स्वच्छता अभियान: स्वच्छ जंगल अभियान पर प्रेरक हिंदी बाल-कहानी

स्वच्छता अभियान: स्वच्छ जंगल अभियान पर प्रेरक हिंदी बाल-कहानी

स्वच्छता अभियान – कालू कुत्ता, पीलू लोमड़ी दोनों ने एक दिन कार्यक्रम बनाया कि हमें अपने जंगल को साफ-सुथरा रखने के लिए कुछ न कुछ अवश्य करना चाहिए। बस फिर क्या था, जंगल की पंचायत के सभी सभ्यों को एकत्रित करके विचार विर्मश करने का फैसला किया गया।

सभा का विषय जानने के बाद एक भी सदस्य ने आने में रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि उनके अनुसार जंगल को साफ रखना असंभव था। सवाल यह था कि जंगल की सफाई के कार्यक्रम को शुरू किस तरह किया जाए?

स्वच्छता अभियान: स्वच्छ जंगल अभियान

जंगल के प्रधान भीम सिंह को इसकी सूचना देने कालू कुत्ता व पीलू लोमड़ी गए और सारी बात सुनकर भीम सिंह जी बहुत प्रसन्न हुए, उन्होंने दोनों को समझाया कि मेरे सहयोग के नाम पर यह सारा काम होगा। मैं किसी भी अवरोध पैदा करने वाले को दंड दूंगा और इसकी जवाबदारी लेने को तैयार हूं।

बुधवार का दिन था, कालू कुत्ते व पीलू लोमड़ी ने पहले इस अभियान की लिखित योजना बनाने का विचार किया व सोमवार से स्वच्छता अभियान के शुभारंभ करने का लिखित आमंत्रण भीम सिंह जी को भिजवाया। भीम सिंह जी की सहमति भी आ चुकी थी, सारी कार्रवाई की लिखित रूपरेखा बन कर तैयार हो गई थी।

तय किया हुआ दिन आया, भीम सिंह जी ने हरी झंडी दिखाकर इस अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा की जंगल के हर पशु-पक्षी को अपनी समझदारी व जिम्मेदारी को समझते हुए आचरण करना चाहिए। उन्होंने कालू कुत्ते व पीलू लोमड़ी के इस प्रयास की सराहना की।

कालू कुत्ते व पीलू लोमड़ी ने जंगल के उपलब्ध साधनों से अनेक झाड़ बनाए, कुछ सामान दोनों अपने-अपने घर से ले आए जैसे बड़ी थैलियां, परात, कपड़े आदि, कुछ सामान उन्होंने पैसे एकत्रित करके खरीदा, जैसे फावड़ा इत्यादि।

स्वच्छता अभियान अब जोर-शोर से चल रहा था, दोनों हंसते-हंसते दिन भर काम करते, समय बीतता रहा। एक दिन डॉक्टर कमल बकरा उधर से गुजर रहे थे। उन्होंने दोनों को बुला कर शाबाशी दी, साथ में सलाह दी कि “दोनों को मुंह पर मास्क बांध कर काम करना है, यह स्वयं की सुरक्षा के लिए जरूरी है”।

चम्मु बंदरिया को इसका कारण जानना था, सो डॉक्टर कमल बकरे के पास आकर पूछने लगी, “डॉक्टर साहब, मास्क बांधने से क्या होता है”? डॉक्टर कमल बकरे ने चम्मु बंदरिया को समझाते हुए कहा, “इस तरह की गंदी जगहों व वातावरण में अनेकों सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जो सांस के द्वारा हमारे फेफड़ों में जाकर हमें रोगग्रस्त कर सकते हैं, उनसे बचने का यह भी एक सरल उपाय है। कुछ खाने व काम खत्म होने के बाद हाथ धोना भी बहुत जरूरी है”।

और तब तुरंत साफ पतला कपड़ा लाया गया और चम्मु बंदरिया ने मास्क बना कर दोनों को पहना दिए। उसे उन दोनों की चिंता रहती थी, कभी पानी तो कभी चाय पिलाकर थकान मिटाने की जिम्मेदारी उसने बिना किसी के कहे ही अपने उपर ले रखी थी। अब तो उसने हाथ धोने का पानी भी समय पर पहुंचाना शुरू कर दिया।

जंगल में चारों ओर गंदगी फैली पड़ी थी, ऊपर से बरसात का मौसम भी सिर पर था। गर्मी की छुट्टियां खत्म होने तक इस काम को खत्म करने का फैसला कालू कुत्ता व पीलू लोमड़ी कर ही चुके थे। सभी कुछ उन्होंने पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार ही तो किया था और धीरे-धीरे एक-एक करके उनके साथ जंगल के और पक्षी व जानवर भी तो जुड़ते जा रहे थे।

छोटी सी चिड़िया ने भी देर से ही सही, पर अपनी जिम्मेदारी निभाई तो सही, पर कुछ ही ऐसे थे, जिन्होंने इस अभियान में योगदान न देने की ठान रखी थी। मन ही मन इस अभियान की असफलता की कामना करने के अलावा कर भी क्या सकते थे।

स्वच्छता कार्यक्रम को चलते डेढ़ महीने का समय होने को था, सारा जंगल साफ-सुथरा नजर आ रहा था। अब तो सभी पक्षियों व पशुओं की आदतें भी बदलने लगी थीं। सभी अपना-अपना कचरा कूड़ेदान में डालने लगे, जगह-जगह रखे गए कूड़े के पात्रों को समय पर खाली किया जाता। जो भी पक्षी या जानवर कचरा इधर-उधर उड़ता हुआ देखता, उसे तुरंत कचरा पात्र में डालना अपना कर्तव्य समझता।

इस तरह कालू कुत्ते व पीलू लोमड़ी ने मिलकर जंगल को एक नया रूप दे डाला। आज सभी ओर उन दोनों की वाह-वाह हो रही थी। सभी सोच रहे थे ‘देर आए दुरुस्त आए‘।

– ‘स्वच्छता अभियान‘ Hindi story by ‘प्रभा पारीक

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