids: The Fairy Christmas

The Fairy Christmas: Story by Etheldred B. Barry

The Fairy Christmas: It was Christmas Day, and Toddy and Tita were alone. Papa and …